Friday, 22 April 2016

मन का वहम और उसके ज्योतिष्य कारण



वहम का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं है ? आप सभी के संपर्क में कभी न कभी ऐसा व्यक्ति अवश्य आया होगा जिसे वहम की बीमारी होती है। यह बीमारी किसी भी तरह की हो सकती है। कुछ लोग लगातार हाथ धोते रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाथ गंदे हैं। इसी तरह कुछ बार-बार ताले को चेक करते हैं कि कहीं खुला तो नहीं रह गया या फिर बार-बार सफाई इस हद तक करते हैं कि घर में जीना दुश्वार हो जाता है। अंग्रेजी में इस बीमारी को ---OCD obsessive compulsive disorder कहते हैं और इसका Medical Treatment भी चलता है परंतु इस बीमारी को पूरी तरह खत्म होने में काफी समय लग जाता है। ऐसा ही केस अभी हाल ही में देखने को मिला। फलित ग्रंथों के अनुसार यदि बृहस्पति पाप युक्त या पाप दृष्ट हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को मानसिक रोग अथवा मति भ्रम होने की संभावना रहती है। कुंडली में बृहस्पति केतु के साथ होने से पाप युक्त है तथा शनि और राहु की दृष्टि भी पड़ने से बृहस्पति पाप दृष्ट है जिसके कारण मति भ्रमित रहती है। ज्योतिष के अनुसार यदि बुध अकारक होकर लग्नेश के साथ 6, 8 या 12 स्थानगत हो तो जातक मानसिक रोग से ग्रसित होता है। लग्नेश सूर्य अकारक बुध के साथ छठे भाव में स्थित हो तो फलस्वरूप वह भी एक तरह के मानसिक रोग से ग्रसित है। मनकारक ग्रह चंद्रमा का लग्नेश सूर्य तथा बुध से षडाष्टक योग भी बन रहा है जिसके कारण अपनी बुद्धि और मन का परस्पर सामंजस्य नहीं बैठा पाते है और उनकी नकारात्मक सोच उनके व्यक्तित्व पर हावी हो जाती है और उन्हें यही लगता है कि जो वह कर रहे है वही सही है। कुंडली में मन रूपी चंद्रमा, बुद्धि रूपी बुध, ज्ञान रूपी बृहस्पति तीनों ही अशुभ स्थिति में हैं लेकिन सतोगुणी ग्रह बृहस्पति की लग्नेश व बुध पर दृष्टि होने से यह भ्रम अत्यधिक सफाई तक ही सीमित रहता है | जैमिनी ज्योतिष के अनुसार आत्मकारक ग्रह शनि अकारक होकर लग्न से अष्टम भाव में राहु के साथ बैठे हो और दूसरे भाव को देख रहे हो जिससे आपकी बुद्धि, वाणी और सोचने समझने की शक्ति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो जाती है। लाभ स्थान चंद्रमा तथा धन स्थान में बृहस्पति एवं भाग्येश मंगल की भाग्य भाव पर दृष्टि होने से इन्हें अपने जीवन काल में धन संपत्ति व भौतिक सुख साधनों की कमी नहीं रहेगी। अगर बुध अकारक होकर लग्न से षष्ठ स्थान पर तथा चंद्र से अष्टम है तो बुध की दशा में ज्यादा भ्रमित रहते है और अपनी नकारात्मक व वहमी सोच पूरे परिवार पर डालते है ।

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