प्रत्येक प्रकार के औद्योगिक या रिहायशी उपयोग के भवनों के निर्माण का कार्य मिट्टी की खुदाई तथा नींव रखने जैसे अनेक चरणों से गुजरते हुए पूर्णता की स्थिति तक पहुंचता है। सहज पूर्णता के लिए व्यक्ति को शुभ तिथि, पक्ष, लग्न एवं वार आदि की यदि समुचित जानकारी हो तो कार्य सरल हो जाता है। इन सब पहलुओं पक्षों के बारे में विस्तृत और सरल जानकारी प्राप्त करने के लिए यह लेख उपयोगी है। निर्माणाधीन रिहायशी मकान या भवन सभी परिवारजनों के लिए तथा व्यावसायिक या औद्योगिक भवन कंपनी के हिस्सेदारों, निदेद्गाकों तथा ग्राहकों और अंद्गाभागियों सभी के लिए शांति, समृद्धि, उन्नति, स्वास्थ्य, धन और प्रसन्नतादायक हो, इसके लिए खुदाई का शुभ मुहूर्त सुनिश्चित करना और शिलान्यास करना अति महत्वपूर्ण है। भवन-निर्माण प्रारंभ करने हेतु शुभ और अशुभ माह और उनके परिणाम- इसके लिए निम्नलिखित अवधि सर्वोत्तम मानी जाती हैं - महीने की 14 तारीख से आगामी महीने की 13 तारीख तक : वैशाख, श्रावण और फाल्गुन ये महीने अच्छे और शुभ तथा परिवार के लिए हितकारी, लाभदायक और धनप्रद रहते हैं। यह वास्तु राज वल्लभ (श्लोक 1/7) द्वारा भी अभिमत है। सुप्रसिद्ध ज्योतिषी और विद्वान योगेश्वर आचार्य के अनुसार कोई भी निर्माण कार्य आषाढ़ (जून-जुलाई), चैत्र (मार्च-अप्रैल), आश्विन (सितंबर-अक्तूबर), कार्तिक (अक्तूबर-नवंबर), माघ (जनवरी-फरवरी), ज्येष्ठ (मई-जून) या भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) में प्रारंभ नहीं करना चाहिए। इस दृष्टि से ये मास अशुभ माने जाते हैं और असंखय समस्याओं और मुसीबतों का कारण बनते हैं। स्थानीय रीति-रिवाजों का अनुसरण करना अधिक अच्छा होता है। पक्ष : मिट्टी की खुदाई, शिलान्यास इत्यादि सभी अच्छी चीजें शुक्लपक्ष में ही प्रारंभ होनी चाहिए, जब चंद्रमा बढ़ता है। कृष्णपक्ष में जब चंद्रमा घटता है तब ये कार्य शुभ नहीं माने जाते। तिथि : द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा शुभ मानी गई हैं। कई विद्वानों के अनुसार पूर्णिमा (पूर्ण चंद्रदिवस) को भी कोई कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए। कोई भी कार्य 1, 4, 8, 9 और 14 तिथियों तथा अमावस्या को प्रारंभ नहीं करना चाहिए, क्योंकि निम्नलिखित कुप्रभाव सुनिश्चित है- प्रतिपदा (1) - निर्धनता। चतुर्थी (4) - धन हानि। अष्टमी (8) - उन्नति में बाधा नवमी (9) - फसल में हानि और दुःख। चतुर्दशी (14) - महिलाओं के लिए हानिकारक व निराशा। कुछ विद्वानों का सुझाव है कि अपरिहार्य परिस्थितियों में कृष्ण पक्ष की द्वितीया (2), तृतीया (3), पंचमी (5) ठीक-ठाक माने जाते हैं। लग्नोदय : वृषभ, मिथुन, वृश्चिक, कुंभ - शुभ। मेष, कर्क, तुला, मकर - मध्यम। सिंह, कन्या, धनु, मीन - इन लग्नों से बचना चाहिए। दिवस : सोमवार - प्रसन्नता और समृद्धि दायक। बुधवार - प्रसन्नतादायक। बृहस्पतिवार - दीर्घ आयु, प्रसन्नता और सुसंतानदायक। शुक्रवार - मन की शांति, उन्नति और समृद्धि देने वाला होता है। रविवार, मंगलवार और शनिवार से बचना चाहिए, क्योंकि इनके परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। परंतु राजस्थान में सभी शुभ कार्यों हेतु शनिवार (स्थिर वार) शुभ माना गया है। नक्षत्र : रोहिणी, मृगशिरा उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती, अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, श्रवण भी कुछ विद्वानों के द्वारा शुभ माने गये हैं। दक्षिण भारत में कृत्तिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद से बचने की सलाह दी जाती है। योग : प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, ध्रुव, सिद्ध, शिव, साध्य, शुभ, इंद्र, ब्रह्मा शुभ माने जाते हैं। लेकिन दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलभाषी प्रदेश में मात्र तीन योग ही माने जाते हैं। अमृत योग - अति उत्तम सिद्ध योग - शुभ। मृत्यु योग - बहुत बुरा। इससे हर हालत में बचना चाहिए। करण : बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज शुभ माने जाते हैं। अन्य : इन चीजों के अतिरिक्त आय, व्यय के अंश भी देखने चाहिए। अग्नि नक्षत्र (भरणी चतुर्थ चरण से रोहिणी द्वितीय चरण तक) पूर्णतः वर्जित हैं। जिस वर्ष माघ माह में महाकुंभ मेला (उत्तर में, इलाहाबाद में) (12 वर्ष में एक बार) और कुंभ कोणम (तमिलनाडु के तंजोर जिले में) आता है, उससे बचना चाहिए। निर्माण - कार्य प्रारंभ करने के लिए मलमास निषिद्ध है। शुभ होरा भी देखना चाहिए और निर्माण के समय, अच्छे या बुरे, शकुनों पर भी ध्यान देना चाहिए। भूमि-चयन दोष का भी ध्यान रखना चाहिए और इससे बचना चाहिए। इस संदर्भ में कुछ बिंदु ध्यान रखने योग्य हैं- प्रायः किसी भी कार्य में शनिवार निषिद्ध है। परंतु निर्माण आरंभ करने हेतु स्वाति नक्षत्र, सिंह लग्न, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि, श्रावण मास में शुभ योग के साथ शनिवार सर्वोत्तम, शुभ व सौभाग्यशाली माना जाता है। यह मालिक और उसके परिवारजनों के लिए गाड़ी, धन-लाभ और समृद्धि दायक होगा। जब तक उपर्युक्त भाग्यशाली तालमेल न हो तब तक प्राय सिंह लग्न से बचना चाहिए। मिट्टी की खुदाई प्रारंभ करने, शिलान्यास करने, निर्माण प्रारंभ करने और गृह प्रवेश या भवन का प्रतिष्ठान करने के लिए शुभ मुहूर्त अति आवश्यक है। बिना उचित मुहूर्त के प्रारंभ किया गया भवन निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ता। अनेक प्रकार की बाधाएं अकस्मात् आ जाती हैं और कार्य आधा-अधूरा छोड़ना पड़ता है, जिससे मानसिक संताप, आर्थिक हानि और अन्य कई समस्याएं होती हैं। इसलिए हम यदि अच्छे मुहूर्त यानी वास्तु-पुरुष की जागृत-अवस्था में कार्य प्रारंभ करें तो वास्तु या अन्य किसी दोष का निवारण स्वतः ही हो जाता है। जब किसी महीने में वास्तु-पुरुष चौबीस घंटे सो रहे हों तो कोई भी निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए।
best astrologer in India, best astrologer in Chhattisgarh, best astrologer in astrocounseling, best Vedic astrologer, best astrologer for marital issues, best astrologer for career guidance, best astrologer for problems related to marriage, best astrologer for problems related to investments and financial gains, best astrologer for political and social career,best astrologer for problems related to love life,best astrologer for problems related to law and litigation,best astrologer for dispute
No comments:
Post a Comment