आज के व्यवसायिक क्षेत्र की स्पर्धाओं के चलते बैंकिग क्षेत्र का महृत्व बढता ही जा रहा है । रोज नई-नई प्राइवेट संस्थाऐं भी बैंकिग क्षेत्र से पदार्पण करती जा रहीं- है । इसी कारण इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का महत्व भी दिनो-दिन तो बढता नजर आ ही रहा है, साथ ही उनको मिल रहे आकर्षक वेतन के कारण आज का नवयुवा भी इस क्षेत्र में जाने हेतु उत्साही दिख रहा है । इस क्षेत्र में काम करने के लिए ज्योतिष्य शोध द्वारा वाणिज्य कारक बुध,ज्ञान कारक गुरु, वेभवकारक शुक्र क्या जनता कारक शनि का महत्वपूर्ण योगदान कुंडलियों में पाया गया है । इसके अतिरिक्त कुंडली में लग्न, धन भाव, पराक्रम भाव, भाग्य भाव, कर्मभाव व लाभभाव की भी भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण पाई गई है । कुंडली में वाणिज्य कारक बुध, वैभव कारक शुक्र, जनता का कारक शनि व ज्ञान कारक गुरु यदि बली होकर लया, केन्द्र अथवा त्रिकोंपा में हों, तो जातक को इस क्षेत्र में जाने की रुचि पैदा करता है । यदि लग्नेश का संबंध कारक बुध या शुक्र, भाग्य या भावृयेश, दशम या दशमेश, लाभ या लय आदि में से किसी भी रुप में शुभ स्थानों केन्द्र या त्रिकोण में बनता हो, तो जातक वाणिज्य या की संबंधित कयों में धनार्जन करता है ।यदि सुंली में जनता कारक शनि धनेश से दृष्टि संबंध कर भाग्य भाव को दृष्टि कर्मेश लाभ भाव में मित्र राशि का होकर घनेश व जनता कारक शनि से दुष्ट हो और मुख्य कारक बुध उच्च के शुक्र के साथ अच्छी स्थिति में हो, तो जातक की इस क्षेत्र में कार्य करने की प्रबल संभावना होती हे। यदि कुंडली में ज्ञान कारक गुरु लग्न में बैठकर लाभेश व घनेश को दृष्टि करे तथा शुक्र उच्च का होकर बुध के साथ बली हो, तो जातक की इस क्षेत्र में सफल होता है। बैकिंग क्षेत्र का कारक बुध यदि कुंडली के दशम भाव में सप्तमेश के साथ युति करे, साथ ही भाग्येश होकर शुक्र स्वग्रही अथवा उच्च राशि का हो तथा दशमेश व धनेश की युति लाभ भाव में हो, तो जातक इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर धनार्जन करता है । यदि कुंडली से लग्नेश व जनता के घर के स्वामी के बीच युति अथवा दृष्टि संबंध हो, लाभेश केन्द्र स्थित लग्नेश को देखता हो, कारक ग्रह बुध एवं शुक्र युति
अथवा दृष्टि द्वारा भाग्य अथवा कर्मभाव से संबंध रखते हो, तो भी जातक बैकिंग के क्षेत्र में रुझान कर जीवन यापन करता है। लग्नेश का संबंध वाणिज्य कारक बुध से युति या दृष्टि द्वारा संबंध हो, कर्मेश का संबंध जनता भाव के स्वामी चतुर्थेश से हो, धनभाव में त्रिकोंणेश होकर गुरु अपनी नवंम दृष्टि से कर्म भाव को प्रभावित करें, साथ ही जनता कारक शनि
जनता के ही घर चतुर्थ में बैठकर कर्मभाव या कर्मेश, लग्न या लग्नेश को दृष्टि से प्रभावित करे तथा प्रेरक राहु की शुभ दृष्टि लाभ भाव पर हो तो ऐसा जातक बैंकिग क्षेत्र में पद प्राप्त करता है । यदि कुंडली में लग्नेश कर्मेश के साथ युति कर केन्द्र या त्रिकोंण में कारक बुध या शुक्र से दृष्ट हो रहा हो, शिक्षा कारक गुरु भी अपनी शुभ स्थिति से लाभभाव, भाग्यभाव, लग्न या धन भाव को प्रभावित को और जनता का कारक शनि की दृष्टि लग्न या लग्नेश, लाभ या लाभेश, कर्म या कर्मेशा या धन या धनेश में से किसी पर भी हो, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र में कार्य करता है ।
अथवा दृष्टि द्वारा भाग्य अथवा कर्मभाव से संबंध रखते हो, तो भी जातक बैकिंग के क्षेत्र में रुझान कर जीवन यापन करता है। लग्नेश का संबंध वाणिज्य कारक बुध से युति या दृष्टि द्वारा संबंध हो, कर्मेश का संबंध जनता भाव के स्वामी चतुर्थेश से हो, धनभाव में त्रिकोंणेश होकर गुरु अपनी नवंम दृष्टि से कर्म भाव को प्रभावित करें, साथ ही जनता कारक शनि
जनता के ही घर चतुर्थ में बैठकर कर्मभाव या कर्मेश, लग्न या लग्नेश को दृष्टि से प्रभावित करे तथा प्रेरक राहु की शुभ दृष्टि लाभ भाव पर हो तो ऐसा जातक बैंकिग क्षेत्र में पद प्राप्त करता है । यदि कुंडली में लग्नेश कर्मेश के साथ युति कर केन्द्र या त्रिकोंण में कारक बुध या शुक्र से दृष्ट हो रहा हो, शिक्षा कारक गुरु भी अपनी शुभ स्थिति से लाभभाव, भाग्यभाव, लग्न या धन भाव को प्रभावित को और जनता का कारक शनि की दृष्टि लग्न या लग्नेश, लाभ या लाभेश, कर्म या कर्मेशा या धन या धनेश में से किसी पर भी हो, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र में कार्य करता है ।
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