1.अ. मस्तिष्क रेखा आखिर में बुध पर्वत पर चढ़ती हुई नकल उतारने की प्रतिभा।
1.ब. पहली उंगली के ऊपरी जोड़ पर क्रास, कलाई से एक रेखा सूर्य पर्वत को, बुध पर्वत पर एक तारक चिह्न साथ में उठती हुई रेखायें मस्तिष्क तथा हृदय रेखाओं को छूती हुई तथा सूर्य पर्वत के नीचे मस्तिष्क तथा
हृदय रेखाओं को छूती हुई रेखा साहित्यिक सफलता।
1.स.नर्म जोड़ तथा अंगूठा, छोटा, चन्द्र पर्वत पर जाली, काव्य प्रतिभा।
2.अ. हाथ में बाहरी सिरे के पास बुध क्षेत्र पर छोटी खड़ी रेखायें - रसायन शास्त्र में सफलता।
2.ब. तीसरी उंगली का अग्रभाग दोनों हाथ में वर्गाकार, चैथी उंगली का दूसरा पर्व सुविकसित, व्यापार में सफलता।
2.स.मणिबन्ध से बृहस्पति पर्वत को जाती रेखा -कानून व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
3.अ. बुध-पर्वत पर दो या तीन खड़ी रेखायें- डाक्टरी व्यवसाय में सफलता।
3.ब. चैथी उंगली पर दो स्पष्ट खड़ी रेखायें-नर्स व्यवसाय में सफलता।
3.स. सूर्य तथा बुध पर्वत बहुत विकसित अंगूठा दोनों हाथों में बहुत नीचे धंसा हुआ, साथ में बुध पर्वत हाथ के बाहरी सिरे तक फैला हुआ आविष्कार की प्रतिभा।
4.अ. चैथी उंगली दूसरी उंगली के समान लम्बी, मस्तिष्क रेखा पर बुध पर्वत के निकट त्रिकोण अथवा सफेद धब्बे। चौथी उंगली की जड़ से प्रथम पर्व तक रेखा वैज्ञानिक कार्यों में सफलता।
4.ब. अन्तः प्रेरणारेखा का उदय द्वीप के साथ, मस्तिष्करेखा का अन्त चन्द्रपर्वत पर लम्बे सूक्ष्म शाखापुंज में चक्र की उपस्थिति यानि हृदयरेखा की एक शाखा बृहस्पति पर्वत को घेरेहुए, अन्र्तदृष्टि की प्रतिभा।
4.स. बिकृत सूर्यपर्वत कला में असफलता।
5.अ. मस्तिष्क रेखा से एक सीधी स्पष्ट रेखा तीसरी उंगली की जड़ को पूरे आकार की हो। भाग्य रेखा सीधी सूर्य क्षेत्र की रेखा कटी हुई न हो और न ही इस पर दण्ड रेखायें हों। सूर्य रेखा दोनों हाथों में जीवन रेखा में उदित कला में सफलता।
5.ब. सूर्य पर्वत पर कई रेखायें, सूर्य रेखा की दो या तीन शाखायें ऊपर की ओर तथा कटी हुई। सूर्य रेखा की एक शाखा सूर्य-पर्वत तक पहुंचती हुई और अंग्रेजी के अक्षर ‘बी’ की शक्ल में दो शाखाओं में विभाजित एकाग्र
चित्त के अभाव के कारण कला में असफलता।
5.स. सूर्य पर्वत बहुत विकसित प्रखर प्रतिभा।
1.ब. पहली उंगली के ऊपरी जोड़ पर क्रास, कलाई से एक रेखा सूर्य पर्वत को, बुध पर्वत पर एक तारक चिह्न साथ में उठती हुई रेखायें मस्तिष्क तथा हृदय रेखाओं को छूती हुई तथा सूर्य पर्वत के नीचे मस्तिष्क तथा
हृदय रेखाओं को छूती हुई रेखा साहित्यिक सफलता।
1.स.नर्म जोड़ तथा अंगूठा, छोटा, चन्द्र पर्वत पर जाली, काव्य प्रतिभा।
2.अ. हाथ में बाहरी सिरे के पास बुध क्षेत्र पर छोटी खड़ी रेखायें - रसायन शास्त्र में सफलता।
2.ब. तीसरी उंगली का अग्रभाग दोनों हाथ में वर्गाकार, चैथी उंगली का दूसरा पर्व सुविकसित, व्यापार में सफलता।
2.स.मणिबन्ध से बृहस्पति पर्वत को जाती रेखा -कानून व्यवसाय में सफलता मिलेगी।
3.अ. बुध-पर्वत पर दो या तीन खड़ी रेखायें- डाक्टरी व्यवसाय में सफलता।
3.ब. चैथी उंगली पर दो स्पष्ट खड़ी रेखायें-नर्स व्यवसाय में सफलता।
3.स. सूर्य तथा बुध पर्वत बहुत विकसित अंगूठा दोनों हाथों में बहुत नीचे धंसा हुआ, साथ में बुध पर्वत हाथ के बाहरी सिरे तक फैला हुआ आविष्कार की प्रतिभा।
4.अ. चैथी उंगली दूसरी उंगली के समान लम्बी, मस्तिष्क रेखा पर बुध पर्वत के निकट त्रिकोण अथवा सफेद धब्बे। चौथी उंगली की जड़ से प्रथम पर्व तक रेखा वैज्ञानिक कार्यों में सफलता।
4.ब. अन्तः प्रेरणारेखा का उदय द्वीप के साथ, मस्तिष्करेखा का अन्त चन्द्रपर्वत पर लम्बे सूक्ष्म शाखापुंज में चक्र की उपस्थिति यानि हृदयरेखा की एक शाखा बृहस्पति पर्वत को घेरेहुए, अन्र्तदृष्टि की प्रतिभा।
4.स. बिकृत सूर्यपर्वत कला में असफलता।
5.अ. मस्तिष्क रेखा से एक सीधी स्पष्ट रेखा तीसरी उंगली की जड़ को पूरे आकार की हो। भाग्य रेखा सीधी सूर्य क्षेत्र की रेखा कटी हुई न हो और न ही इस पर दण्ड रेखायें हों। सूर्य रेखा दोनों हाथों में जीवन रेखा में उदित कला में सफलता।
5.ब. सूर्य पर्वत पर कई रेखायें, सूर्य रेखा की दो या तीन शाखायें ऊपर की ओर तथा कटी हुई। सूर्य रेखा की एक शाखा सूर्य-पर्वत तक पहुंचती हुई और अंग्रेजी के अक्षर ‘बी’ की शक्ल में दो शाखाओं में विभाजित एकाग्र
चित्त के अभाव के कारण कला में असफलता।
5.स. सूर्य पर्वत बहुत विकसित प्रखर प्रतिभा।
Pt.P.S.Tripathi
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