किसी भी बच्चें में यदि लग्न में राहु या गुरू अथवा शुक्र राहु के साथ लग्न में हों या इसी प्रकार के योग दूसरे, तीसरे अथवा एकादष स्थान में बन जाए साथ ही लग्नेष शुक्र छठवे, आठवे या बारहवें स्थान में आ जाए तो ऐसे लोग ओवरइटर के षिकार होते हैं अथवा राहु के कारण कम्प्यूटर, मोबाईल जैसे इलेक्टानिक गैजेट के शौकिन होते हैं, जिससे शारीरिक कार्य नहीं होती और कई बार डिप्रेषन के कारण लोगो से कम मिलना अथवा घर में रहकर खाते रहने के आदी हो जाते हैं जिससे मोटापा बढ़ सकता है इसके आलावा कई बार यह जैनिटिकल बीमारी भी होती है इसे भी कुंडली के अष्टम भाव या अष्टमेष के लग्न में होने अथवा राहु से पापक्रांत होने से देखा जा सकता है। मोटापे या स्थूलता से ग्रस्त बच्चों में पहली समस्या यह होती है कि वे आमतौर पर भावुक होते हैं या मनोवैज्ञानिक रूप से समस्याग्रस्त होते हैं। बच्चों में मोटापा जीवन भर के लिए खतरनाक विकार भी उत्पन्न कर सकता है जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, निद्रा रोग और अन्य समस्याएं। कुछ अन्य विकारों में यकृत रोग, यौवन का जल्दी आना, या लड़कियों में मासिक धर्म का जल्दी शुरू होना, आहार विकार, त्वचा में संक्रमण और अस्थमा और श्वसन से सम्बंधित अन्य समस्याएं शामिल हो सकती हैं। अधिक वजन वाले बच्चों को अक्सर उनके साथी चिढ़ाते हैं ऐसे कुछ बच्चों के साथ तो खुद उनके परिवार के लोगों के द्वारा भेदभाव किया जाता है, इससे उनके आत्मविश्वास में कमी आती है और वे अपने आत्मसम्मान को कम महसूस करते हैं और अवसाद से भी ग्रस्त हो सकते हैं। अगर आपके परिवार में किसी बच्चे में ऐसी स्थिति दिखाई दे तो उसकी कुंडली का विष्लेषण कराया जाकर ग्रहों की स्थिति के अनुसार उचित ग्रहषांति, बच्चें के व्यवहार एवं खानपान, रहनसहन में परिवर्तन कर इस समस्या से बचा जा सकता है।
Pt.P.S Tripathi
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