आत्महत्या जानबूझ कर मौत को गले लगाने के कार्य को कहते हैं। आत्महत्या अक्सर निराशा के कारण की जाती है। युवावस्था में कॅरियर, रिश्ते, व्यक्तिगत समस्याएं जैसे लव अफेयर, असफल विवाह, पढ़ाई उसके उपरांत बेरोजगारी और भविष्य के प्रति अनिश्चितता जिससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, सायकोसिस, पर्सनालिटी डिसऑर्डर की स्थिति बन जाती है। इन सब परिस्थितियों से वह जैसे तैसे निकलता है तो परिवार की जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं के बोझ तले दब जाता है। फिर अर्थहीन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक स्थिति को बनाये रखना, परिवार का टूटना, अकेलापन धीर धीरे आत्महत्या की तरफ प्रेरित करता है। जब कोई आत्महत्या के बारे में ज्यादा बात करने लगे या कई बार आत्महत्या करने की कोशिश करे और ऐसा व्यक्ति बहुत ज्यादा दुखी रहने लगे तथा अनिद्रा का शिकार हो जाए तो ये अवस्थाएं आत्महत्या के खतरों को दर्षाती हैं। कोई व्यक्ति आत्महत्या जैसी गंभीर मानसिक स्थिति तक पहुंच गया हो ऐसी मानसिकता को आम तौर पर आसानी से नहीं जाना जा सकता किंतु उस व्यक्ति की कुंडली का विष्लेषण कर उसकी मानसिकता और पलायन वादी सोच को समझा जा सकता है। जैसे कि किसी व्यक्ति की कुंडली में अगर उसका तृतीयेष छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो या ये ग्रह राहु जैसे ग्रहों से पापाक्रांत हो तो ऐसे ग्रहों की स्थिति बेहद निराषा पैदा कर सकती है साथ ही अगर मारकेष मारक हो जाए और ऐसे ग्रहों की दषाओं में व्यक्ति आत्महत्या हेतु प्रेरित हो सकता है। अतः इन दषाओं में अगर किसी व्यक्ति को डिप्रेषन दिखाई दे तो उनके ग्रह दषाओं की जानकारी प्राप्त कर ग्रह शांति कराना, अकेलापन दूर करने के प्रयास करना तथा मनःस्थिति को समझते हुए उस व्यक्ति की प्रतिकूल परिस्थिति का मूल्यांकन करते हुए उसे आवष्यक सहयोग प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।
Pt.P.S Tripathi
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