जब अपत्य हिनता, कष्टमय जीवन और दारिद्र, शरीर के न छुटने वाले विकार भुतप्रेत, पिशाच्च बाधा, अपमृत्यू, अपघातों का सिलसिला साथ ही पुर्वजन्म में मिले पितृशाप, प्रेतशाप, मातृशाप, भ्रातृशाप, पत्निशाप, मातुलशाप आदी संकट मनुष्य के सामने निश्चल रुप में खडे हो। इन सभी संकटो से निश्चित रुप से मुक्ती पाने के लिये शास्त्रोक्त काम्य नारायण बली विधान है। इस विधान के साथ नागबली का भी विधान है। किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में जो द्रव्य संग्रह किया होता है उसकी उस पर आसक्ती रह गयी हो तो वह व्यक्ति मृत्यु के पश्चात् भी उस द्रव्य का किसी को लाभ नहीं लेेने देता इसके अलावा नाग या सर्प की इस जन्म में अथवा पिछले किसी जन्म में हत्या की गयी तो उसका शाप लगता है। वात, पित्त, कफ जैसे त्रिदोष, जन्य ज्वर, शुळ, ऊद, गंडमाला, कुष्ट्कंडु, नेत्रकर्णकच्छ आदी सारे रोगो का निवारण करने के लिए एवं संतती प्राप्ति के लिए नारायणबली व नागबली का विधान करना चाहिए। ये विधान श्री क्षेत्र अमलेश्वर में करना चाहिए।
नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ ही करनी पडती हैं।
नारायण नागबलि की पूजा क्यूँ???
संतती प्राप्ति के लिए
प्रेतयोनी से होने वाली पीडा दुर करने के लिए
परिवार के किसी सदस्य के दुर्मरण के कारण इहलोक छोडना पडा हो उससे होन वाली पीडा के परिहारार्थ (दुर्मरण:याने बुरी तरह से आयी मौत ।अपघा, आत्महत्याद और अचानक पानी में डुब के मृत्यु होना इसे दुर्मरण कहते है)
प्रेतशाप और जारणमारण अभिचार योग के परिहारार्थ के लिऐ।
पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते है।
नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ ही करनी पडती हैं।
नारायण नागबलि की पूजा क्यूँ???
संतती प्राप्ति के लिए
प्रेतयोनी से होने वाली पीडा दुर करने के लिए
परिवार के किसी सदस्य के दुर्मरण के कारण इहलोक छोडना पडा हो उससे होन वाली पीडा के परिहारार्थ (दुर्मरण:याने बुरी तरह से आयी मौत ।अपघा, आत्महत्याद और अचानक पानी में डुब के मृत्यु होना इसे दुर्मरण कहते है)
प्रेतशाप और जारणमारण अभिचार योग के परिहारार्थ के लिऐ।
पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते है।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions
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