Tuesday, 17 May 2016

नौकरी करवाना और नौकरी करना

नौकरी करवाना और नौकरी करना दो अलग अलग बातें है। जन्म कुन्डली मेंं अगर शनि नीच का है तो नौकरी करवायेगा, और शनि अगर उच्च का है तो नौकरों से काम करवायेगा। तुला का शनि उच्च का होता है और मेंष का शनि नीच का होता है। मेंष राशि से जैसे जैसे शनि तुला राशि की तरफ बढ़ता जाता है उच्चता की ओर अग्रसर होता जाता है, और तुला राशि से शनि जैसे-जैसे आगे जाता है नीच की तरफ बढ़ता जाता है, अपनी-अपनी कुन्डली मेंं देख कर पता किया जा सकता है कि शनि की स्थिति कहां पर है। जिस स्थान पर शनि होता है उस स्थान के साथ शनि अपने से तीसरे स्थान पर, सातवें स्थान पर और दसवें स्थान पर अपना पूरा असर देता है। इसके साथ ही शनि पर राहु-केतु-मंगल अगर असर दे रहे हंै तो शनि के अन्दर इन ग्रहों का भी असर शुरु हो जाता है, मतलब जैसे शनि नौकरी का मालिक है, और शनि वृष राशि का है, वृष राशि धन की राशि है और भौतिक सामान की राशि है, वृष राशि से अपनी खुद की पारिवारिक स्थिति का पता किया जाता है। वृष राशि मेंं शनि नीच का होगा लेकिन उच्चता की तरफ बढ़ता हुआ होगा, इसके प्रभाव से जातक धन और भौतिक सामान के संस्थान के प्रति काम करने के लिये उत्सुक रहेगा, इसके साथ ही शनि की तीसरी निगाह कर्क राशि पर होगी, कर्क राशि चन्द्रमा की राशि है, और कर्क राशि के लिये माता, मन, मकान, पानी, पानी वाली वस्तुयें, चांदी, चावल, जनता और वाहन आदि के बारे मेंं जाना जाता है, तो जातक का ध्यान काम करने के प्रति भौतिक साधनों तथा धन के लिये इन क्षेत्रों मेंं सबसे पहले ध्यान जायेगा। उसके बाद शनि की सातवीं निगाह वृश्चिक राशि पर होगी,यह भी जल की राशि है और मंगल इसका स्वामी है। यह मृत्यु के बाद प्राप्त धन की राशि है, जो सम्पत्ति मौत के बाद प्राप्त होती है उसके बारे मेंं इसी राशि से जाना जाता है। किसी की सम्पत्ति को बेचकर उसके बीच से प्राप्त किये जाने वाले कमीशन की राशि है, तो जातक जब नौकरी करेगा तो उसका ध्यान इन कामों की तरफ भी जायेगा। इसके बाद शनि का असर दसवें स्थान मेंं जायेगा, वृष राशि से दसवीं राशि कुम्भ राशि है, इसका मालिक शनि ही है और अधिकतर मामलों मेंं इसे यूरेनस की राशि भी कहा जाता है। कुम्भ राशि को मित्रों की राशि और बडे भाई की राशि कहा जाता है,जातक का ध्यान उपरोक्त कामों के लिये अपने मित्रों और बड़े भाई की तरफ भी जाता है,अथवा वह इन सबके सहयोग के बिना नौकरी नहीं प्राप्त कर सकता है,यह राशि संचार के साधनों की राशि भी कही जाती है,जातक अपने कार्यों और जीविकोपार्जन के लिये संचार के अच्छे से अच्छे साधनों का प्रयोग भी करेगा। अगर इसी शनि पर मंगल अपना असर देता है तो जातक के अन्दर तकनीकी भाव पैदा हो जायेगा, वह चन्द्रमा की कर्क राशि का प्रयोग मंगल के असर के कारण भवन बनाने और भवनों के लिये सामान बेचने का काम करेगा, वह चन्द्रमा से खेती और मंगल से दवाइयों वाली फसलें पैदा करने का काम करेगा, वह खेती से सम्बन्धित औजारों के प्रति नौकरी करेगा।
इसी तरह से अन्य भावों का विवेचन किया जाता है। शनि के द्वारा नौकरी नहींं दी जाती है तो शनि पर किसी अन्य ग्रह का प्रभाव माना जाता है। अन्य ग्रहों के द्वारा दिये जाने वाले प्रभावों से और शनि की कमजोरी से अगर नौकरी मिलती है तो शनि को मजबूत किया जा सकता है, वैदिक ज्योतिष मेंं तथा लालकिताब ज्योतिष और अन्य प्रकार के ग्रंथों मेंं शनि को बली बनाने के लिये उपाय बताये गये हैं। कई लोग इनको टोटका बताते है कोई जादू कहता है, कोई बेकार की दकियानूसी बातें कहता है,कोई अंधविश्वास की संज्ञा देता है, कोई पंडितों द्वारा लूटने की प्रक्रिया कहता है, जैसा समाज होता है वैसा उदाहरण मिलता है। लेकिन कोई भी खराब बात समाज के अन्दर टिक नहींं सकती है, अगर किसी बात को जबरदस्ती किसी खराब बात को टिकाने की कोशिश की जाती है वह अधिक से अधिक सौ साल टिकेगी, उसके बाद तो पीढ़ी बदलेगी और उस बात को कोई महत्व ही नहींं देगा,अच्छा या बुरा तो एक बच्चा भी समझता है, हमारे से भी बड़े-बड़े विद्वान इस पृथ्वी पर आ चुके है, हमारे से भी बड़े तर्क करने वाले इस धरा पर उत्पन्न हो चुके हैं, अगर ज्योतिष या इसके द्वारा बताये गये कारण गलत होते तो न जाने कब का यह विषय लुप्त हो चुका होता, वैदिक ज्योतिषानुसार समय की गणना आज से 2066साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने उज्जैन नगरी से शुरु की थी, और उन्ही के नाम से आज भी विक्रमी संवत चल रहा है, एक भी गणना आज तक गलत नहींं हुयी है, उसी समय पर सूर्य उदय होता है और उसी समय पर सूर्य अस्त होता है, प्रत्येक ग्रह उसी चाल के अनुसार चलता चला जा रहा है, एक सेकेण्ड का फर्क नहींं दिखाई दे रहा है, जो बातें आज से 2066साल पहले लिख दीं गयीं थीं, वे आज भी चल रहीं है, जिन स्थानों के लिये बढऩे और घटने का प्रभाव उस समय बताया गया वह आज भी फलीभूत हो रहा है। तो जब बताये गये कारण और निवारण अपनी जगह पर सही हैं तो हमेंंं भी मानने से मुकरना नहींं चाहिये। मनुष्य अहम के कारण कुछ भी कह सकता है, लेकिन चलती हवा को रोकने का बल मनुष्य के अन्दर नहींं है, जिसने भी इस हवा को रोकने का साहस किया, वैदिक रीति से दूर जाने की कोशिश की वह कभी आबाद नहींं दिखा, वैदिक रूप से जो दूर जाकर अपना जीवन शुरु करने की कोशिश करने लगे थे, आपको लाखों उदाहरण मिल जायेंगे, उनके ही पैदा किये बच्चों ने उन्हें दूर फैंक दिया, और अन्त समय तक उनके प्राण केवल इसी आशा मेंं फंसे रहे कि कब उनका नौनिहाल आकर उनकी खबर लेगा।
नौकरी के लिये शनि के उपाय:
नौकरी का मालिक शनि है लेकिन शनि की युति अगर छठे भाव के मालिक से है और दोनों मिलकर छठे भाव से अपना सम्बन्ध स्थापित किये है तो नौकरी के लिये फलदायी योग होगा, अगर किसी प्रकार से छठे भाव का मालिक अगर क्रूर ग्रह से युति किये है, अथवा राहु केतु या अन्य प्रकार से खराब जगह पर स्थापित है, अथवा नौकरी के भाव का मालिक धन स्थान या लाभ स्थान से सम्बन्ध नहीं रखता है तो नौकरी के लिये फलदायी समय नहींं होगा। आपके पास बार बार नौकरी के बुलावे आते है और आप नौकरी के लिये चुने नहींं जाते है, तो इसमेंं इन कारणों का विचार आपको करना पडेगा:-
(अ) यह कि नौकरी की काबलियत आपके अन्दर है, अगर नहींं होती तो आपको बुलाया नहींं जाता।
(ब) यह कि नौकरी के लिये परीक्षा देने की योग्यता आपके अन्दर है, अगर नहींं होती तो आप सम्बन्धित नौकरी के लिये पास की जाने वाली परीक्षायें ही उत्तीर्ण नहींं कर पाते।
(स) नौकरी के लिये तीन बातें बहुत जरूरी है, पहली वाणी, दूसरी खोजी नजर, और तीसरी जो नौकरी के बारे मेंं इन्टरव्यू आदि ले रहा है उसकी मुखाकृति और हाव भाव से उसके द्वारा प्रकट किये जाने वाले विचारों को उसके पूंछने से पहले समझ जाना, और जब वह पूंछे तो उसके पूंछने के तुरत बाद ही उसका उत्तर दे दे।
(द) वाणी के लिये बुध, खोजी नजर के लिये मन्गल और बात करने से पहले ही समझने के लिये चन्द्रमा।
(य) नौकरी से मिलने वाले लाभ का घर चौथा भाव है, इस भाव के कारकों को समझना भी जरूरी है, चौथे भाव मेंं अगर कोई खराब ग्रह है और नौकरी के भाव के मालिक का दुश्मन ग्रह है तो वह चाह कर भी नौकरी नहींं करने देगा, इसके लिये उसे चौथे भाव से हटाने की क्रिया पहले से ही करनी चाहिये। जैसे अगर मन्गल चौथे भाव में है और नौकरी के भाव का मालिक बुध है तो मन्गल के लिये शहद चार दिन लगातार बहते पानी मेंं बहाना है और अगर शनि चौथे भाव मेंं है, और नौकरी के भाव का मालिक सूर्य है तो चार नारियल लगातार पानी में बहाने होते है, इसी प्रकार से अन्य ग्रहों का उपाय किया जाता है।
ग्रह क्या नौकरी करवाने के लिये मजबूर करता है:
शनि कर्म का दाता है, और केतु कर्म को करवाने के लिये आदेश देता है, लेकिन बिना गुरु के केतु आदेश भी नहीं दे सकता है, गुरु भी तभी आदेश दे सकता है जब उसके पास सूर्य का बल है, और सूर्य का बल भी तभी काम करता है जब मंगल की शक्ति और उसके द्वारा की जाने वाली सुरक्षा उसके पास है, सुरक्षा को भी दिमाग से किया जाता है, अगर सही रूप से किसी सुरक्षा को नियोजित नहीं किया गया है तो कहीं से भी नुकसान हो सकता है, इसके लिये बुध का सहारा लेना पडता है, बुध भी तभी काम करता है जब शुक्र का दिखावा उसके पास होता है, बिना दिखावा के कुछ भी बेकार है, दिखावा भी नियोजित होना जरूरी है, बिना नियोजन के दिखावा भी बेकार है, जैसे कि जंगल के अन्दर बहुत बढिय़ा महल बना दिया जाये तो कुछ ही लोग जानेंगे, उसमें बुध का प्रयोग करने के बाद मीडिया मेंं जोड दिया जाये तो महल को देखने के लिये कितने ही लोग लालियत हो जावेंगे, अगर वहां पर मंगल का प्रयोग नहीं किया है तो लोग जायेंगे और बिना सुरक्षा के देखने के लिये जाने वाले लोग असुरक्षित रहेंगे और उनके द्वारा यह धारण दिमाग मेंं पैदा हो जायेगी कि वहां जाकर कोई फायदा नहीं है वहा तो सुरक्षा ही नहीं है। शुक्र वहां पर आराम के साधन देगा, शुक्र ही वहां आने जाने के साधन देगा, शुक्र से ही आने जाने के साधनों का विवेचन करना पड़ेगा, जैसे राहु शुक्र अगर हवा की राशि मेंं है तो वाहन हवाई जहाज या हेलीकाप्टर होगा, शुक्र अगर शनि के साथ है, और जमीन की राशि मेंं है तो रिक्से से या जानवरों के द्वारा खींचे जाने वाले अथवा घटिया वाहन की तरफ सूचित करेगा। ग्रह कभी भी नौकरी करवाने के लिये मजबूर नहीं करता है, नौकरी तो आलस से की जाती है, आलस के कारण कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है, हर आदमी अपनी सुरक्षा से दालरोटी खाना चाहता है, और चाहता है कि वह जो कर रहा है उसके लिये एक नियत सुरक्षा होनी चाहिये, जैसे के आज के युवा सोचते है कि शिक्षा के बाद नौकरी मिल जावे और नौकरी करने के बाद वे अपने भविष्य को सुरक्षित बना लें, जिससे उनके लिये जो भी कमाई है वह निश्चित समय पर उनके पास आ जाये।
यह एक गलत धारणा भी हो सकती और सही भी, जैसे कि हर किसी के अन्दर दिल मजबूत नहीं होता है, चन्द्रमा अगर त्रिक भाव में है तो वह किसी प्रकार से रिस्क लेने मेंं सिवाय घाटे के और कोई बात नहीं सोच पायेगा, किसी के लगनेश अगर नकारात्मक राशि मेंं है तो वह केवल नकारात्मक विचार ही दिमाग मेंं लायेगा। नकारात्मक विचारों को भी सकारात्मक किया जा सकता है, खराब को भी सही तरीके से प्रयोग करने के बाद फायदा लिया जा सकता है, जब गेंहूं को खाने के बाद मल बनाया जा सकता है तो सडे गोबर को भी खाद बनाकर फसल को पैदा किया जा सकता है, जो बिजली करन्ट मारती है और जान लेने के लिये काफी है उसी बिजली को तरीके से प्रयोग करने के बाद सभी सुख सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है, इस तरह के विचार दिमाग मेंं पैदा करने के बाद कुछ से कुछ किया जा सकता है।

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