Wednesday, 7 October 2015

कुंडली में इंजीनियरिंग करने के योग

जन्म पत्रिका में इंजीनियरिंग योग में मुखयतः शनि और मंगल ग्रह का योग कारक होना अति आवश्यक है। लेकिन भिन्न-भिन्न तकनीकि कार्यों में विभिन्न ग्रहों का योगदान भी महत्वपूर्ण हैं जैसे टी. वी., दूर संचार, कंप्यूटर संबंधी योग्यता हेतु बुध, वस्त्र निर्माण में इंजीनियरिंग हेतु बृहस्पति, बच्चों के खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन आदि के क्षेत्र में दक्षता हेतु चंद्र, शुक्र तथा विद्युत विभाग में एक सफल इंजीनियर बनने के लिये ऊर्जा और अग्नि प्रधान ग्रह सूर्य का शुभ और योगकारक होना अति आवश्यक है। इंजीनियरिंग में दक्षता प्राप्त करने के लिए इंजीनियरिंग के कारक ग्रहों का लग्न या लग्नेश, चतुर्थ भाव या चतुर्थेश, सप्तम भाव, सप्तमेश तथा दशम भाव, दशमेश एवं पंचमेश और नवम (भाग्य भाव) एवं नवमेश से शुभ संबंध होना अति आवश्यक है। इन भावों पर इन कारक ग्रहों का जितना अधिक शुभ प्रभाव होगा जातक को अपने व्यवसाय में उतनी ही रूचि होगी। यदि लग्न भाव से मंगल व शनि का संबंध हो तो जातक इंजीनियर होता है। मेष लग्न में यदि शनि चतुर्थ भाव में स्थित हो तथा मंगल का प्रभाव भी लग्न एवं दशम भाव पर हो तो जातक इंजीनियर होता है। मकर या कुंभ लग्न हो, दशम् या सप्तम भाव में मंगल स्थित हो तो जातक इंजीनियर होता है। यदि सूर्य लग्न, चंद्र लग्न एवं जन्म लग्न एक ही हो तथा उन पर शनि व मंगल का प्रभाव अधिक हो तो जातक एक सफल इंजीनियर होता है। यदि चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो और उस पर केतु का प्रभाव हो अथवा चतुर्थ भाव में मंगल एवं केतु की युति हो, शनि सप्तम भाव में स्थित हो तो जातक इंजीनियर होता है। दशम भाव चूंकि कार्यभाव है अतः दशम् भाव एवं दशमेश का यदि शनि, मंगल, केतु एवं बृहस्पति से संबंध हो तो जातक एक सफल इंजीनियर होता है। दशम भाव एवं चतुर्थ भाव में से किसी एक में शनि व दूसरे में मंगल स्थित हो तथा गुरु का लग्न, चतुर्थ एवं नवम, दशम किन्हीं दो भावों पर प्रभाव हो तो जातक वस्त्र उद्योग में इंजीनियर होता है। यदि धनु लग्न हो, दशम् भाव में शनि स्थित हो, लग्न सप्तम एवं दशम् भाव में से किन्हीं दो भावों पर मंगल, केतु या सूर्य की स्थिति, दृष्टि या युति संबंध हो तो जातक सफल विद्युत इंजीनियर होता है। लग्न में मंगल स्वराशिस्थ हो, शनि चतुर्थ भावस्थ हो या शनि सूर्य की दशम् भाव पर दृष्टि हो तो जातक इंजीनियर होता है। यदि कुंडली में चंद्र शनि या चंद्र मंगल की युति हो तथा चतुर्थ या पंचम भाव पर मंगल, केतु या राहु की युति स्थिति या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक इंजीनियरिंग में दक्षता प्राप्त करता है। लग्नस्थ बुध पर मंगल या शनि की दृष्टि हो तथा बृहस्पति द्वितीय भाव में स्थित हो अथवा इन तीनों ग्रहों का किसी भी रूप में शुभ संबंध बन रहा हो तो जातक कंप्यूटर इंजीनियर होता है तथा उसे मशीनरी एवं कलपूर्जों आदि से संबंधित अच्छी जानकारी होती है। राहु-केतु, शनि और बुध यदि शुभ स्थिति में हों तो जातक को तीक्ष्ण बुद्धि और अच्छी सोच प्रदान करते हैं। यदि दशम् भाव में राहु या केतु स्थित है। दशम भाव पर शनि की दृष्टि हो, बुध शनि की राशि में, या शनि बुध की युति या बुध पर शनि की दृष्टि का प्रभाव हो तो जातक को कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। जन्म पत्रिका में शुक्र-शनि का कारक योग भी कंप्यूटर इंजीनियरिंग में सफलता दिलाता है। दशम् भाव में यदि सूर्य, मंगल, शनि और बुध ग्रहों से 'चतुर्ग्रही' का योग बन रहा हो तो व्यक्ति एक सफल इंजीनियर होने के साथ-साथ खूब धन कमाता है। नवम भाव (भाग्य भाव) में यदि धनेश या लाभेश होकर बुध स्थित हो तथा दशम् भाव पर मंगल का प्रभाव हो, शुक्र बुध की युति यदि लग्न में अथवा शुक्र बुध की राशि में स्थित हो तो जातक हार्डवेयर इंजीनियर होता है। यदि दशम भाव में सूर्य शनि की युति हो साथ ही सूर्य धनेश, लाभेश या भाग्येश हो और चतुर्थ एवं पंचम भाव पर सूर्य, मंगल एवं केतु की स्थिति, युति या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अत्यंत सफलता, खयाति, प्रसिद्धि एवं सम्मान भी मिलता है।

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