मानव की ऊर्जा हमेशा खर्च होती रहती है, ऐसी स्थिति में उसे आहार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के भोजन से रस बनता है रस से मांश, मांश से मेदा, मेदा से मज्जा, मज्जा से शुक्र बनता है। शुक्र भोजन करने के 28 दिन के पश्चात् बनता है। प्रत्येक धातु का एक मैल भी निकलता है, परन्तु शुक्र धातु का कोई मैल नहीं निकलता। वह बिल्कुल शुद्ध होता है। नख हड्डी का मैल होता है। तर्जनी मध्यमा और अनामिका का गर्भावस्था में नख 124 दिन बाद पूरा आ जाता है। कनिष्ठा 121 दिन लेती है और अंगूठे का नख 140 दिन बाद पूरा निकलकर बाहर आता है। नखों से विशेषतः शरीर की व्याधि और कुछ अन्य रोगों की जानकारी प्राप्त होती है। नखों पर होने वाला चिह्न किसी आने वाले अग्रिम खतरे को सूचित करता है।, साफ, और चैड़ा नख अच्छे स्वास्थ्य का सूचक होता है। सात प्रकार के नखों वाली अंगुलियां 1. लम्बा नाखून- लम्बे नाखून शारीरिक शक्ति के प्रतीक नहीं होते, इनकी अपेक्षा छोटे और चैड़े नाखून वालों की शारीरिक शक्ति अधिक होती है। ऐसे लोग ज्यादा बहसबाजी नहीं करते और न आलोचना करते हैं। कविता, कला, संगीत, चित्रकारिता आदि के प्रेमी होते हैं तथा सिरदर्द, गले में खराबी आदि की बीमारी होने की स्थिति उत्पन्न होती है।
2. छोटा नाखून- छोटे नख वाले व्यक्ति तार्किक होते हैं तथा अन्य लोगों से भिन्न मतवाले होकर कठोर आलोचक होते है। इनमें सोचने की शक्ति अधिक होती है। परन्तु निर्णय में उतावले होते हैं। दिल के कुछ कठोर होते है तथा उनमें सहन शक्ति कम होती है, कभी-कभी तथ्य को न समझ पाने की स्थिति में उसे मजाक बनाकर बच निकलते हैं, ऐसे लोगों में दिल के दौरे की बीमारी होने की सम्भावनायें पायी जाती हैं तथा चिड़चिड़ापन होता है।
3. चैकोर और छोटा नख- यह सामान्य कमजेारी का सूचक होता है ऐसे लोगों में हृदय से सम्बन्धी अनेक रोग पाये जाते हैं। नख पर किसी प्रकार का गड्ढा आदि होने पर डेगूं बुखार एवं आन्तरिक पीड़ा का संकेत
पाया जाता है तथा बदला लेने की भावना इनमें खूब होती है।
4. त्रिभुजकार नख- ऐसे नख वालों को गला, लकवा, और श्वास प्रवास से सम्बन्धी बीमारी होती है तथा ऐसे नाखून में चन्द्राकृति न होने पर व्यक्ति सनकी स्वभाव का होता है।
5. चैड़ा नख- चैड़ा नख अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है, ऐसे व्यक्ति खाने-पीने के शौकीन तथा स्वास्थ्य के धनी होते हैं।
6. उभरा हुआ नख- ऐसे नख के स्वामी का फेफड़ा कमजोर होता है, तथा कण्ठमाला बीमारी का सामना करना पड़ता है।
7. गरारियाँ सहित नख- ऐसे नख वाले व्यक्ति को कमला की बीमारी होती है, तथा कभी-कभी श्वास एवं दमा की शिकायत होती है। नाखूनों की देखभाल कैसे भी कर लें, परन्तु उनके प्रभाव को नहीं बदला जा सकता | मुख्यत: ये चार के ही पाए जाते हैं | लम्बे, चौड़े, छोटे, सकीर्ण, आदि |
2. छोटा नाखून- छोटे नख वाले व्यक्ति तार्किक होते हैं तथा अन्य लोगों से भिन्न मतवाले होकर कठोर आलोचक होते है। इनमें सोचने की शक्ति अधिक होती है। परन्तु निर्णय में उतावले होते हैं। दिल के कुछ कठोर होते है तथा उनमें सहन शक्ति कम होती है, कभी-कभी तथ्य को न समझ पाने की स्थिति में उसे मजाक बनाकर बच निकलते हैं, ऐसे लोगों में दिल के दौरे की बीमारी होने की सम्भावनायें पायी जाती हैं तथा चिड़चिड़ापन होता है।
3. चैकोर और छोटा नख- यह सामान्य कमजेारी का सूचक होता है ऐसे लोगों में हृदय से सम्बन्धी अनेक रोग पाये जाते हैं। नख पर किसी प्रकार का गड्ढा आदि होने पर डेगूं बुखार एवं आन्तरिक पीड़ा का संकेत
पाया जाता है तथा बदला लेने की भावना इनमें खूब होती है।
4. त्रिभुजकार नख- ऐसे नख वालों को गला, लकवा, और श्वास प्रवास से सम्बन्धी बीमारी होती है तथा ऐसे नाखून में चन्द्राकृति न होने पर व्यक्ति सनकी स्वभाव का होता है।
5. चैड़ा नख- चैड़ा नख अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है, ऐसे व्यक्ति खाने-पीने के शौकीन तथा स्वास्थ्य के धनी होते हैं।
6. उभरा हुआ नख- ऐसे नख के स्वामी का फेफड़ा कमजोर होता है, तथा कण्ठमाला बीमारी का सामना करना पड़ता है।
7. गरारियाँ सहित नख- ऐसे नख वाले व्यक्ति को कमला की बीमारी होती है, तथा कभी-कभी श्वास एवं दमा की शिकायत होती है। नाखूनों की देखभाल कैसे भी कर लें, परन्तु उनके प्रभाव को नहीं बदला जा सकता | मुख्यत: ये चार के ही पाए जाते हैं | लम्बे, चौड़े, छोटे, सकीर्ण, आदि |
अँगुलियों पर निशान और उनके प्रभाव
अँगुलियों पर अगर सफेद धब्बा होगा, तो बातचीत में अधिक लगाव अगर यही काला होगा, तो प्रेम में अंधापन और अपराधी प्रवृति की होती है। तर्जनी पर अगर सफेद धब्बा होगा, तो अच्छी आमदनी तथा काले धब्बे से धनहानि होती है। मध्यमा पर सफेद धब्बे होने से यात्रायें होती है तथा काले धब्बे होने से भय और क्षति। अनामिका पर सफेद धब्बा होने से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है तथा काला से बदनामी और नुकसान होता है। कनिष्ठा पर काला धब्बा होने से व्यापारिक सफलता और काले धब्बे से अविश्वास और असफलता काले नखों वाला व्यक्ति अच्छा कृषक (किसान) होता है। चैड़ा नखवाला-साधु और निष्कपटी होता है। नीले रंग के नख वाला व्यक्ति स्वास्थ्य से परेशान रहता है, तथा दूसरों के लिए सरदर्द बनता है। बेतुके, अटपटे और भद्दे नखों वाला व्यक्ति समाज के लिए अयोग्य माना जाता है तथा लोगों को हानि पहुंचाता है और दुष्कर्मों में लीन रहना उसका स्वभाव होता है। नखों के नीचे अंगुलियों के पारों में एक ऐसा तरल पदार्थ होता है, जो अत्यन्त संवेदनशील होता है, उदाहरण के तौर पर अंधा व्यक्ति इसी हिस्से के स्पर्श से अपनी पहचान का आधार साबित करता है तथा डाक्टर जब किसी रोगी का नब्ज पकड़ता है तो इस हिस्से में स्पन्दन होता है यह क्रिया अंगुलियों के पोर में स्थित तरल पदार्थ द्वारा होती है अंगे्रेजी में इसे (कोर्नीफिकेशन) कहते है। जिसे हिन्दी भाषा में श्रृगोत्पादन या शल्कीभवन कहते हैं। हस्तरेखा परीक्षण के समय स्वास्थ्य रेखा में जो रोग या व्याधि नजर आती है, उसे नखों से ही प्रमाणित की जाती है।
अँगुलियों पर अगर सफेद धब्बा होगा, तो बातचीत में अधिक लगाव अगर यही काला होगा, तो प्रेम में अंधापन और अपराधी प्रवृति की होती है। तर्जनी पर अगर सफेद धब्बा होगा, तो अच्छी आमदनी तथा काले धब्बे से धनहानि होती है। मध्यमा पर सफेद धब्बे होने से यात्रायें होती है तथा काले धब्बे होने से भय और क्षति। अनामिका पर सफेद धब्बा होने से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है तथा काला से बदनामी और नुकसान होता है। कनिष्ठा पर काला धब्बा होने से व्यापारिक सफलता और काले धब्बे से अविश्वास और असफलता काले नखों वाला व्यक्ति अच्छा कृषक (किसान) होता है। चैड़ा नखवाला-साधु और निष्कपटी होता है। नीले रंग के नख वाला व्यक्ति स्वास्थ्य से परेशान रहता है, तथा दूसरों के लिए सरदर्द बनता है। बेतुके, अटपटे और भद्दे नखों वाला व्यक्ति समाज के लिए अयोग्य माना जाता है तथा लोगों को हानि पहुंचाता है और दुष्कर्मों में लीन रहना उसका स्वभाव होता है। नखों के नीचे अंगुलियों के पारों में एक ऐसा तरल पदार्थ होता है, जो अत्यन्त संवेदनशील होता है, उदाहरण के तौर पर अंधा व्यक्ति इसी हिस्से के स्पर्श से अपनी पहचान का आधार साबित करता है तथा डाक्टर जब किसी रोगी का नब्ज पकड़ता है तो इस हिस्से में स्पन्दन होता है यह क्रिया अंगुलियों के पोर में स्थित तरल पदार्थ द्वारा होती है अंगे्रेजी में इसे (कोर्नीफिकेशन) कहते है। जिसे हिन्दी भाषा में श्रृगोत्पादन या शल्कीभवन कहते हैं। हस्तरेखा परीक्षण के समय स्वास्थ्य रेखा में जो रोग या व्याधि नजर आती है, उसे नखों से ही प्रमाणित की जाती है।
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