Saturday, 26 September 2015

हाथ में चन्द्र क्षेत्र

दाहिने हाथ में (नीचे की ओर) हथेली का बायाँ किनारा चन्द्र-क्षेत्र होता है है बायें हाथ में यह भाग हथेली की दाहिनी ओर वाला नीचे का भाग होता है । चन्द्र-क्षेत्र का कल्पना,
सौन्दर्यप्रियता, आदर्शवाद, काव्य, साहित्य आदि से विशेष सम्बन्ध है । यह समझ लेना चाहिये कि 'कल्पना' किसे कहते हैं । बुद्धि अत्यन्त सूक्ष्म और उच्च कोटि की होने पर भी मनुष्य कल्पना के बिना कवि नहीं हो सकता । कल्पना है "खयाली दुनिया' जिसमें हमारा दिमाग उड़ता रहता है | कल्पना के आधार पर ही कुशल चित्रकार अपनी सूझ से ऐसा दृश्य बनाता है जैसा कि न कहीं उसने
देखा हो न सुना । कल्पना के आधार पर ही हजारों वर्ष पहले हुई घटना के मामूली से पर के लेखक हजारों पृष्ठ का सुंदर और रोचक उपन्यास लिख देते है । कल्पना के आधार पर ही 'सट्टा ' करते हैं ।
जिनके हाथ में चन्द्र क्षेत्र दबा हुआ हो उनमें कल्पना, मन की विशेष रुफूर्ति, नये आविष्कार या सूझ के विचार नहीं होते । जिनके हाथ में यह उच्च हो वे काव्य, कला, कल्पना, संगीत, साहित्य आदि में सफल होते हैं । शरीर से आलसी अर्थात् एक ही जगह पड़े रहेंगे, पर उनका मन सारे संसार में घूमता रहेगा और हजारों खयाली दृश्य बना लेगा । अन्य गुणों के साथ कल्पना का होना सहायक होता है किन्तु यदि अन्य गुण न हों, केवल बुद्धिहीनता हो तो कल्पना होने से मनुष्य शेखचिल्ली की तरह खयाली मनसूबे बांधता रहता है । यदि यह भाग साधारण उच्च हो और मध्य का तृतीयांश विशेष फूला हुआ हो तो अन्तडियों की बीमारी व पाचन-शक्ति की कमी होती है । यदि ऊपर का तिहाई हिस्सा अधिक ऊँचा हो तो गठिया, पित्त, कफ आदि के रोग होते है । सारा भाग अत्युच्च हो और स्वास्थ्य के अन्य लक्षण अच्छे न हों तो चिड़चिड़ापन, दु:खी मनोवृति, पागलपन, सिर-दर्द आदि के रोग होते है । यदि यह क्षेत्र ऊँचा न हो बदिक लम्बा और सकड़ा हो तो शान्तिप्रियता, एकांतवास, ध्यान में मन लगाना, नवीन कार्य में उत्साह न होना आदि होते है ।

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