अनेक रोगों से पीडित व्यक्तियों के शरीर को बार-बार रक्त की आवश्यकता रहती है जिसके कारण उनको खून चढाना अनिवार्य हो जाता है। समय पर खून ना प्राप्त होने की स्थिति में उनका जीवन खतरे में रहता है। ऐसे लोगों को जिन्हें समय पर रक्त मिल जाए और उनका जीवन सुरक्षित हो तो उनके तथा उनके अपनो द्वारा जो दुआ दी जाती है वह दानकर्ता के जीवन में सुख का संचार कर सकती है। अतः कलयुग का सबसे पुण्यदायी कार्य रक्तदान करना माना जा सकता है क्योंकि इस समय घटनाएॅ दुर्घटनाएॅ तथा सर्जरी के निरंतर बढ़ते काल में रक्तदान सबसे प्रभावी और प्रासंगिक दान कहा जा सकता है। रक्तदान करना ना सिर्फ दान के लिए अपितु अपने ग्रहों की शांति के लिए भी आवश्यक है। अगर हम रक्तदान और ज्योतिषीय गणना को देखें तो किसी भी जातक की कुंडली में अगर मंगल या केतु लग्र, द्वितीय, तृतीय, एकादश अथवा द्वादश स्थान में हों या इन स्थानों के स्वामी होकर छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर बैठ जाए तो ऐसे लोगों तो चोट-मोच तथा दुर्घटना की आशंका रहती है। अगर ऐसे लोग रक्तदान कर अपना रक्त पहले ही निकाल दें तो आकस्मिक चोट से रक्त बहने की स्थिति नहीं निर्मित होगी अर्थात रक्तदान द्वारा मंगल के दोषों की निवृत्ति होती है। साथ ही अगर किसी की कुंडली में शनि तथा केतु का योग किसी भी स्थान में हो अथवा मंगल और शनि की युति बने तो ऐसे लोगों को अचानक सर्जरी की आवश्यकता आ पड़ती है अतः ऐसे लोगों की कुंडली का विश्लेषण कराया जा कर इनकी दशाओं और अंतरदशाओं के पूर्व रक्तदान करने से सर्जरी से बचा जा सकता है। किसी गर्भवती महिला की कुंडली में यदि मंगल तृतीय, चतुर्थ, पंचम भाव या इन भाव का स्वामी होकर छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो ऐसी स्थिति में अगर संतान के जन्म के समय ज्यादा रक्त बहने या रक्तबहाव ना रूकने की स्थिति बन जाती है ऐसी स्थिति में मंगल की शांति करने से भी रक्त बहना रूकता है अतः मंगल और रक्त का संबंध है। रक्त का सीधा संबंध पृथ्वी व जल तत्व से है तथा ग्रहों में इसका रिश्ता मंगल से है जो कि लाल रंग का प्रतिनिधि कहा जाता है। बार-बार दुर्घटनाओं में रक्त बहने जैसी समस्याएं सामने हों, उनके लिए मंगल के सभी दोषों का परिहार रक्तदान से हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में जितना रुधिर शरीर से निकलना लिखा होगा, उतना निकलेगा ही। चाहे वह दुर्घटना से निकलकर बह जाए या और किसी कारण से। ऐसे में रक्तदान कर लिए जाने मात्र से इस होनी को टाला जा सकता है और जीवन में दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
जिन लोगों को मांगलिक दोष है और इस वजह से दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है, घर में कलह है, शादी नहीं हो पा रही है, उनके लिए मंगल को प्रसन्न करने के लिए रक्तदान से बड़ा कोई पुण्य है ही नहीं। रक्तदान कर लिए जाने से भी मंगल दोष का परिहार हो सकता है। शेष सभी प्रकार के दान उपयोग के बाद नष्ट हो जाते हैं, सिर्फ रक्तदान ही एकमात्र ऐसा दान है जो किसी के जीवन को बचा सकता है अतः यह दान महादान कहा जाता है।
Pt.P.S Tripathi
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