साधारणत: इस रेखा का प्रारम्भ चन्द्र-क्षेत्र से होना चाहिये किन्तु बहुत कम हाथों में ऐसा होता है । बहुत बार यह ( १) जीवन-रेखा से (२) या भाग्य-रेखा से या (३) करतल-मध्य से
प्रारम्भ होकर बुध-गोत्र की ओर जाती है । यदि भाग्य-रेखा और चन्द्र-क्षेत्र के बीच से यह-रेखा प्रारम्भ हो तो कोई दोष नहीं किन्तु भाग्य-रेखा या जीवन-रेखा या इन दोनों के बीच के स्थान से प्रारम्भ होना अच्छज्जा लक्षण नहीं है| यदि स्वास्थ्य-रेखा जीवन-रेखा से प्रारम्भ हो तो ऐसा जातक पूर्ण स्वस्थ नहीं रहेगा । जीवन-रेखा से प्रारम्भ होकर कोई रेखा स्वास्थ्य-रेखा से मिल जावे तो उसे अशुभ लक्षण नहीं समझना चाहिए । यदि स्वास्थ्य-रेखा गहरी हो तो स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा । उत्तम स्वास्थ्य रहने से अलसी स्मरण-शक्ति, बुद्धिमत्ता आदि गुपा भी होगे । यदि किसी की जीवन-रेखा पतली, शुह्नलत्कार या अन्य दोष-युक्त हो और स्वास्थ्य-रेखा उत्तम हो तो जिस प्रकार सुन्दर मंगल-रेखा जीवन-रेखा के दोष को दूर कर प्राणों को बल प्रदान करती है, उसी प्रकार सुन्दर स्वास्थ्य-रेखा होने से दोषयुक्त जीवन-रेखा के अशुभ फल कम हो जायेगे ।मस्तिष्क की कमजोरी प्राय: मंदाग्नि आदि पेट की खराबी से होती है । इस कारण शीर्ष-रेखा अच्छी भी हो किन्तु स्वास्थ्य-रेखा खराब हो तो शीर्ष-रेखा का पूर्ण शुभ फल नहीं प्राप्त होगा । सुन्दर स्वास्थ्य-रेखा होते से हृदय-रेखा के दोष भी कुछ अंशों तक दब जाते हैं । इसका कारण यह है कि हृदय और जिगर का सम्बन्ध है ।यदि तीनों रेखायें ( जीवन, शीर्ष और हृदय) सुन्दर हो और मंगल तथा स्वास्थ्य-रेखायें पी अच्छनें हों तो ऐसा जातक पूर्ण स्वस्थ रहेगा । यदि ऐसे व्यक्ति का मगल-क्षेत्र अति उन्नत हो, हाथों पर बाल हों तो उसमें तामसिक प्रकृति अधिक होने के कारण उसे कसरत, खेल-कुद आदि में अपनी शक्ति लगानी चाहि ' अन्यथा उसकी पूर्ण शक्ति उसे प्रकारों की ओर ले जावेगी ।
प्रारम्भ होकर बुध-गोत्र की ओर जाती है । यदि भाग्य-रेखा और चन्द्र-क्षेत्र के बीच से यह-रेखा प्रारम्भ हो तो कोई दोष नहीं किन्तु भाग्य-रेखा या जीवन-रेखा या इन दोनों के बीच के स्थान से प्रारम्भ होना अच्छज्जा लक्षण नहीं है| यदि स्वास्थ्य-रेखा जीवन-रेखा से प्रारम्भ हो तो ऐसा जातक पूर्ण स्वस्थ नहीं रहेगा । जीवन-रेखा से प्रारम्भ होकर कोई रेखा स्वास्थ्य-रेखा से मिल जावे तो उसे अशुभ लक्षण नहीं समझना चाहिए । यदि स्वास्थ्य-रेखा गहरी हो तो स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा । उत्तम स्वास्थ्य रहने से अलसी स्मरण-शक्ति, बुद्धिमत्ता आदि गुपा भी होगे । यदि किसी की जीवन-रेखा पतली, शुह्नलत्कार या अन्य दोष-युक्त हो और स्वास्थ्य-रेखा उत्तम हो तो जिस प्रकार सुन्दर मंगल-रेखा जीवन-रेखा के दोष को दूर कर प्राणों को बल प्रदान करती है, उसी प्रकार सुन्दर स्वास्थ्य-रेखा होने से दोषयुक्त जीवन-रेखा के अशुभ फल कम हो जायेगे ।मस्तिष्क की कमजोरी प्राय: मंदाग्नि आदि पेट की खराबी से होती है । इस कारण शीर्ष-रेखा अच्छी भी हो किन्तु स्वास्थ्य-रेखा खराब हो तो शीर्ष-रेखा का पूर्ण शुभ फल नहीं प्राप्त होगा । सुन्दर स्वास्थ्य-रेखा होते से हृदय-रेखा के दोष भी कुछ अंशों तक दब जाते हैं । इसका कारण यह है कि हृदय और जिगर का सम्बन्ध है ।यदि तीनों रेखायें ( जीवन, शीर्ष और हृदय) सुन्दर हो और मंगल तथा स्वास्थ्य-रेखायें पी अच्छनें हों तो ऐसा जातक पूर्ण स्वस्थ रहेगा । यदि ऐसे व्यक्ति का मगल-क्षेत्र अति उन्नत हो, हाथों पर बाल हों तो उसमें तामसिक प्रकृति अधिक होने के कारण उसे कसरत, खेल-कुद आदि में अपनी शक्ति लगानी चाहि ' अन्यथा उसकी पूर्ण शक्ति उसे प्रकारों की ओर ले जावेगी ।
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