भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में श्री विष्णु की सोलह कलाओं से पूर्ण अवतरित हुए थे। श्री कृष्ण का प्राकट्य आततायी कंस एवं संसार से अधर्म का नाष करने हेतु हुआ था। भविष्योत्तर पुराण में कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा कि मैं वासुदेव एवं देवकी से भाद्रपक्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को उत्पन्न हुआ जबकि सूर्य सिंह राषि में एवं चंद्रमा वृषभ राशि में था और नक्षत्र रोहिणी था।
जन्माष्टमी के व्रत तिथि दो प्रकार की हो सकती है बिना रोहिणी नक्षत्र एवं दूसरी रोहिणी नक्षत्र युक्त। इस व्रत में प्रमुख कृत्य हैं उपवास, कृष्ण पूजा, जागरण एवं पारण। कृष्ण भगवान का जन्म समय रात्रि का माना जाता है अतः इस व्रत में जन्मोत्सव रात्रि का मनायी जाती है। व्रत के दिन प्रातः व्रती को सूर्य, चंद्र, यम, काल, दो संध्याओं, पाॅच भूतों, पाॅच दिषाओं के निवासियों एवं देवों का आहवान करना चाहिए,जिससे वे उपस्थित हों। अपने हाथ में जलपूर्ण ताम्रपात्र रखकर उसमें कुछ फल, पुष्प, अक्षत लेकर संकल्प करना चाहिए कि मैं अपने पापों से छुटकारा पाने एवं जीवन में सुख प्राप्ति हेतु इस व्रत को करू। व्रत करते हुए रात्रि को कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हुए भजन एवं कीर्तन तथा यं देवं देवकी देवी वसुदेवादजीजनत् भौमस्य ब्रहणों गुस्तै तस्मै ब्रहत्मने नमः सुजन्म-वासुदेवाय गोब्रहणहिताय च शान्तिरस्तु षिव चास्तु। का पाठ करना चाहिए। जन्माष्टमी का व्रत करने से जीवन से सभी प्रकार से शाप एवं पाप की निवृत्ति होती है तथा सुख तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions
जन्माष्टमी के व्रत तिथि दो प्रकार की हो सकती है बिना रोहिणी नक्षत्र एवं दूसरी रोहिणी नक्षत्र युक्त। इस व्रत में प्रमुख कृत्य हैं उपवास, कृष्ण पूजा, जागरण एवं पारण। कृष्ण भगवान का जन्म समय रात्रि का माना जाता है अतः इस व्रत में जन्मोत्सव रात्रि का मनायी जाती है। व्रत के दिन प्रातः व्रती को सूर्य, चंद्र, यम, काल, दो संध्याओं, पाॅच भूतों, पाॅच दिषाओं के निवासियों एवं देवों का आहवान करना चाहिए,जिससे वे उपस्थित हों। अपने हाथ में जलपूर्ण ताम्रपात्र रखकर उसमें कुछ फल, पुष्प, अक्षत लेकर संकल्प करना चाहिए कि मैं अपने पापों से छुटकारा पाने एवं जीवन में सुख प्राप्ति हेतु इस व्रत को करू। व्रत करते हुए रात्रि को कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हुए भजन एवं कीर्तन तथा यं देवं देवकी देवी वसुदेवादजीजनत् भौमस्य ब्रहणों गुस्तै तस्मै ब्रहत्मने नमः सुजन्म-वासुदेवाय गोब्रहणहिताय च शान्तिरस्तु षिव चास्तु। का पाठ करना चाहिए। जन्माष्टमी का व्रत करने से जीवन से सभी प्रकार से शाप एवं पाप की निवृत्ति होती है तथा सुख तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions
No comments:
Post a Comment