Saturday, 26 September 2015

हाथ में मंगल क्षेत्र

मंगल-क्षेत्र-मंगल के दो क्षेत्र होते है । एक चन्द्र-क्षेत्र और बुध क्षेत्र के बीच में और दूसरा बृहस्पति क्षेत्र के नीचे जहाँ से जीवन-रेखा प्रारम्भ होती है । यह दूसरा क्षेत्र जीवन-रेखा के अन्दर शुकक्षेत्र की समाप्ति पर होता है ।मंगल का साधारण गुण है साहस, बल, लड़ाई की शक्ति, प्रवृत्ति ग्रेरदि । ये सब गुण मंगल के प्रथम क्षेत्र से विचार करने चाहिये । जिनका यह क्षेत्र उच्च हो वे साहसी होगे, लड़ाई करेगे और द्बेगें नहीं ( यह प्राय: अनुभव-सिद्ध है कि बल-प्रयोग व साहस आदि का संसार में सदुपयोग भी होता है और दुरूपयोग भी । यदि हाथ में अन्य लक्षण अच्छे हों तो ऐसा व्यक्ति फौज में या जहाँ साहस की आवश्यकता हो ऐसे उच्च पद में सफल हो सकता है । इसके विपरीत यदि अन्य अशुभ लक्षण हों तो ऐसा व्यक्ति डाकू, लूट-मार करने वाला भी हो सकता है । यदि यह दबा हुआ हो तो मनुष्य कायर होता है । बहुत दबा हुआ होना जिस प्रकार दुर्गुण है उस प्रकार अत्यन्त ऊँचा होना भी दोषयुक्त है । वैसा होने से दुस्साहस, अत्याचार करने की प्रवृत्ति, क्रूरता आदि होती है ।
'साहस' का यदि विश्लेषण किया जावे तो दो प्रकार का होता है (१) जिसके होने से मनुष्य दूसरे पर आक्रमण करता है, ( २ ) जिसके कारण यदि कोई दूसरा आक्रमण करे तो मनुष्य बलपूर्वक अपनी रक्षा करता है । प्रथम प्रकार का साहस मंगल के प्रथम क्षेत्र से देखना चाहिए । दूसरे प्रकार का साहस अर्थात् अपनी रक्षा करने की क्षमता, धैर्य, आत्म-संयम आदि गुण मंगल के द्वितीय क्षेत्र से देखने चाहिये । मंगल-क्षेत्र उच्च होने से खून में जोश जल्दी आता है । यदि अन्य रोग चिह्न हों तो रक्तचाप-वृद्धि, चर्म-विकार, रक्त-विकार आदि रोग होते हैं । पेट में शोथ भी होता है ।

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