Friday, 30 October 2015

डेंगू का कारण व उपाय: ज्योतिष्य तथ्य

डेंगू नामक बीमारी एंडीज मच्छरों के काटने से होती है। इस रोग में भयानक सिरदर्द के साथ तेज बुखार आता है और शरीर में लाल रंग के चकत्ते पड़ते है, नाक से खून का रिसाव होता है, भूख नहीं लगती है और उल्टियाॅ आना आदि लक्षण प्रतीत होते है। जैसे-जैसे यह बीमारी रोगी पर हावी होती है वैसे-वैसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और प्लेटलेटस की संख्या निरंतर कम होने लगती है। प्लेटलेटस में लाल रक्त कणिकायें और प्लाजमा शामिल होता है। प्लेटलेटस का अहम कार्य हमारे शरीर में मौजूद हर्मोन और प्रटोन को उपलब्ध कराना होता है। रक्त को नुकसान होने की स्थिति में कोलाजन नामक द्रव्य निकलता है जिससे मिलकर प्लेटलेटस एक अस्थाई दीवार का निर्माण करते है एंव रक्त को और अधिक क्षति होने से रोकते है। बुखार आने पर कैसे पता करें कि डेंगू है या साधारण बुखार प्लेटलेटस की संख्या सामान्य से नीचे आने पर रक्तस्नय की आशंका बढ़ती है। धीरे-2 एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इस बीमारी का भारतीय ज्योतिष में दो ग्रहों सूर्य व मंगल से सम्बंध देखा जा सकता है। ये दोनों ग्रह जब गोचर में नीच या पाप ग्रहों से दृष्ट हो या भाव सन्धि में फॅस जाते है तो इन ग्रहों से प्रभावित लोगों पर यह बीमारी विशेष प्रभाव डालती है। प्लेटलेटस में दो चीजे होती है लाल रक्त कणिकायें और प्लाजमा। लाल रक्त कणिकाओं का सम्बंध मंगल ग्रह से होता है और प्लाजमा का सम्बंध सूर्य ग्रह से होता है। सूर्य का प्रभाव रवि का अमल आत्मा, चेतना शक्ति एंव ह्रदय पर रहता है। सूर्य ही सूर्यमाला का आधार है। जोड़ो में दर्द, ऊर्जा निर्माण, श्वेत रक्त कणिकायें, गर्मी की बीमारियाॅ, हर प्रकार का ज्वर, सिर के अन्दरूनी हिस्से, भूख न लगना आदि सूर्य के अधिकार क्षेत्र में आते है। मंगल का प्रभाव इस ग्रह का विशेष प्रभाव चेहरे पर होता है। रक्त का कारक होने के कारण रक्त से सम्बंधित होने वाली बीमारियाॅ मंगल के अधिकार क्षेत्र में ही आती है। जैसे-नाक से ब्लड बहना, चिकन पाक्स, रक्त चाप आदि। मंगल की राशि वृश्चिक है अर्थात विच्छू। विच्छू जहर का प्रतीक है। यानि शरीर में जहर फैलाना ये सभी कार्य मंगल के क्षेत्र में आते है।
किन जातकों पर डेंगू का विशेष आक्रमण होता है- जिन लोगों की जन्म पत्रिका में सूर्य तुला राशि में होकर छठें, आठवें, बारहवें भाव बैठा हो एंव मंगल की दृष्टि हो। पत्रिका में मंगल कर्क राशि में होकर सप्तम, अष्टम, द्वादश में हो तथा साथ में सूर्य से पीड़ित या दृष्ट हो। पत्री में सूर्य वृश्चिक राशि में हो और नवमांश में सूर्य अपनी नीच राशि में हो तथा मंगल की चतुर्थ दृष्टि पड़ रही हो। जिन जातकों की कुण्डली में वृश्चिक राशि भाव सन्धि में पड़ी हो तथा सूर्य द्वादश भाव में तुला राशि में बैठा हो। मंगल कृतिका नक्षत्र में हो और मंगल की ही दशा चल रही हो। ऐसे लोगों को यह बीमारी विशेष कष्ट देती है।
उपाय- गायत्री मंत्र, आदित्य ह्रदय स्त्रोत, सुन्दर काण्ड व बजरंग बाण आदि में से किसी एक का विधि-विधान से पाठ करें। अधिकमास की वजह से बढ़ता है डेंगू जैसी बीमारियों का प्रकोप- भारतीय ज्योतिष में बारह चन्द्रमासों का एक वर्ष होता है किन्तु चन्द्र वर्ष और सूर्य वर्ष में लगभग 11 दिनों का अन्तर होता है। चन्द्रमा लगभग 354 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है और जबकि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिन में पूरी कर लेती है। इस प्रकार दोनों में लगभग 11 दिनों का अन्तर होता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए ज्योतिष में अधिकमास का निर्माण किया गया है। प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिक मास पड़ता है। जिस वर्ष में अधिकमास होता है उस वर्ष महामारी, रोग व प्राकृतिक आपदायें समाज को बुरी तरह प्रभावित करती है। इस वर्ष 17 जून से 16 जुलाई तक अधिकमास था। जिस कारण डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी ने कोहराम मचा रखा है। कब समाप्त होगा डेंगू का कहर? डेंगू की बीमारी में सूर्य और मंगल अहम रोल है, इसलिए इन दोनों ग्रहों की स्थितियों का आकलन करना जरूरी है। वर्तमान में सूर्य अपनी नीच की राशि तुला में संक्रमण कर रहा है। यानि सूर्य की पवार इस समय न्यून है। 17 नवम्बर से सूर्य मंगल की राशि वृश्चिक में गोचर करना प्रारम्भ कर देगा। 03 नवम्बर को मंगल कन्या राशि में प्रवेश करेगा। अर्थात 17 नवम्बर से डेंगू का दुष्प्रभाव निष्क्रिय हो जायेगा।

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