एक औरत के लिए मां बनना दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। ऐसे समय मेंं गर्भवती महिला के खान-पान का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। क्योंकि एक महिला के पेट मेंं उस समय एक नन्ही जान भी पल रही होती है जो कि बहुत नाजुक है। ऐसे मेंं नन्ही सी जान की सही देखभाल करना भी एक मां की ही जिम्मेंदारी होती है। लेकिन भारत और नेपाल मेंं कुछ ऐसी जगह हैं जहां इस नाजुक समय मेंं महिला को उसका परिवार खुद से दूर रखता है। इतना ही नहींं नवजात बच्चे को भी ये सब सहना पड़ता है। ऐसा सिर्फ एक कुप्रथा के कारण किया जाता है।
आपको सुन कर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है कि कुछ जगहों पर महिलाओं को डिलेवरी के दौरान और पीरियड के दौरान अजीबोगरीब हालातों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं या लड़कियों को गाय के बाड़े मेंं डाल दिया जाता है। बच्चा जन्म होने के कुछ दिन बाद और पीरियड के पांच दिन तक महिलाओं/लड़कियां बेहद खराब स्थिति का सामना करती हैं।
किसी घर मेंं किसी नन्हे मेंहमान का आगमन होता है उस वह वक्त उस परिवार के लिए किसी जश्न का माहौल होता है। सभी नए मेंहमान के आगमन की खुशियां मना रहे होते है। लेकिन कुछ स्थानों मेंं मां और बच्चे को अपवित्र कहकर घर से कुछ दिनों तक दूर बाड़े या गौशाला मेंं रखा जाता है। जिससे कई बार नन्हे से बच्चे की बीमारियां लगने से मौत हो जाती है।
प्रथा का पालन न करने पर फैलाया जाता है भ्रम:
पीरियड या डिलेवरी के चलते महिलाओं/ लड़कियों को अपवित्र मान लिया जाता है। इसके बाद उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती हैं। वह घर मेंं नहींं घुस सकतीं। खाना नहींं बना सकतीं और न ही मंदिर जा सकती हैं।
* किसी महिला द्वारा प्रथा को न मानने पर परिवार मेंं मौत हो सकती है।
* पीरियड मेंं फसल को हाथ लगाने पर वो बर्बाद हो जाती है।
* खुद से पानी लेने पर सूखा पड़ता है।
* फल को हाथ लगाने पर वह कभी नहींं पकता।
इस दौरान होता है अत्याचार:
* खाने मेंं सिर्फ नमकीन रोटी या चावल दिए जाते हैं।
* अगस्त मेंं आने वाले ऋषि पंचमी मेंं महिलाएं नहाकर पवित्र होती हैं, साथ ही अपने पापों की माफी भी मांगती हैं।
* गाय के बाड़े मेंं गोबर, बदबू और गंदगी के बीच दिन बिताने पड़ते हैं।
हमारा समाज अब भी कुछ कुरीतियों की वजह से काफी पिछड़ा हुआ है। जो कि काफी शर्मनाक है। यह हमारी जिम्मेंदारी है कि जहां भी इस तरह की कुप्रथाएं हों, वहां उन्हें सच्चाई से अवगत करायें और इसका विरोध करे।
आपको सुन कर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है कि कुछ जगहों पर महिलाओं को डिलेवरी के दौरान और पीरियड के दौरान अजीबोगरीब हालातों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं या लड़कियों को गाय के बाड़े मेंं डाल दिया जाता है। बच्चा जन्म होने के कुछ दिन बाद और पीरियड के पांच दिन तक महिलाओं/लड़कियां बेहद खराब स्थिति का सामना करती हैं।
किसी घर मेंं किसी नन्हे मेंहमान का आगमन होता है उस वह वक्त उस परिवार के लिए किसी जश्न का माहौल होता है। सभी नए मेंहमान के आगमन की खुशियां मना रहे होते है। लेकिन कुछ स्थानों मेंं मां और बच्चे को अपवित्र कहकर घर से कुछ दिनों तक दूर बाड़े या गौशाला मेंं रखा जाता है। जिससे कई बार नन्हे से बच्चे की बीमारियां लगने से मौत हो जाती है।
प्रथा का पालन न करने पर फैलाया जाता है भ्रम:
पीरियड या डिलेवरी के चलते महिलाओं/ लड़कियों को अपवित्र मान लिया जाता है। इसके बाद उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती हैं। वह घर मेंं नहींं घुस सकतीं। खाना नहींं बना सकतीं और न ही मंदिर जा सकती हैं।
* किसी महिला द्वारा प्रथा को न मानने पर परिवार मेंं मौत हो सकती है।
* पीरियड मेंं फसल को हाथ लगाने पर वो बर्बाद हो जाती है।
* खुद से पानी लेने पर सूखा पड़ता है।
* फल को हाथ लगाने पर वह कभी नहींं पकता।
इस दौरान होता है अत्याचार:
* खाने मेंं सिर्फ नमकीन रोटी या चावल दिए जाते हैं।
* अगस्त मेंं आने वाले ऋषि पंचमी मेंं महिलाएं नहाकर पवित्र होती हैं, साथ ही अपने पापों की माफी भी मांगती हैं।
* गाय के बाड़े मेंं गोबर, बदबू और गंदगी के बीच दिन बिताने पड़ते हैं।
हमारा समाज अब भी कुछ कुरीतियों की वजह से काफी पिछड़ा हुआ है। जो कि काफी शर्मनाक है। यह हमारी जिम्मेंदारी है कि जहां भी इस तरह की कुप्रथाएं हों, वहां उन्हें सच्चाई से अवगत करायें और इसका विरोध करे।
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