आष्विनी शुक्ल मास भगवान विष्णु की पूजा तथा व्रत का मास माना जाता है इसकी द्वादषी में की गई पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में विष्णु की नाभी से उत्पन्न कमल को पद्मनाभ कहा गया। जिसमें तप दान से सभी कल्याण करने वाला बताया गया है। आष्विनी शुक्ल मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। आष्विनी शुक्ल मास में मनवांछित फल प्राप्ति हेतु पद्मनाथ द्वादषी पूजन का बहुत महत्व है। इसमें ब्रम्ह मूहुर्त में तिल का तेल शरीर में मलकर स्नान करने के उपरांत विष्णु पूजन करने का विधान है। इसके लिए विष्णु स्त्रोत के श्लोकों से पूजा और अभिषेक करें। जिसमें फूल, फल, चावल, दूध, शक्कर चढ़ाकर आरती करने के उपरांत दान करें तथा भजन कीर्तन करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा को क्षीर से स्नान कराकर कर दान देने के उपरांत बिना नमक का आहार ग्रहण करें। इससे शारीरिक व्याधि दूर होकर स्वास्थ्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना विषेष हितकर होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान जागृतवस्था में आने हेतु अंगडाई लेते हैं। जिससे पद्मासीन ब्रम्ह ओंकार की ध्वनि करते हैं। उक्त ध्वनि से जगत का कल्याण हेाता है। अतः इस दिन की गई पूजा से भगवान सीधे प्रसन्न होते हैं अतः सभी कष्टों की निवृत्ति होकर सुख की प्राप्ति होती है।
Pt.P.S.Tripathi
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