आपका हाथ ही आपकी पूरी जिंदगी का दर्पण है, अपने दोनोंं हाथों को देख कर हम अपने जीवन की हर एक बात को जान सकते हैं। कहते है की हमेंं अपने दोनोंं हाथों को देखना चाहिए, ऐसा नहींं होता की लडक़ों को सीधा हाथ और लड़कियों को उल्टा हाथ देखें, सब लोगों को दोनोंं हाथ देखना चाहिए, उल्टा हाथ वो होता है जो हम अपने भाग्य से इस जीवन मेंं लाए है और सीधा हाथ वो है जो हम इस जीवन मेंं कर्म करके कमाएँगे।
ज्योतिष के अनुसार हमारी हथेली को 7 अलग-अलग भागों मेंं बांटा गया है। इन्हें पर्वत, क्षेत्र या स्थान के नाम से भी जाना जाता है। इनके उभरे होने दबे होने से ही हमारे गुण-अवगुण प्रभावित होते हैं। यह सात क्षेत्र इस प्रकार हैं- शुक्र क्षेत्र, बृहस्पति क्षेत्र, शनि क्षेत्र, सूर्य क्षेत्र, बुध क्षेत्र, मंगल क्षेत्र और चंद्र क्षेत्र।
शुक्र क्षेत्र: यह क्षेत्र अंगूठे के नीचे स्थित होता है। इसका आकार जीवन रेखा तक रहता है।
बृहस्पति क्षेत्र: यह पर्वत इंडेक्स फिंगर के ठीक नीचे स्थित होता है। इसी वजह से इंडेक्स फिंगर को गुरु की अंगुली भी कहते हैं।
शनि क्षेत्र: यह क्षेत्र मीडिल फिंगर के नीचे रहता है। इसी वजह से मीडिल फिंगर को शनि की अंगुली भी कहते हैं।
सूर्य क्षेत्र: रिंग फिंगर की नीचे स्थित भाग को सूर्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
बुध क्षेत्र: यह पर्वत सबसे छोटी अंगुली के नीचे स्थित रहता है।
चंद्र क्षेत्र: यह पर्वत शुक्र पर्वत के ठीक सामने हथेली के दूसरी ओर रहता है।
मंगल क्षेत्र: ज्योतिष के अनुसार हथेली पर 2 मंगल क्षेत्र माने गए हैं। पहला मंगल क्षेत्र गुरु पर्वत के ठीक नीचे मस्तिष्क रेखा के ऊपर और जीवन रेखा के अंदर की ओर शुक्र पर्वत के ऊपर स्थित होता है। दूसरा मंगल क्षेत्र बुध पर्वत के नीचे और चंद्र पर्वत के ऊपर रहता है। अर्थात बुध और चंद्र पर्वत के बीच मंगल क्षेत्र स्थित रहता है।
वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चलता है कि मस्तिष्क की मूल शिराओं का हाथ के अंगूठे से सीधा संबंध है। स्पष्टत: अंगुष्ठ बुद्धि की पृष्ठ भूमि और प्रकृति को दर्शाने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। बाएं हाथ के अंगूठे से विरासत मेंं मिली मानसिक वृति का आकलन किया जाता है और दायें हाथ के अंगूठे से स्वअर्जित बुद्धि-चातुर्य और निर्णय क्षमता का अंदाजा लगाना संभव है। अंगूठे और हथेली का मिश्रित फल व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार ढाल पाने मेंं सक्षम है। व्यक्ति के स्वभाव और बुद्धि की तीक्ष्णता को अंगुष्ठ के बाद अंगुलियों की बनावट और मस्तिष्क रेखा सबसे अधिक प्रभावित करती है। अतीव बुद्धि संपन्न लोगों का अंगुष्ठ पतला और पर्याप्त लंबा होता है। यह पहली अंगुली (तर्जनी) से बहुत पृथक भी स्थित होता है। यह व्यक्ति के लचीले स्वभाव को व्यक्त करता है। इस प्रकार के लोग किसी भी माहौल मेंं स्वयं को ढाल सकने मेंं कामयाब हो सकते हैं। ये काफी सहनशील भी देखे जाते हैं। इन्हें न तो सफलता का ही नशा चढ़ता है और न ही विफलता की परिस्थितियों से ही विचलित होते हैं। इनकी सबसे अच्छी विशेषता या गुण इनका लक्ष्य के प्रति निरंतरता है। लेकिन यदि अंगुष्ठ का नख पर्व (नाखून वाला भाग) यदि बहुत अधिक पतला है तो व्यक्ति अंतत: दिवालिया हो जाता है और यदि यह पर्व बहुत मोटा गद्दानुमा है तो ऐसा व्यक्ति दूसरों के अधीन रह कर कार्य करता है। यदि नख पर्व गोल हो और अंगुलियां छोटी और हथेली मेंं शनि और मंगल का प्रभाव हो तो जातक स्वभाव से अपराधी हो सकता है।
भविष्य पुराण के अनुसार जिनकी अंगुलियों के बीच छिद्र होता है, उन्हें आमतौर पर धन की तंगी रहती है। जिन लोगों की अंगुलियां आपस मेंं
सटी हुई होती हैं वे व्यक्ति धनी होते हैं। वरूण पुराण के अनुसार सीधी अंगुलियां शुभ एवं दीर्घायुकारक होती है।
- पतली अंगुलियां तीव्र स्मरण शक्ति का संकेत करती है।
- मोटी अंगुलियां धन के अभाव का संकेत करती है।
- चपटी अंगुलियां किसी के अधीन होकर कार्य करने की द्योतक मानी जाती हैं।
- जिन अंगुलियों के अग्रभाग नुकीले होते हैं ऐसे व्यक्ति दया, प्रेम, करूणावान होते हैं और कलाकार, संगीतकार होते हैं।
- चपटी अंगुलियों वाले व्यक्ति आत्मविश्वासी, परिश्रमी, लगनशील होते हैं। कार्यकुशलता से व्यक्ति व्यवस्थित जीवन जीने वाले होते हैं।
- नुकीली अंगुलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं। इनमेंं आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है। इनकी जिंदगी मेंं उतार-चढ़ाव बहुत आते हैं। इनके विचार तथा कल्पनाएं सुंदर होती हैं।
- वर्गाकार अंगुलियों वाले व्यक्ति दूरदर्शी होते हैं और एक व्यवस्थित जीवन व्यतीत करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार हमारी हथेली को 7 अलग-अलग भागों मेंं बांटा गया है। इन्हें पर्वत, क्षेत्र या स्थान के नाम से भी जाना जाता है। इनके उभरे होने दबे होने से ही हमारे गुण-अवगुण प्रभावित होते हैं। यह सात क्षेत्र इस प्रकार हैं- शुक्र क्षेत्र, बृहस्पति क्षेत्र, शनि क्षेत्र, सूर्य क्षेत्र, बुध क्षेत्र, मंगल क्षेत्र और चंद्र क्षेत्र।
शुक्र क्षेत्र: यह क्षेत्र अंगूठे के नीचे स्थित होता है। इसका आकार जीवन रेखा तक रहता है।
बृहस्पति क्षेत्र: यह पर्वत इंडेक्स फिंगर के ठीक नीचे स्थित होता है। इसी वजह से इंडेक्स फिंगर को गुरु की अंगुली भी कहते हैं।
शनि क्षेत्र: यह क्षेत्र मीडिल फिंगर के नीचे रहता है। इसी वजह से मीडिल फिंगर को शनि की अंगुली भी कहते हैं।
सूर्य क्षेत्र: रिंग फिंगर की नीचे स्थित भाग को सूर्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
बुध क्षेत्र: यह पर्वत सबसे छोटी अंगुली के नीचे स्थित रहता है।
चंद्र क्षेत्र: यह पर्वत शुक्र पर्वत के ठीक सामने हथेली के दूसरी ओर रहता है।
मंगल क्षेत्र: ज्योतिष के अनुसार हथेली पर 2 मंगल क्षेत्र माने गए हैं। पहला मंगल क्षेत्र गुरु पर्वत के ठीक नीचे मस्तिष्क रेखा के ऊपर और जीवन रेखा के अंदर की ओर शुक्र पर्वत के ऊपर स्थित होता है। दूसरा मंगल क्षेत्र बुध पर्वत के नीचे और चंद्र पर्वत के ऊपर रहता है। अर्थात बुध और चंद्र पर्वत के बीच मंगल क्षेत्र स्थित रहता है।
वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चलता है कि मस्तिष्क की मूल शिराओं का हाथ के अंगूठे से सीधा संबंध है। स्पष्टत: अंगुष्ठ बुद्धि की पृष्ठ भूमि और प्रकृति को दर्शाने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। बाएं हाथ के अंगूठे से विरासत मेंं मिली मानसिक वृति का आकलन किया जाता है और दायें हाथ के अंगूठे से स्वअर्जित बुद्धि-चातुर्य और निर्णय क्षमता का अंदाजा लगाना संभव है। अंगूठे और हथेली का मिश्रित फल व्यक्ति को अपनी प्रकृति के अनुसार ढाल पाने मेंं सक्षम है। व्यक्ति के स्वभाव और बुद्धि की तीक्ष्णता को अंगुष्ठ के बाद अंगुलियों की बनावट और मस्तिष्क रेखा सबसे अधिक प्रभावित करती है। अतीव बुद्धि संपन्न लोगों का अंगुष्ठ पतला और पर्याप्त लंबा होता है। यह पहली अंगुली (तर्जनी) से बहुत पृथक भी स्थित होता है। यह व्यक्ति के लचीले स्वभाव को व्यक्त करता है। इस प्रकार के लोग किसी भी माहौल मेंं स्वयं को ढाल सकने मेंं कामयाब हो सकते हैं। ये काफी सहनशील भी देखे जाते हैं। इन्हें न तो सफलता का ही नशा चढ़ता है और न ही विफलता की परिस्थितियों से ही विचलित होते हैं। इनकी सबसे अच्छी विशेषता या गुण इनका लक्ष्य के प्रति निरंतरता है। लेकिन यदि अंगुष्ठ का नख पर्व (नाखून वाला भाग) यदि बहुत अधिक पतला है तो व्यक्ति अंतत: दिवालिया हो जाता है और यदि यह पर्व बहुत मोटा गद्दानुमा है तो ऐसा व्यक्ति दूसरों के अधीन रह कर कार्य करता है। यदि नख पर्व गोल हो और अंगुलियां छोटी और हथेली मेंं शनि और मंगल का प्रभाव हो तो जातक स्वभाव से अपराधी हो सकता है।
भविष्य पुराण के अनुसार जिनकी अंगुलियों के बीच छिद्र होता है, उन्हें आमतौर पर धन की तंगी रहती है। जिन लोगों की अंगुलियां आपस मेंं
सटी हुई होती हैं वे व्यक्ति धनी होते हैं। वरूण पुराण के अनुसार सीधी अंगुलियां शुभ एवं दीर्घायुकारक होती है।
- पतली अंगुलियां तीव्र स्मरण शक्ति का संकेत करती है।
- मोटी अंगुलियां धन के अभाव का संकेत करती है।
- चपटी अंगुलियां किसी के अधीन होकर कार्य करने की द्योतक मानी जाती हैं।
- जिन अंगुलियों के अग्रभाग नुकीले होते हैं ऐसे व्यक्ति दया, प्रेम, करूणावान होते हैं और कलाकार, संगीतकार होते हैं।
- चपटी अंगुलियों वाले व्यक्ति आत्मविश्वासी, परिश्रमी, लगनशील होते हैं। कार्यकुशलता से व्यक्ति व्यवस्थित जीवन जीने वाले होते हैं।
- नुकीली अंगुलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं। इनमेंं आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है। इनकी जिंदगी मेंं उतार-चढ़ाव बहुत आते हैं। इनके विचार तथा कल्पनाएं सुंदर होती हैं।
- वर्गाकार अंगुलियों वाले व्यक्ति दूरदर्शी होते हैं और एक व्यवस्थित जीवन व्यतीत करते हैं।
No comments:
Post a Comment