Saturday, 10 October 2015

अंगूठे का महत्व

अँगूठे से आत्मबल और साहस भी प्रकट होता है । बच्चे अपराध व भय की अवस्था में प्राय: येंगूठों को मुट्ठी में छिपा लेते है । जिनके अँगूठे मुट्ठी के अन्दर रहे उनमें आत्मबल और आत्मविश्वास की कमी समझनी चाहिए । पैदा होने के बाद जो बच्चे अँगूठे को उगलियों के नीचे दबाये रहते है वे प्राय: कमजोर होते है । यदि कोई पागलखाने का निरीक्षण करे तो उसकी दृष्टि फौरन इस ओर जाएगी कि जो लोग जन्म से ही पागल, अर्ध-विक्षिप्त या भोले होते है उनके अंगूठे बहुत छोटे और कमजोर होते है । अंगूठा चैतन्य-शक्ति का एक प्रधान केन्द्र है । यदि कोई अधिक बीमार हो और अंगूठा ढीला होकर हथेली पर गिर पते तो समझना चाहिये कि अंतिम समय आ पहुँचा । यदि अंगूठे में कुछ जान हो तो कुछ बचने की आशा रहती है । मनुष्य के अंगूठे का महत्व इसलिये अधिक है कि वह सब प्राणियों में विशेष उन्नत और बुद्धिमान है । इस कारण मनुष्य का अँगूठा लम्बा होता है । अँगूठा जितना ऊँचा और पुष्ट हो उतना ही अच्छा । चिंपाजी का शरीर बहुत-कुछ मनुष्य के शरीर से मिलता है किन्तु उसका अँगूठा तर्जनी उगली की जड़ तक भी नहीं पहुँचता । इससे यह नतीजा निकलता है कि जितनी ही ऊँची अंगूठे की जड होगी और अँगूठा जितना बडा होगा उतनी ही बुद्धि और शक्ति की प्रबलता होगी । इसके विपरीत यदि अँगूठा छोटा हो या हथेली में बहुत नीचा हो तो मनुष्य में आत्मशक्ति और बुद्धि दोनोंकम मात्रा में पाई जाएँगी । जिस व्यक्तियों के अँगूठे लम्बे और सुन्दर हों वे बुद्धिमान तथा सभ्य व्यवहार वाले होंगे । ऐसे अंगूठे परिष्ठकृत मस्तिष्क वालों के होते है, किन्तु यदि अँगूठा आगे से मोटा, गोल, छोटा और हाथ के अधिक नीचे हो तो मनुष्य जानवर की तरह उधंड, असभ्य और मूर्ख होता है। किन्तु किसी मनुष्य की हस्तपरीक्षा करने का अवसर प्राप्त न हो और किसी बडे आदमी से, अपने कार्य के लिये मिलने जाना हो तो उसके हाथ के अँगूठे को दूर से ही देखकर उस मनुष्य की प्रकृति और स्वभाव का आप कुछ-कुछ पता लगा सकतेहै । जिससे हमें कुछ कार्य लेना है, उसकी प्रकृति का कुछ पता लगा लेने से उसकी रुचि के अनुकूल बातचीत करके उससे आसानी से अपना कार्य निकाला जा सकता है-यदि किसी मनुष्य के अंगूठे का नखवाला पर्व बहुत लम्बा हो तो समझिये की वह मनुष्य तानाशाही प्रकृति का है, वह सब पर अपना रोब और प्रभाव जमाना चाहता है । यदि ऐसे मनुष्य की खुशामद की जाये तो तुरन्त प्रसन्न हो जाता है और प्रार्थी के मनोनुकूल कार्य कर देता है । और दूसरे व्यक्ति का पीला, निस्तेज और छोटा तथा दबा हुआ हो तो भी फलादेश पृथक-पृथक होगा ।

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