Friday, 9 October 2015

पायलट बनने के ग्रहयोग

हवाई जहाजों के माध्यम से देश-विदेश में आवागमन बढते जाने के कारण विमान चालकों एव उनकी परिचारिकाओं की भी आवश्यकता अत्यधिक होती जा रही है । इनकों मिलने वाले पैसे औंर विभन्न जगहों की सैर इनकी ग्लैमरस छवि बना रही है। टीवी पर विमान और विमान में काम करने वाले इस वर्ग के लोगों को बहुत ही लुभावना दिखाये जाने के फलस्वरुप ही आज का छोटा बच्चा भी पायलेट बन उडान भरने की जिज्ञासा पैदा किये हुए दिखता है और छोटी बालिकांए विमान में काम करने वाली एयर होस्टेस बनने का सुहाना सपना देखने लगती हैं । ज्योतिष के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि कौन सा बच्चा या बालिका पायलेट या एयर होस्टेस बन सकता है । पायलेट या एयर होस्टेस या विमान उडान में कार्यं करने वाले लोगों की कुंडली में पराक्रम भाव, लग्न, कर्म भाव, अक्षम व व्ययभाव वायु तत्व व आकाश तत्व राशियों से संबंधित होना अनावश्यक होता है। इसके अतिरिक्त इन्हीं भादों की चर राशियां या प्रेमभाव राशियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । यदि कुंडली में वायु कारक शुक्र, द्विस्वभाव कारक बुध, जल कारक चंद्रुवायु कारक राहु यांत्रिक कारक वाल व शनि आदि का संबंध लग्न, पराक्रम, अष्टम, कर्म,लाभ, व्यय, सप्तम आदि से होता हो,तब भी जातक की हवाई उड़ान से संबंधित कार्य में रुचि होती है ।यदि कर्मभाव से शुक्र के राशि हो और इस भाव पर भाग्येश, लग्नेश,लाभेश आदि का किसी भी रुप में संबंध बनता हो एवं वायु कारक राहु का चंद्रमा के साथ होकर व्यय भाव, चतुर्थ भाव से किसी भी रुप से संबंध बनता हो तथा कर्मेश शुभ त्रिकोंण में हो तब भी जातक हवाई उड़ान से संबंधित काम करता है ।यदि कुंडली की लग्न में चर राशि का राहु होकर पराक्रमेश की दृष्टि संबंध से प्रभावित करे,क्रमेश चंद्रमा से संबंध व्यय या पराक्रम भाव में करे, कर्मभाव को किसी भी रुप में लग्नेश व भाग्येश प्रभावित करें, तब भी जातक हवाई उड़ान से संबंधित कार्य में रुचि रखता है। चर राशि की लग्न में यदि कर्मेश राहु के साथ युति कर पराक्रम या व्ययभाव या अष्टमभाव में हो, वायु कारक शुक्र कर्म भाव को किसी भी सप्रे में प्रभावित करे और पराक्रपेश का संबंध पंचमेश या भाग्वेश से हो और यांत्रिक कारक संभल लग्न या कर्मभाव से संबंध करे, तब भी जातक हवाई उड़ान से संबधित कार्य कर सकता है । यदि कारक शुक्र व राहु किसी भी रुप में पराक्रम या कर्म या पंचम या लग्न या अष्टम या व्यय भाव से संबंध को और लग्नेश का संबंध भी किसी भी रुप में अष्टम या व्यय या पराक्रम या कर्म भाव से हो रहा हो, तो भी जातक हवाई उड़ान की ओर रुचि रखकर कार्य करता है । यदि राहु व्यय भाव में होकर शुक्र को प्रभावित केरे, व्ययेश कर्मभाव में हो या उसे प्रभावित करे, कर्मेश का संबंध दशम से दशम या यानी सप्तम भाव के स्वामी से हो, जल कारक चंद्रमा यांत्रिक कारक मंगल जैसे ग्रह से प्रभावित हो, तब भी जातक हवाई उड़ान में पायलेट या एयरहोस्टेस बन सकता है। यदि कुंडली में लग्नेश का संबंध राहु, चन्द्र, शुक्र जैस ग्रहों से किसी भी रुप में बनता हो, अष्टमेष कर्म भाव में हो, राहु व्ययेश से संबंध किसी भी रुप में कर प्रभावित करता हो और कर्मेश का संबध किसी भी रुप में पंचमेश या लग्नेश या व्ययेश या पराक्रनेश से होता हो, तो भी जातक हवाई उड़ान से संबंधित कार्य करता है । यदि व्ययेश का संबंध पंचमेश के साथ होता हो, भाग्येश व कर्मेश का संबंध पराक्रमेश। या अष्टमेष से होता हो और कर्मभाव राहु या शुक्र या व्ययेश जैसे ग्रह से प्रभावित हो, तो भी जातक हवाई उड़ान से संबंधित कार्य में रुचि रखता है ।

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