1.प्रारम्भिक हाथ
प्रारम्भिक हाथ के स्वामी प्रायः या तो सीमित बुद्धि के स्वामी होते हैं या फिर कम बुद्धि होती है, ऐसे लोगों का निम्न या साधारण व्यक्तित्व होता हैं। इस प्रकार के हाथ वाले कुछ लोग अपराधी, और बुद्धिहीन होते हैं। इनकी मानसिक क्षमता न के बराबर होती है। क्योंकि जो थोड़ी बहुत बुद्धि इनमें होती भी है, उसका ये उपयोग नहीं करपाते तथा परिश्रम करने में
भी ये लोग पीछे होते हैं। ऐसे लोगों का हाथ देखने पर सरलता से ज्ञात जाता है कि तर्क और विचार नाम की वस्तु इनके पास नहीं होती। सिर्फ पीना, खाना, और वासना इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य होता हैं। इस प्रकार की हथेली पहले वर्ण की अधिक पायी जाती हैं। अंगुलियाँ छोटी और कड़ी होती हैं। इनमें आवेग अधिक पाया जाता है तथा उसका नियन्त्रण करना इनके लिए बहुत कठिन होता है। ये लोग इस तर्क को मानते हैं कि- यावज्जिवेत् सुखं जिवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्। यही इनका आदर्श वाक्य होता है। रंग, रुप,और संगीत पर ये ज्यादा गौर फरमाते हैं स्वास्थ्य और अध्ययन को बेकार समझते हैं। किसान, मजदूर, कारीगर, श्रमिक फेरी वाला, नाविक,कसायी, आदि श्रेणी के लोगों का हाथ इसी प्रकार का होता है। ऐसे हाथों के अंगुलियों का नाखून छोटे होते हैं। अगर ऐसा हाथ अध्ययन किया जाय, तो प्रायः अंगुलियों की लम्बाई लगभग हथेलियों के बराबर होती है। अगर हथेली की अपेक्षा अंगुलियों की लम्बाई अधिक होगी, तो वौद्धिक क्षमता अधिक होगी। कभी-2 कुछ हाथ अविकसित होते हैं, जिनमें रेखाओं का अभाव होता है। अगर ऐसी स्थिति में गहन अध्ययन किया जाय तो हिंसक प्रवृत्ति उत्पन्न करने वाला हाथ कहा जा सकता है। इनमें इच्छाओं और कार्यों पर कोई नियन्त्रण नहीं होता। रुप रंग सौंदर्य आदि के प्रति भी ज्यादा रुचि नहीं होती तथा कुछ लोगों में धूर्तता भी पायी जाती है।
2. वर्गाकार हाथ
वर्गाकार हाथ की बनावट एक चतुष्कोण की तरह होता है, अंगुलियों का आकार भी वर्गाकार माना गया है। जीवन के विभिनन क्षेत्रों में इस प्रकार के हाथ पाये गये हैं। इस प्रकार के हाथ के नाखून भी वर्गाकार लेकिन कुछ छोटे होते है। इस प्रकार के हाथ के स्वामी अध्यवसायी एवं कर्मठ होते हैं। इस श्रेणी के व्यक्ति किसी का आदेश पालन करने में असफल होते हैं। ऐसे हाथ वाले दूरदर्शी होते हैं, धैर्यवान होते हैं। पुराने रीति रिवाजों में फेरबदल करना इनका स्वभाव नहीं होता, जीर्ण-शीर्ण कपड़े भी पहन लेते हैं और अच्छे दिखते हैं। स्वतः के दैनिक आचरण से समय के पाबन्द और व्यवहार के खरे होते हैं। सत्ता का सम्मान और अनुशासन के प्रति ऐसे लोग ज्यादा लगाव रखते हैं। काल्पनिक लोगों से पटती नहीं और तर्क तथा कलह में इनकी हार कभी नहीं होती। इनको नियम और सिद्धान्त प्रिय होता है तथा जीवन में हर वस्तु के लिए स्थान होता है। हर काम को रुचिपूर्ण करना इनका स्वाभाविक गुण होता है। ये विचारों की अपेक्षा सिद्धान्तप्रिय होते हैं। अल्पभाषी होने के साथ-2 इच्छा शक्ति की दृढ़ता और चारित्रिक शक्ति के कारण प्रत्येक क्षेत्र में सफल होते हैं वर्गाकार हाथों में अनेक भेद होते हैं जैसे छोटी अंगुलियों का वर्गाकार हाथ, लम्बी अंगुलियों का गठीली, अंगुलियों वाला, शंकु के आकार की अंगुलियों वाला, मिश्रित अंगुलियों वाला, चपटा हाथ, आदि।
3.दार्शनिक हाथ
दार्शनिक हाथ के स्वामी महत्वाकांक्षी होते हैं तथा मानव जाति और मानवता में दिलचस्पी रखते हैं अंगे्रजी भाषा में ऐसे हाथ को फिलास्पिकल हाथ की संज्ञा दी गयी है। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के फिलाॅस (philos) शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है प्रेम का अनुशरण और (sophia)सोफिया शब्द का अर्थ है प्रबुद्धता दार्शनिक हाँथों की अंगुलियों में गांठें बाहर की ओर उठी होती हैं तथा नाखून कुछ लम्बे होते हैं। ऐसे लोगों को धनोपार्जन में काफी परेशानियाँ होती हैं। ऐसे लोगों में बुद्धि और ज्ञान का महत्व धन, सोने और चांदी से अधिक होता है तथा मानसिक विकाश के कार्यो में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। अपने कार्य-कलाप, व्यापार, फैक्ट्री आदि में आवश्यता, पड़ने पर ठोस प्रमाण के लिए खूब छान-बीन करते हैं। यदि अंगुलियाँ नुकीली होंगी, तो हर कार्य चतुरायी से करने वाले होते हैं। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं तथा सच्चायी को वरीयता देते हैं। ऐसे लोग यदि चित्रकार होते हैं तो उनकी कला में रहस्यवाद झलकता है। कवि होते हैं तो प्रेम और विरह की पीड़ा का वर्णन न होकर दार्शनिक बातों का उल्लेख पाया जाता है। ये ज्ञान को ही शक्ति और अधिकार देने वाला मानते हैं और अन्य लोगों से भिन्न रहना चाहते हैं। जीवनवीणा के हर तार और उसकी धुन से ये परिचित होते हैं उद्देश्य पूर्ति हेतु हर सम्भव प्रयास करते हैं तथा ऐसे हाथ भारत में ज्यादा देखने को मिलते हैं। यदि दार्शनिक हाथ अधिक उन्नत एवं विकसित होता है तो ऐसे लोग धर्मात्मा बन जाते हैं और रहस्यवाद की सीमा पर अतिक्रमण कर जाते हैं। कुछ दार्शनिक हाथ कोमल और कुछ नुकीली अंगुली वाले होते हैं। इस प्रकार के हाथ वाले बातचीत में निपुण, हर विषय को समझने की क्षमता, तत्काल निर्णय की भावना, मित्रता, प्रेम, अनुराग में परिवर्तन की चेष्टा, भावुक सहसा क्रोधी, उदारता, सहानुभूति तथा कभी स्वार्थी होते हैं। जब इस प्रकार का कठोर हाथ हो तो कलाप्रिय, दृढ़संकल्प, राजनीतिज्ञ, रंगमंच के ज्ञाता, होते हैं। गायिका का हाथ अगर इस प्रकार का हो तो गाने से पूर्व की तैयारी नहीं करती। स्पष्ट है कि इस प्रकार के हाथ वाले पूर्ण रुप से सोच-विचार कर कार्य नहीं कर पाते। इस प्रकार के लोगों का सबसे बड़ा गुण और शक्ति तत्कालिकता होती है तथा उनकी सफलता का आधार भी यही होता है। अगर ऐसा ही हाथ अधिक नुकीला होता है तो सबसे अधिक भाग्यहीन हाथ माना जाता है, जबकि देखने में इसकी आकृति सब प्रकार के हाथों से सुन्दर होती है। तथा परिश्रम करने में ऐसे लोग सर्वथा पीछे होते हैं तथा सपनों के संसार में विचरण करने वाले आदर्शवादी होते हैं एवं प्रत्येक वस्तुओं में सौंदर्य खोजते हैं। और पाने पर सम्मान करते हैं। समय की पाबन्दी व्यवस्था अथवा अनुशासन का कोई महत्व नहीं देते तथा बड़ी आसानी से दूसरे के प्रभाव में आ जाते हैं।इच्छा न होने पर भी परिस्थियों के अनुसार परिवर्तित होना पड़ता है। प्राकृतिक रंगों के प्रति आर्कषण होता है। यथार्थ और सत्य की खोज करने में असमर्थ होते हैं। संगीत तथा रस्मों से प्रभावित होते हैं। ऐसे सुन्दर और सुकुमार हाथों के स्वामी कभी-कभी स्वभाव से इतने भावुक होते हैं कि परिस्थितियों को देखकर सोचने लगते हैं कि उनका जीवन व्यर्थ है।
इसका परिणाम यह होता है कि मनःस्थिति में विकृति आ जाती है और जीवन के प्रति उदासीन हो जाते हैं। ऐसे लोगों को निरर्थक न समझ कर उन्हे प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हे स्वयं को उपयोगी बनाने हेतु सहायता करनी चाहिए।
4.कर्मठ हाथ
कर्मठ हाथ में ऊपरी हिस्सा (अंगुलियों का क्षेत्र) कुछ नुकीला होता है। मणिबन्ध और शुक्र (चन्द्र पर्वत के आस-पास का भाग) मांशलयुक्त एवं चैड़ा होता है। ऐसे हाथों के स्वामी ज्यादा समय तक लगातार कार्य करने में असमर्थ होते हैं। कलात्मक कामों में ऐसे लोग ज्यादा सफल पाये गये हैं इन्हें स्वतन्त्र कार्य करने में ज्यादा रुचि होती है तथा किसी भी नये कार्य को परिश्रम पूर्वक पूरा करते हैं। ऐसे हाथ के स्वामी ज्यादातर ब्रिटेन और अमेरिका में पाये जाते हैं। ऐसे हाथ में अंगूठे और तर्जनी के मध्य ज्यादा खाली स्थान होने पर दया, प्रेम तथा मानवीय गुण ज्यादा होता है। इनमें यह विशेषता भी पायी जाती है कि कभी अपना कार्य बड़ी चालाकी से दूसरों द्वारा सम्पन्न करवा लेते हैं। सुख-दुख का इन्हें ज्ञान होता है तथा देशभ्रमण करने के शौकीन भी होते हैं। इनमें कार्य के समय उत्साह नजर आता है। पराविज्ञान में इनकी न ही आस्था होती है न प्रेम तथा धर्म, योग में पीछे होते हैं। अगर अंगुलियां नरम होंगी तो थोड़ा चिड़चिड़ापन होगा। अगर यही अंगुलियाँ चपटी होगी तो नौकरी और सेवा कार्य की ओर ज्यादा झुकाव होगा। ऐसे हाथों के लोग भारत में हिमालय की पहाडि़यों तथा उत्तरी क्षेत्रों में ज्यादा पाये जाते हैं।
5.चमसाकार हाथ
जैसे नाम से ही जाहिर है कि चमसाकार अर्थात चम्मच जैसा हाथ, यानी जिस हाथ की आकृति चम्मच जैसी हो, अंगुलियों की बनावट भी आगे से चम्मच की तरह गोलाई लिये हो। इन हाथों का एक विशेष लक्षण यह है कि इनकी अंगुलियों में छिद्र होते हैं। इन हाथों में लगभग सभी रेखाएं पायी जाती हैं। इनकी रेखाओं में कोई न कोई दोष अवश्य पाया जाता है। इनमें अंगुलियां और हथेली न बड़ी, न छोटी, अर्थात मध्यम होती हैं। कोई एक अंगुली तिरछी या टेढ़ी होती है। चमसाकार हाथ वाली महिलाएं रूढि़वादी नहीं होती हैं। ये हमेशा कुछ अलग कर दिखाने की फिराक में रहती हैं। इसलिए इन्हें जीवन में सफलता देर से मिलती है। इन्हें पारिवारिक सहायता या रिश्तेदारी से मदद कम मिलती है। अगर मंगल ग्रह उन्नत हो, तो ऐसे लोग वीर होते हैं। ऐसे लोगों का गुरु ग्रह उन्नत हो, तो इन्हें सत्संग या ज्ञान आदि में रुचि होती है। ऐसे लोग बहुत लापरवाह भी होते हैं। इनके जीवन में बहुत परिवर्तन होते हैं। हाथ अगर भारी न हो तो इन्हें अपने जीवन में अत्यधिक संघर्ष के बाद सफलता मिलती है। अगर बुध की अंगुली तिरछी हो, तो ये बातूनी स्वभाव के होते हैं। चमसाकार हाथ वाले अनोखे स्वभाव के होते हैं तथा इनके जीवन में तकरीबन सभी प्रसंग घटते हैं, जैसे प्रेम, दोस्ती आदि। इनकी संतान तेज स्वभाव की होती है एवं इन्हें गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता है। हाथ का रंग काला और वह पतला होने पर ऐसे लोगों को कानून और जेल संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं की दूसरों से कम ही बनती है। ऐसी महिलाओं को खुद झगड़ा मोल लेने का शौक नहीं होता है पर ये झगड़े में जल्दी पड़ जाती हैं। इनका स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इन्हें अपने मां-बाप, या पति के मां-बाप, दोनों में से एक का ही सुख मिलता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चमसाकार हाथ वाले तरक्की अवश्य करते हैं। बडे़-बडे़ वैज्ञानिकों, खोजकारों एवं अन्वेषण करने वालों का हाथ भी कई बार चमसाकार ही पाया गया है।
6.कलात्मक हाथ
कलात्मक हाथों की बनावट नर्म होती है ऐसे व्यक्ति उदार, प्रेमी और दयालु होते हैं। सुन्दर वस्तुओं, कलाकारिता, आकृति और रंग से निर्मित सामग्री को प्यार करते हैं। शान, शौकत, नृत्य, संगीत कैबरेडांस वगेरा में ज्यादा दिलचस्पी होती है। तुच्छ और हल्की चीजें इन्हें पसंद नहीं होती तथा ज्यादा बहस व तर्क वितर्क पसन्द नहीं करते। मानसिक दुर्बलता के कारण कई कार्य करने में असमर्थ होते हैं। व्यवसाय वाणिज्य में ज्यादा चालाक नहीं होते। इन्हें ज्ञान, भावना सुहृदयता होने के बाबजूद प्रवृत्ति से ही ज्यादा काम की ओर झुकाव होता है। अंगुलियों में गांठ होने से व्यक्ति तार्किक और आलोचनात्मक प्रवृत्ति का होता है। ऐसे लोग मेहनत करके अध्ययन में भी सफल होते हैं। परन्तु इसे अपना मूल आधार समझ कर ये लोग कभी-2 बड़ी भूल कर बैठते हैं। ये व्यक्ति कला क्षेत्र में सफल होते दिखे हैं और यही इनके जीवन का अभिन्न अंग है। व्यवहारिक दृष्टि से ये प्रायः सफल नहीं हो पाते, कारण की इनके स्वभाव में लापरवाही होती है।
7.आदर्श हाथ
आदर्श हाथ के स्वामी का मस्तिष्क प्रखर एवं तीक्ष्ण बुद्धि होती है यह प्रारम्भिक हाथ के लक्षणों के विपरीत होता है। यह देखने में अति सुन्दर होता है। इस हाथ की महिलाओं को दन्त कथायें सुनना ज्यादा पसन्द होता है। उनकी बुद्धि तथा कामोद्वेग ये सब आन्तरिक आत्मा से सम्बन्ध रखने वाले हैं। फिजिकल सेक्स इनसे कोशों दूर होता है। हाथ का आकार तो छोटा ही होता है परन्तु अंगुलियों का अनुपातिक सम्बन्ध होता है। ऐसे हाथ मुलायम एवं सुडौल होते हैं। रंग लाल एवं गुलाबी पाया जाता है तथा अंगुलियाँ सुन्दर एवं नख गेहुँए रंग का होता है और अंगूठा छोटा होता है। ऐसे हाथ के स्वामी स्वप्न की दुनिया में विचरण करते हुए अच्छे विचार एवं वसूलयुक्त आदर्श के पुजारी कहे जा सकते हैं। साधारणतः ये आर्थिक सम्पन्न होते हैं तो जीवन काफी सुखी होता है। सेाने के बाद उठते ही चेहरे पर हंसी होना इनकी पहचान और विशेषता है। आर्थिक दृष्टि से ये असफल होते है। यदि ये किसी तरह से धन और आवश्यकताओं के प्रति आश्वस्त हो जायें, तो वास्तव में एक आदर्श बन सकते हैं।
8.छोटा हाथ
जो हाथ अन्य हाथों की अपेक्षा छोटा हो, वह हाथ छोटा कहलाता है। छोटा हाथ होने पर मस्तिष्क रेखा स्पष्ट और हाथ भारी हो, तो ऐसे लोग बहुत ही कुशाग्र बुद्धि वाले तथा शीघ्र ही उन्नति करने वाले होते हैं। छोटे हाथ वाले अगर भारी हाथ रखते हों, तो बहुत ही चालाकी से काम लेने और बहुत ही सोच-समझ कर खर्च करने वाले होते हैं। ऐसे लोग बेकार अपना समय और पैसा बर्बाद करने वाले नहीं होते हैं। इनकी संतान भी कुछ इसी प्रकार की होती है। ऐसी महिलाएं भी बहुत सोच-समझ कर
खर्च करती हैं, कि वसूली पूरी हो जाए। अगर हाथ भारी हो, तो ऐसे पुरुष भी अपने परिवार पर खर्च करते हैं तथा वे फालतू खर्च नहीं करते। राजनीति में ऐसे लोग बहुत ही सफल होते हैं और अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों से बखूबी काम लेना जानते हैं। इन्हें सफल प्रशासक भी कहा जाता है। कुल मिलाकर ऐसे हाथों वाले लोग, जिनकी अन्य रेखाएं स्पष्ट, हाथ का रंग गुलाबी, हाथ भारी हो, बहुत सफल होते हैं।
9.मिश्रित हाथ
जिस हाथ में कई प्रकार की अंगुलियाँ पाई जाती हैं उसे मिश्रित हाथ कहते हैं। ये हाथ और अंगुलियां किसी एक प्रकार के नहीं होते। अतः इसमें शुभ और अशुभ दोनों गुण विद्यमान होते हैं। ऐसे व्यक्ति एक ओर दयालु होते हैं और दूसरी ओर क्रोधी होना इनका स्वभाव होता है। बार-बार परिवर्तन इनकी विशेषता होती है। समाज में ऐसे लोगों का कोई सम्मान नहीं होता तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कठिनता होती है। ऐसे हाथों को किसी एक श्रेणी में नहीं सामिल किया जा सकता। मिश्रित हाथ के स्वामी चतुर तो होते हैं परन्तु बुद्धि का प्रयोग करते समय संयमित नहीं होते हैं। ऐसे लोग कई तरह के कार्य एक साथ ही करते हैं तथा उसे अंजाम देने के समय कदम लड़खड़ा जाता है और नुकसान कर बैठते हैं। ऐसे हाथ की अनामिका अगर बड़ी होती है, तो जुआ, सट्टा, लाटरी आदि कार्य करते हैं। ऐसे लोग कई क्षेत्रों में प्रतिभा स्थापित करते हैं। स्वतः के विचारों में विभिन्नता होती है तथा दूसरे के विचारों को सहजता से स्वीकार करते हैं। हर प्रकार के कार्य में खुश रहते हैं और जन समूह में ज्यादा तर्क-वितर्क करने से बचते हैं।, लेकिन अलग-अलग लोगों से बातें करके सबको उल्लू बना सकते हैं। इनके अंगूठे का आकार छोटा होता है, इनका चित्त स्थिर नहीं होता। प्रत्येक कार्य को अंजाम देने से पूर्व मध्य काल में स्थगित कर देना इनका स्वभाव होता है। परिणाम स्वरूप असफलता ही हाथ आती है और जीवन में निराशापन ज्यादा होता है तथा जीवन में
सफलता के लिए अधिकाधिक संघर्ष होता है।
प्रारम्भिक हाथ के स्वामी प्रायः या तो सीमित बुद्धि के स्वामी होते हैं या फिर कम बुद्धि होती है, ऐसे लोगों का निम्न या साधारण व्यक्तित्व होता हैं। इस प्रकार के हाथ वाले कुछ लोग अपराधी, और बुद्धिहीन होते हैं। इनकी मानसिक क्षमता न के बराबर होती है। क्योंकि जो थोड़ी बहुत बुद्धि इनमें होती भी है, उसका ये उपयोग नहीं करपाते तथा परिश्रम करने में
भी ये लोग पीछे होते हैं। ऐसे लोगों का हाथ देखने पर सरलता से ज्ञात जाता है कि तर्क और विचार नाम की वस्तु इनके पास नहीं होती। सिर्फ पीना, खाना, और वासना इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य होता हैं। इस प्रकार की हथेली पहले वर्ण की अधिक पायी जाती हैं। अंगुलियाँ छोटी और कड़ी होती हैं। इनमें आवेग अधिक पाया जाता है तथा उसका नियन्त्रण करना इनके लिए बहुत कठिन होता है। ये लोग इस तर्क को मानते हैं कि- यावज्जिवेत् सुखं जिवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्। यही इनका आदर्श वाक्य होता है। रंग, रुप,और संगीत पर ये ज्यादा गौर फरमाते हैं स्वास्थ्य और अध्ययन को बेकार समझते हैं। किसान, मजदूर, कारीगर, श्रमिक फेरी वाला, नाविक,कसायी, आदि श्रेणी के लोगों का हाथ इसी प्रकार का होता है। ऐसे हाथों के अंगुलियों का नाखून छोटे होते हैं। अगर ऐसा हाथ अध्ययन किया जाय, तो प्रायः अंगुलियों की लम्बाई लगभग हथेलियों के बराबर होती है। अगर हथेली की अपेक्षा अंगुलियों की लम्बाई अधिक होगी, तो वौद्धिक क्षमता अधिक होगी। कभी-2 कुछ हाथ अविकसित होते हैं, जिनमें रेखाओं का अभाव होता है। अगर ऐसी स्थिति में गहन अध्ययन किया जाय तो हिंसक प्रवृत्ति उत्पन्न करने वाला हाथ कहा जा सकता है। इनमें इच्छाओं और कार्यों पर कोई नियन्त्रण नहीं होता। रुप रंग सौंदर्य आदि के प्रति भी ज्यादा रुचि नहीं होती तथा कुछ लोगों में धूर्तता भी पायी जाती है।
2. वर्गाकार हाथ
वर्गाकार हाथ की बनावट एक चतुष्कोण की तरह होता है, अंगुलियों का आकार भी वर्गाकार माना गया है। जीवन के विभिनन क्षेत्रों में इस प्रकार के हाथ पाये गये हैं। इस प्रकार के हाथ के नाखून भी वर्गाकार लेकिन कुछ छोटे होते है। इस प्रकार के हाथ के स्वामी अध्यवसायी एवं कर्मठ होते हैं। इस श्रेणी के व्यक्ति किसी का आदेश पालन करने में असफल होते हैं। ऐसे हाथ वाले दूरदर्शी होते हैं, धैर्यवान होते हैं। पुराने रीति रिवाजों में फेरबदल करना इनका स्वभाव नहीं होता, जीर्ण-शीर्ण कपड़े भी पहन लेते हैं और अच्छे दिखते हैं। स्वतः के दैनिक आचरण से समय के पाबन्द और व्यवहार के खरे होते हैं। सत्ता का सम्मान और अनुशासन के प्रति ऐसे लोग ज्यादा लगाव रखते हैं। काल्पनिक लोगों से पटती नहीं और तर्क तथा कलह में इनकी हार कभी नहीं होती। इनको नियम और सिद्धान्त प्रिय होता है तथा जीवन में हर वस्तु के लिए स्थान होता है। हर काम को रुचिपूर्ण करना इनका स्वाभाविक गुण होता है। ये विचारों की अपेक्षा सिद्धान्तप्रिय होते हैं। अल्पभाषी होने के साथ-2 इच्छा शक्ति की दृढ़ता और चारित्रिक शक्ति के कारण प्रत्येक क्षेत्र में सफल होते हैं वर्गाकार हाथों में अनेक भेद होते हैं जैसे छोटी अंगुलियों का वर्गाकार हाथ, लम्बी अंगुलियों का गठीली, अंगुलियों वाला, शंकु के आकार की अंगुलियों वाला, मिश्रित अंगुलियों वाला, चपटा हाथ, आदि।
3.दार्शनिक हाथ
दार्शनिक हाथ के स्वामी महत्वाकांक्षी होते हैं तथा मानव जाति और मानवता में दिलचस्पी रखते हैं अंगे्रजी भाषा में ऐसे हाथ को फिलास्पिकल हाथ की संज्ञा दी गयी है। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के फिलाॅस (philos) शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है प्रेम का अनुशरण और (sophia)सोफिया शब्द का अर्थ है प्रबुद्धता दार्शनिक हाँथों की अंगुलियों में गांठें बाहर की ओर उठी होती हैं तथा नाखून कुछ लम्बे होते हैं। ऐसे लोगों को धनोपार्जन में काफी परेशानियाँ होती हैं। ऐसे लोगों में बुद्धि और ज्ञान का महत्व धन, सोने और चांदी से अधिक होता है तथा मानसिक विकाश के कार्यो में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। अपने कार्य-कलाप, व्यापार, फैक्ट्री आदि में आवश्यता, पड़ने पर ठोस प्रमाण के लिए खूब छान-बीन करते हैं। यदि अंगुलियाँ नुकीली होंगी, तो हर कार्य चतुरायी से करने वाले होते हैं। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं तथा सच्चायी को वरीयता देते हैं। ऐसे लोग यदि चित्रकार होते हैं तो उनकी कला में रहस्यवाद झलकता है। कवि होते हैं तो प्रेम और विरह की पीड़ा का वर्णन न होकर दार्शनिक बातों का उल्लेख पाया जाता है। ये ज्ञान को ही शक्ति और अधिकार देने वाला मानते हैं और अन्य लोगों से भिन्न रहना चाहते हैं। जीवनवीणा के हर तार और उसकी धुन से ये परिचित होते हैं उद्देश्य पूर्ति हेतु हर सम्भव प्रयास करते हैं तथा ऐसे हाथ भारत में ज्यादा देखने को मिलते हैं। यदि दार्शनिक हाथ अधिक उन्नत एवं विकसित होता है तो ऐसे लोग धर्मात्मा बन जाते हैं और रहस्यवाद की सीमा पर अतिक्रमण कर जाते हैं। कुछ दार्शनिक हाथ कोमल और कुछ नुकीली अंगुली वाले होते हैं। इस प्रकार के हाथ वाले बातचीत में निपुण, हर विषय को समझने की क्षमता, तत्काल निर्णय की भावना, मित्रता, प्रेम, अनुराग में परिवर्तन की चेष्टा, भावुक सहसा क्रोधी, उदारता, सहानुभूति तथा कभी स्वार्थी होते हैं। जब इस प्रकार का कठोर हाथ हो तो कलाप्रिय, दृढ़संकल्प, राजनीतिज्ञ, रंगमंच के ज्ञाता, होते हैं। गायिका का हाथ अगर इस प्रकार का हो तो गाने से पूर्व की तैयारी नहीं करती। स्पष्ट है कि इस प्रकार के हाथ वाले पूर्ण रुप से सोच-विचार कर कार्य नहीं कर पाते। इस प्रकार के लोगों का सबसे बड़ा गुण और शक्ति तत्कालिकता होती है तथा उनकी सफलता का आधार भी यही होता है। अगर ऐसा ही हाथ अधिक नुकीला होता है तो सबसे अधिक भाग्यहीन हाथ माना जाता है, जबकि देखने में इसकी आकृति सब प्रकार के हाथों से सुन्दर होती है। तथा परिश्रम करने में ऐसे लोग सर्वथा पीछे होते हैं तथा सपनों के संसार में विचरण करने वाले आदर्शवादी होते हैं एवं प्रत्येक वस्तुओं में सौंदर्य खोजते हैं। और पाने पर सम्मान करते हैं। समय की पाबन्दी व्यवस्था अथवा अनुशासन का कोई महत्व नहीं देते तथा बड़ी आसानी से दूसरे के प्रभाव में आ जाते हैं।इच्छा न होने पर भी परिस्थियों के अनुसार परिवर्तित होना पड़ता है। प्राकृतिक रंगों के प्रति आर्कषण होता है। यथार्थ और सत्य की खोज करने में असमर्थ होते हैं। संगीत तथा रस्मों से प्रभावित होते हैं। ऐसे सुन्दर और सुकुमार हाथों के स्वामी कभी-कभी स्वभाव से इतने भावुक होते हैं कि परिस्थितियों को देखकर सोचने लगते हैं कि उनका जीवन व्यर्थ है।
इसका परिणाम यह होता है कि मनःस्थिति में विकृति आ जाती है और जीवन के प्रति उदासीन हो जाते हैं। ऐसे लोगों को निरर्थक न समझ कर उन्हे प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हे स्वयं को उपयोगी बनाने हेतु सहायता करनी चाहिए।
4.कर्मठ हाथ
कर्मठ हाथ में ऊपरी हिस्सा (अंगुलियों का क्षेत्र) कुछ नुकीला होता है। मणिबन्ध और शुक्र (चन्द्र पर्वत के आस-पास का भाग) मांशलयुक्त एवं चैड़ा होता है। ऐसे हाथों के स्वामी ज्यादा समय तक लगातार कार्य करने में असमर्थ होते हैं। कलात्मक कामों में ऐसे लोग ज्यादा सफल पाये गये हैं इन्हें स्वतन्त्र कार्य करने में ज्यादा रुचि होती है तथा किसी भी नये कार्य को परिश्रम पूर्वक पूरा करते हैं। ऐसे हाथ के स्वामी ज्यादातर ब्रिटेन और अमेरिका में पाये जाते हैं। ऐसे हाथ में अंगूठे और तर्जनी के मध्य ज्यादा खाली स्थान होने पर दया, प्रेम तथा मानवीय गुण ज्यादा होता है। इनमें यह विशेषता भी पायी जाती है कि कभी अपना कार्य बड़ी चालाकी से दूसरों द्वारा सम्पन्न करवा लेते हैं। सुख-दुख का इन्हें ज्ञान होता है तथा देशभ्रमण करने के शौकीन भी होते हैं। इनमें कार्य के समय उत्साह नजर आता है। पराविज्ञान में इनकी न ही आस्था होती है न प्रेम तथा धर्म, योग में पीछे होते हैं। अगर अंगुलियां नरम होंगी तो थोड़ा चिड़चिड़ापन होगा। अगर यही अंगुलियाँ चपटी होगी तो नौकरी और सेवा कार्य की ओर ज्यादा झुकाव होगा। ऐसे हाथों के लोग भारत में हिमालय की पहाडि़यों तथा उत्तरी क्षेत्रों में ज्यादा पाये जाते हैं।
5.चमसाकार हाथ
जैसे नाम से ही जाहिर है कि चमसाकार अर्थात चम्मच जैसा हाथ, यानी जिस हाथ की आकृति चम्मच जैसी हो, अंगुलियों की बनावट भी आगे से चम्मच की तरह गोलाई लिये हो। इन हाथों का एक विशेष लक्षण यह है कि इनकी अंगुलियों में छिद्र होते हैं। इन हाथों में लगभग सभी रेखाएं पायी जाती हैं। इनकी रेखाओं में कोई न कोई दोष अवश्य पाया जाता है। इनमें अंगुलियां और हथेली न बड़ी, न छोटी, अर्थात मध्यम होती हैं। कोई एक अंगुली तिरछी या टेढ़ी होती है। चमसाकार हाथ वाली महिलाएं रूढि़वादी नहीं होती हैं। ये हमेशा कुछ अलग कर दिखाने की फिराक में रहती हैं। इसलिए इन्हें जीवन में सफलता देर से मिलती है। इन्हें पारिवारिक सहायता या रिश्तेदारी से मदद कम मिलती है। अगर मंगल ग्रह उन्नत हो, तो ऐसे लोग वीर होते हैं। ऐसे लोगों का गुरु ग्रह उन्नत हो, तो इन्हें सत्संग या ज्ञान आदि में रुचि होती है। ऐसे लोग बहुत लापरवाह भी होते हैं। इनके जीवन में बहुत परिवर्तन होते हैं। हाथ अगर भारी न हो तो इन्हें अपने जीवन में अत्यधिक संघर्ष के बाद सफलता मिलती है। अगर बुध की अंगुली तिरछी हो, तो ये बातूनी स्वभाव के होते हैं। चमसाकार हाथ वाले अनोखे स्वभाव के होते हैं तथा इनके जीवन में तकरीबन सभी प्रसंग घटते हैं, जैसे प्रेम, दोस्ती आदि। इनकी संतान तेज स्वभाव की होती है एवं इन्हें गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता है। हाथ का रंग काला और वह पतला होने पर ऐसे लोगों को कानून और जेल संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं की दूसरों से कम ही बनती है। ऐसी महिलाओं को खुद झगड़ा मोल लेने का शौक नहीं होता है पर ये झगड़े में जल्दी पड़ जाती हैं। इनका स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इन्हें अपने मां-बाप, या पति के मां-बाप, दोनों में से एक का ही सुख मिलता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चमसाकार हाथ वाले तरक्की अवश्य करते हैं। बडे़-बडे़ वैज्ञानिकों, खोजकारों एवं अन्वेषण करने वालों का हाथ भी कई बार चमसाकार ही पाया गया है।
6.कलात्मक हाथ
कलात्मक हाथों की बनावट नर्म होती है ऐसे व्यक्ति उदार, प्रेमी और दयालु होते हैं। सुन्दर वस्तुओं, कलाकारिता, आकृति और रंग से निर्मित सामग्री को प्यार करते हैं। शान, शौकत, नृत्य, संगीत कैबरेडांस वगेरा में ज्यादा दिलचस्पी होती है। तुच्छ और हल्की चीजें इन्हें पसंद नहीं होती तथा ज्यादा बहस व तर्क वितर्क पसन्द नहीं करते। मानसिक दुर्बलता के कारण कई कार्य करने में असमर्थ होते हैं। व्यवसाय वाणिज्य में ज्यादा चालाक नहीं होते। इन्हें ज्ञान, भावना सुहृदयता होने के बाबजूद प्रवृत्ति से ही ज्यादा काम की ओर झुकाव होता है। अंगुलियों में गांठ होने से व्यक्ति तार्किक और आलोचनात्मक प्रवृत्ति का होता है। ऐसे लोग मेहनत करके अध्ययन में भी सफल होते हैं। परन्तु इसे अपना मूल आधार समझ कर ये लोग कभी-2 बड़ी भूल कर बैठते हैं। ये व्यक्ति कला क्षेत्र में सफल होते दिखे हैं और यही इनके जीवन का अभिन्न अंग है। व्यवहारिक दृष्टि से ये प्रायः सफल नहीं हो पाते, कारण की इनके स्वभाव में लापरवाही होती है।
7.आदर्श हाथ
आदर्श हाथ के स्वामी का मस्तिष्क प्रखर एवं तीक्ष्ण बुद्धि होती है यह प्रारम्भिक हाथ के लक्षणों के विपरीत होता है। यह देखने में अति सुन्दर होता है। इस हाथ की महिलाओं को दन्त कथायें सुनना ज्यादा पसन्द होता है। उनकी बुद्धि तथा कामोद्वेग ये सब आन्तरिक आत्मा से सम्बन्ध रखने वाले हैं। फिजिकल सेक्स इनसे कोशों दूर होता है। हाथ का आकार तो छोटा ही होता है परन्तु अंगुलियों का अनुपातिक सम्बन्ध होता है। ऐसे हाथ मुलायम एवं सुडौल होते हैं। रंग लाल एवं गुलाबी पाया जाता है तथा अंगुलियाँ सुन्दर एवं नख गेहुँए रंग का होता है और अंगूठा छोटा होता है। ऐसे हाथ के स्वामी स्वप्न की दुनिया में विचरण करते हुए अच्छे विचार एवं वसूलयुक्त आदर्श के पुजारी कहे जा सकते हैं। साधारणतः ये आर्थिक सम्पन्न होते हैं तो जीवन काफी सुखी होता है। सेाने के बाद उठते ही चेहरे पर हंसी होना इनकी पहचान और विशेषता है। आर्थिक दृष्टि से ये असफल होते है। यदि ये किसी तरह से धन और आवश्यकताओं के प्रति आश्वस्त हो जायें, तो वास्तव में एक आदर्श बन सकते हैं।
8.छोटा हाथ
जो हाथ अन्य हाथों की अपेक्षा छोटा हो, वह हाथ छोटा कहलाता है। छोटा हाथ होने पर मस्तिष्क रेखा स्पष्ट और हाथ भारी हो, तो ऐसे लोग बहुत ही कुशाग्र बुद्धि वाले तथा शीघ्र ही उन्नति करने वाले होते हैं। छोटे हाथ वाले अगर भारी हाथ रखते हों, तो बहुत ही चालाकी से काम लेने और बहुत ही सोच-समझ कर खर्च करने वाले होते हैं। ऐसे लोग बेकार अपना समय और पैसा बर्बाद करने वाले नहीं होते हैं। इनकी संतान भी कुछ इसी प्रकार की होती है। ऐसी महिलाएं भी बहुत सोच-समझ कर
खर्च करती हैं, कि वसूली पूरी हो जाए। अगर हाथ भारी हो, तो ऐसे पुरुष भी अपने परिवार पर खर्च करते हैं तथा वे फालतू खर्च नहीं करते। राजनीति में ऐसे लोग बहुत ही सफल होते हैं और अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों से बखूबी काम लेना जानते हैं। इन्हें सफल प्रशासक भी कहा जाता है। कुल मिलाकर ऐसे हाथों वाले लोग, जिनकी अन्य रेखाएं स्पष्ट, हाथ का रंग गुलाबी, हाथ भारी हो, बहुत सफल होते हैं।
9.मिश्रित हाथ
जिस हाथ में कई प्रकार की अंगुलियाँ पाई जाती हैं उसे मिश्रित हाथ कहते हैं। ये हाथ और अंगुलियां किसी एक प्रकार के नहीं होते। अतः इसमें शुभ और अशुभ दोनों गुण विद्यमान होते हैं। ऐसे व्यक्ति एक ओर दयालु होते हैं और दूसरी ओर क्रोधी होना इनका स्वभाव होता है। बार-बार परिवर्तन इनकी विशेषता होती है। समाज में ऐसे लोगों का कोई सम्मान नहीं होता तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कठिनता होती है। ऐसे हाथों को किसी एक श्रेणी में नहीं सामिल किया जा सकता। मिश्रित हाथ के स्वामी चतुर तो होते हैं परन्तु बुद्धि का प्रयोग करते समय संयमित नहीं होते हैं। ऐसे लोग कई तरह के कार्य एक साथ ही करते हैं तथा उसे अंजाम देने के समय कदम लड़खड़ा जाता है और नुकसान कर बैठते हैं। ऐसे हाथ की अनामिका अगर बड़ी होती है, तो जुआ, सट्टा, लाटरी आदि कार्य करते हैं। ऐसे लोग कई क्षेत्रों में प्रतिभा स्थापित करते हैं। स्वतः के विचारों में विभिन्नता होती है तथा दूसरे के विचारों को सहजता से स्वीकार करते हैं। हर प्रकार के कार्य में खुश रहते हैं और जन समूह में ज्यादा तर्क-वितर्क करने से बचते हैं।, लेकिन अलग-अलग लोगों से बातें करके सबको उल्लू बना सकते हैं। इनके अंगूठे का आकार छोटा होता है, इनका चित्त स्थिर नहीं होता। प्रत्येक कार्य को अंजाम देने से पूर्व मध्य काल में स्थगित कर देना इनका स्वभाव होता है। परिणाम स्वरूप असफलता ही हाथ आती है और जीवन में निराशापन ज्यादा होता है तथा जीवन में
सफलता के लिए अधिकाधिक संघर्ष होता है।
No comments:
Post a Comment