क्यों किसी को जान से प्यारें दोस्त मिलते हैं तो किसी को दोस्ती में सिर्फ धोखा-जाने अपनी कुंडली से -
इस दुनिया में आते ही हमें कई रिश्ते मिल जाते हैं। उन रिश्तों को बनाने में हमारा कोई योगदान नहीं होता, हमारे जिम्मे सिर्फ जिम्मेदारी होती है, उन रिश्तों को खाद पानी देने की, उन्हें निभाने और निभाते चले जाने की। लेकिन, दोस्ती एकदम अलहदा रिश्ता है। इसे हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों की तरह इस रिश्ते के लिए किसी तरह की औपचारिकता की जरुरत नहीं होती, सिर्फ प्यार और भरोसे की जरुरत होती है। कई बार दोस्तो के लिए सभी कुछ करने के बाद भी कोई साथ नहीं देता तो किसी को बिना कीमत चुकायें ही सभी का सहयोग मिल जाता है। इसका कारण हम ज्योतिषीय गणना द्वारा भली-भांति जान सकते हैं। किसी भी कुंडली में अगर सप्तम स्थान या सप्तमेष क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत होकर छठवे आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए अथवा सप्तम स्थान पर राहु जैसे क्रूर ग्रह बैठ जाए तो दोस्तो से धोखा मिल सकता है। अतः किसी विद्धान आचार्य से अपनी कुंडली का विष्लेषण कराया जाकर संबंधित ग्रह की शांति, मंत्रजाप तथा ग्रह की वस्तुओं का दान करना चाहिए।
इस दुनिया में आते ही हमें कई रिश्ते मिल जाते हैं। उन रिश्तों को बनाने में हमारा कोई योगदान नहीं होता, हमारे जिम्मे सिर्फ जिम्मेदारी होती है, उन रिश्तों को खाद पानी देने की, उन्हें निभाने और निभाते चले जाने की। लेकिन, दोस्ती एकदम अलहदा रिश्ता है। इसे हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों की तरह इस रिश्ते के लिए किसी तरह की औपचारिकता की जरुरत नहीं होती, सिर्फ प्यार और भरोसे की जरुरत होती है। कई बार दोस्तो के लिए सभी कुछ करने के बाद भी कोई साथ नहीं देता तो किसी को बिना कीमत चुकायें ही सभी का सहयोग मिल जाता है। इसका कारण हम ज्योतिषीय गणना द्वारा भली-भांति जान सकते हैं। किसी भी कुंडली में अगर सप्तम स्थान या सप्तमेष क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत होकर छठवे आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए अथवा सप्तम स्थान पर राहु जैसे क्रूर ग्रह बैठ जाए तो दोस्तो से धोखा मिल सकता है। अतः किसी विद्धान आचार्य से अपनी कुंडली का विष्लेषण कराया जाकर संबंधित ग्रह की शांति, मंत्रजाप तथा ग्रह की वस्तुओं का दान करना चाहिए।
Pt.P.S.Tripathi
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