Sunday, 10 April 2016

साल 2016 में "नरेन्द्र दामोदरदास मोदी" जी की कुंडली

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी
जन्म:17 सितम्बर 1950 (आयु 65 वर्ष), वडऩगर, गुजरात, भारत
राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी

नरेन्द्र मोदी की इस समय चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतरदशा चल रही है। शनि इनका तृतीयेश होकर अपने स्थान से अष्टमस्थ है। तीसरा स्थान निर्णयों के लिये जाना जाता है अत: इस समय लिये गये सारे निर्णयों में इन्हें विवाद का सामना करना पड़ रहा है और चुंकि शनि चतुर्थेश भी अत: आम जन या समाज इनके निर्णयों के कारण खुल कर विरोध में सामने आ सकता है। सितंबर २०१७ के बाद जब बुध की दशा चलेगी तब इन्हें विपरीत परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेन्द्र ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया। बडऩगर के ही एक स्कूल मास्टर के अनुसार नरेन्द्र हालाँकि एक औसत दर्ज़े का छात्र था, लेकिन वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी। इसके अलावा उसकी रुचि राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ करने की भी थी।
13 वर्ष की आयु में नरेन्द्र की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गयी और जब उनका विवाह हुआ, वह मात्र 17 वर्ष के थे। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार पति-पत्नी ने कुछ वर्ष साथ रहकर बिताये। परन्तु कुछ समय बाद वे दोनों एक दूसरे के लिये अजनबी हो गये क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने उनसे कुछ ऐसी ही इच्छा व्यक्त की थी।
जहां तक मोदी की आर्थिक नीतियों का सवाल है, उस पर मिश्रित प्रतिक्रिया रही हैं लेकिन अब तो देशी और विदेशी जानकार भी मानने लगे हैं कि भारत की विदेश नीति में मोदी ने जैसे नई ऊर्जा डाल दी है। पिछले एक साल में उन्होंने 18देशों की यात्राएं कीं और उनका हर दौरा सुर्खियों में रहा। यहां तक कि कुछ लोग तो यहां तक ताने देने लगे कि मोदी देश से ज्यादा विदेश में ही रहते हैं जबकि उन्हें ज्यादा ध्यान देश की अंदरूनी समस्याओं पर देना चाहिए। दक्षिण एशियाई पड़ोस से प्रशांत महासागर में बसे जापान तक और बीजिंग से लेकर बर्लिन तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निरंतर यात्राओं के अलावा कई देशों के प्रमुखों को भारत आमंत्रित करने से यह संकेत स्पष्ट है कि बीता वर्ष वैश्विक रंगमंच पर मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने की भारत की जिद का साल रहा है। मोदी की विदेश नीति में चीन, अमेरिका, रूस, कनाडा और यूरोप का महत्वपूर्ण स्थान है, वहीं नेपाल, भूटान, मंगोलिया और सेशेल्स जैसे छोटे देश भी प्राथमिकताओं में शामिल हैं. इन प्रयासों ने राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को नयी ऊर्जा दी है तथा बेहतर आर्थिक संभावनाओं की राह खोली है।
भारत की विदेश नीति अब तक ऐसी थी जो पश्चिम और पूर्व के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश करती दिखती थी। कभी-कभी तो ऐसा लगता था कि वो अभी भी गुट निरपेक्ष आंदोलन के मोड़ में है लेकिन मोदी ने एक जबर्दस्त बदलाव किया। अब उनकी नई विदेश नीति में भारत और उसकी पहचान सर्वोपरि है। मोदी अच्छे ‘कम्यूनिकेटर’ हैं और ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। जापान के प्रधानमंत्री के साथ जापानी भाषा में और चीन के सोशल मीडिया पर चीनी भाषा पर संदेश का मोदी का कदम काफी सफल रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह, मोदी ने भी विदेशों में रह रहे भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को भी अपनी नीति में शामिल किया है। मैं तो कहूंगा कि इसे इतनी ऊंचाई पर ले गए हैं जिसे कोई दूसरा नहीं ले जा सका है। चाहे अमेरिका हो या फिर ऑस्ट्रेलिया, या फिर चीन या कहीं और...मोदी प्रवासियों में भी काफी लोकप्रिय हैं यह साबित हो चुका है। भारतीय संस्कृति को भी कूटनीति में शामिल करने का उनका प्रयोग सफल रहा है। यह उनका ही प्रस्ताव था कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया रहा है। कुल मिला कर देखा जाए तो मोदी का पहला साल काफी व्यस्त रहा और इसमें कुछ किया गया लेकिन बहुत कुछ करना बाकी है क्योंकि चुनौतियों की कमी नहीं है और कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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