जीवन की तीन प्रमुख आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान को प्राप्त करने के लिए पैसों की जरूरत होती है। इसके अलावा आज बदलते परिदृश्य में साधन जीवन को सुंदर बनाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए भी धन-दौलत की जरूरत पड़ती है। धन दौलत की इस जरूरत को पूरा करने के लिए व्यक्ति दिन रात पसीना बहाता है। व्यक्ति का ऐसा पसीना बहाना यह सिद्ध करता है कि जीवन एक संघर्ष है और जो इस संघर्ष से हटकर है वे नष्ट हो जाते हैं। जीवन के इस शाश्वत सत्य यानि मेहनत को सिद्ध करते हुए व्यक्ति जीवन को सौंदर्य और ऐश्वर्य से भर डालता है। ऐसे मेहनती संसार में एक बात और गौर करने लायक है वह यह कि किसी-किसी व्यक्ति को बहुत ही कम मेहनत करके अथाह धन और संपदा मिल जाती है। वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो दिन रात मेहनत करके जीवन को साधारण ढंग से ही जी पाते हैं। ऐसी बात पर गहन विश्लेषण करें तो हमें यह पता चलेगा कि मेहनत के साथ मनुष्य का भाग्य भी इस जीवन क्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भाग्य यानि पूर्व का कर्म किसी व्यक्ति को बहुत ही कम उम्र में ही अपार दौलत और संपत्ति तथा यश का स्वामी बना देता है। अब अगर क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की बात करें तो हमें पता चलेगा कि 34 साल के इस क्रिकेटर ने इतनी कम उम्र में ही अच्छी खासी दौलत और शोहरत अर्जित कर ली है। वहीं कई क्रिकेटर ऐसे हैं जिन्हें 32-33 वर्ष के दौरान महज कुछ लाख रूपए की ही आय हो पाती है। इस उदाहरण से हम समझ जाएंगे कि मनुष्य के अंदर दैवीय शक्ति या भाग्य नाम की चीज विद्यमान होती है जो उसे अन्य लोगों से कहीं अलग चमकीला और गौरवमयी बना देती है। उद्यमी पुरूष के पास लक्ष्मी आ जाती है साथ ही भाग्य के बल पर भी लक्ष्मी का सुनहरा साथ मनुष्य को प्राप्त होता है। भाग्य की बात करें और हाथों की रेखाओं का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहींं सकता है। लेख में ऐसी हाथ की रेखाओं का विवरण है जो आदमी को मिलने वाली लक्ष्मी की जानकारी देती है। हाथों की रेखाओं को जानकर कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य में मिलने वाली धन संपन्नता को जान सकता है। किन-किन रेखाओं से लक्ष्मी आपकी जिंदगी भर दोस्त बनी रह सकती है और किन-किन रेखाओं की वजह से ये आपसे रूठ जाती है उसका ही विवरण निम्नानुसार है। झ् अंगुलियों के बीच में छिद्र न होना, अंगुलियां लंबी होना, अंगुलियों का पीछे की तरफ जाना, जीवन रेखा और भाग्य रेखा के बीच अंतर हो तो ऐसे लक्षण जातक को बड़ी उम्र में संपत्ति का स्वामी बनाता है। ऐसे जातक का शुरूआती जीवन सामान्य ही रहता है। हाथ भारी हो, चौड़ा हो तथा अंगुलियां नरम हों, भाग्य रेखाएं भी अधिक हों, शनि ग्रह भी उत्तम हो तो ऐसे जातक एक से अधिक व्यवसाय करते हैं तथा बहुत धनवान होते हैं। लक्ष्मी की इन पर अपार कृपा होती है। जीवन रेखा घुमावदार या गोल हो, मस्तिष्क रेखा में किसी प्रकार का दोष न हो तथा भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो तथा अन्य रेखा भाग्य रेखा को काटती न हो। इसके अलावा शुक्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा यदि शनि पर्वत तक आये तो ऐसा व्यक्ति स्वयं के बल पर धनवान बनता है। यदि शुक्र से मंगल पर्वत तक कोई रेखा आये तो पैतिृक सम्पत्ति से धनवान होता है किंतु यदि इन दोनों पर्वत से रेखा शनि पर्वत तक जाए और शनि पर्वत विकसित न हो तो ऐसा व्यक्ति पैतिृक सम्पत्ति को बरबाद कर बैठता है, सूर्य पर्वत तक जाए तो अहंकार के कारण धनहीन बनता है। गुरू पर्वत तक जाने से और अविकसित होने से व्यक्ति दूसरों में धन लुटा कर धनहीन बन जाता है। इस प्रकार यदि रेखाओं एवं पर्वतों का सुखद संयोग बने तो धन की गणना हस्तरेखा के पर्वत-विचार से कर जो पर्वत विकसित न हो, उन ग्रह-पर्वतों को विकसित करने हेतु ग्रहों के स्वभाव अनुकूल कार्य तथा हस्तमुद्रा का नियमित अभ्यास करने एवं सकारात्मक पहल करने से धनसुख प्राप्त किया जा सकता है।
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