Tuesday, 6 October 2015

साथी से सुख प्राप्त करने के ज्योतिषीय कारक-

प्रत्येक व्यक्ति की यह कामना होती है कि उसका साथी उसके लिए लाभकारी तथा सुखकारी हो, किंतु कई बार सभी प्रकार से अच्छा करने के बाद भी साथ वाला व्यक्ति आपके लिए दुख का कारक बन जाता है। ज्योतिष से जाने कि आपके साथी के साथ व्यवहार कैसा होगा। सप्तमभाव या सप्तमेष का किसी से भी प्रकार से मंगल, शनि या केतु से संबंध होने पर रिश्तों में बाधा, सुख में कमी का कारण बनता है वहीं शुक्र से संबंधित हो तो रिश्तों में आकर्षक तथा लगाव होगा तथा उसकी आर्थिक स्थिति तथा भौतिक सुख भी अच्छी होगी, जिसका लाभ साथी को भी मिलेगा। ऐसी स्थिति सप्तम या सप्तमेष का किसी भी प्रकार का संबंध 6, 8 या 12 वे भाव से बनने पर भी दिखाई देता है। वहीं पर लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या द्वादशेष की युक्ति किसी भी प्रकार से शनि के साथ बनने पर लगाव के साथ अधिकार का भाव ज्यादा होता है। अतः इन ग्रहों के विपरीत फलकारी होने पर या कू्रर ग्रहों से आक्रांत होेने पर सर्वप्रथम इन ग्रहों से संबंधित निदान कराने के उपरांत ही साथी के साथ रिश्ता निभाना ज्यादा आसान होता है साथ ही कुंडली मिलान में नौ ग्रहों के मिलान कर भी आपसी समझ तथा लगाव को बढ़ाने के ज्योतिष उपाय करना चाहिए।

Pt.P.S.Tripathi
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