वर्तमान मॅहगाई को देखते हुए सभी आवष्यक कार्यो जैसे दैनिक दैनिंदन कार्य, बच्चों की षिक्षा विवाह के लिए हो या मकान वाहन के लिए आर्थिक संकट हो सकता है। इन परिस्थितियों में कई बार कर्ज लेना जरूरी हो गया है। कुछ कर्ज आसानी से चुक जाते हैं तो कई कर्ज बोझ बढ़ाने का ही कार्य करते हैं। अतः यदि कर्ज लेते समय नक्षत्र, लग्न एवं राषि पर विचार करते हुए अपनी ग्रह दषाओं के अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थितियों का निर्णय लेते हुए कर्ज लिया जाए तो बोझ ना होकर ऐष्वर्या तथा उन्नति बढ़ाने का साधन भी बन सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में भाग्येष, आयेष या सुखेष विपरीत कारक हो तथा इनमें से किसी की दषा चल रही हो तो लिया गया कर्जा आसानी से नहीं चुकता। चर लग्न में कर्जा लेना इसलिए उचित होता है क्योंकि इस लग्न में कर्ज आसानी से चुक जाता है किंतु इस लग्न में कर्ज देना उचित नहीं होता। वहीं पर द्विस्वभाव लग्न में लिया गया कर्ज चुकाने के उपरांत भी चुका हुआ नहीं दिखता। स्थिर लग्न में लिया गया कर्ज चुकाने में बहुत कष्ट, विवाद की संभावना होती है अतः इन लग्नों में कर्ज लेने से बचना चाहिए। उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में अपनी राषि तथा ग्रह स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए कर्ज लेना या देना चाहिए। इस प्रकार यदि कोई कर्ज परेषानी का सबब बन गया हो तो उसे शनि की शांति कराना, काली वस्तुओं का दान करना एवं मंत्रजाप करना चाहिए।
Pt.P.S.Tripathi
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