Friday, 18 September 2015

मूलांक 2: व्यक्तित्व और परिचय

परिचय-यदि किसी स्त्री पुरूष का किसी भी अंग्रेजी महीने की 2-11-20-29 तारीख को जन्म हुआ है, तो इनका जन्म तारीख मूलांक 2 होता है । जब किसी को अपनी जन्म तारीख ज्ञात ना हो, तो यदि नाम अक्षरों का मूल्यांकन करने के उपरान्त मूलांक 2 आता है, तो उनका मूलांक भी दो होता है। इस अंक का स्वामी चन्द्रमा है तथा मूलांक दो पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव रहता है।
अंक दो का आधे पाते चन्द्रमा है जो अति शीघ्र-गति ग्रह है। चन्द्रमा सदैव घटता बढ़ता रहता है । एक से दो होना प्रसार का संकेत भी देता है । एक +एक = दो 1 जब एक अकेले अंक ने किसी अन्य की ऊष्मा का आनन्द लेने को कामना कीं तो एक में एक और आ जाने से दो हो गए तथा इस दो से अगला प्रसार प्रारम्भ हुआ । मूलांक एक ( 1 ) सदैव सीधा खडा ही दिखाई देखा है तथा इसमें झुकने को शक्ति अथवा प्रवृति कम ही दिखाई देती है, परन्तु अंक दो (2) में मुड़ने अथवा झुकने की प्राकृतिक प्रवृति पाई जाती है, इसी कारण मूलांक दो वाले स्त्री पुरूष कोमल, विनम्र तथा मृदुभाषी होते हैं। ज्योतिर्विदों ने अंक एक को राजा तथा अंक दो को रानी माना है। इसी लिए मूलांक दो वालों में सेवा-भाव एवं शीतलता, कोमलता, शारीरिक शक्ति की अपेक्षा मानसिक शक्ति अत्याधिक होती है।
स्वभाव एवं न्यचिंत्तत्व-अंक दो का अधिपति चन्द्रमा है जो कलपना, भावुकता तथा दयालुता का प्रतीक माना गया है । अत: इन व्याधियों में यह गुण विशेष मात्रा में होते है । मूलांक दो वाले व्याक्तियों की कलपना शक्ति अति-उत्तम होती है परन्तु इनका शरीर इतना मजबूत नहीं होता तथा शारीरिक शक्ति कम ही होती है, परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि वे उत्तम दिमागी शक्ति के स्वामी होते है। ये कला-प्रेमी एवं स्नेहशील होते है। इसी लिए ही मूलांक दो वाली माताएं अपने बच्चों को बहुत प्यार करती हैं तथा मूलांक दो वाली स्त्रियाँ अपने पति को पुर्ण स्नेह व सम्मान देती है । चन्द्रमा तरंग ही मूलांक दो प्रभावित करती है। अत: इन व्यक्तियों का किसी लम्बे समय तक चलने वाले कार्य करने को मन नहीं करता और वे बीच मेँ ही धैर्य खो बैठते हैं । चन्द्रमा तरंग के कारण इन व्यक्तियों में दृढ़ विचार भक्ति नहीं होती है। यह कार्य करूँ या न करूँ, यह कार्य होगा भी या नहीं, बस इसी दुविधा अथवा सोच-विचार में ये समय बरबाद करते रहते हैं । इनमें आत्म-विशवास को कमी होती है, परन्तु इनकी बुद्धि विवेक उत्तम होते है । कल्पना में ही ये अनेक ऊँची उडाने भरते रहते है। दिमागी कार्यों में से यश, शोभा भी अर्जित करते हैं और अन्य व्यक्तियों से बहुत आगे निकल जाते है । ये बुद्धि विवेक के बल दर अधिक सफलता प्राप्त करते है। ये निर्देशन देने में तो चतुर होते है परन्तु यदि स्वयं कार्य करना पर जाए तो टाल देते है।
मूलांक दो वालों में वैचारिक दृढ़ता की कमी होती है । कोई भी विचार अधिक समय तक इसके दिमाग में नहीँ रह सकता । विचार स्थिर न होने के कारण,ये अपने आप विचार बदलते रहते है एवं उस कारण वश असफलता का मुहं भी इन्हें देखना पलता है। ये किसी भी काम पर पक्के टिके नहीँ रहते, तथा काट-छाट व परिवर्तन करते रहते हैं । ये साथ में लीं गई योजना को छोड़ कर किसी और ही ओर सोचने लगते है । अत: ये किसी योजना को कार्यरूप नहीं दे पाते । यदि यह कहा जाए तो उचित ही होगा कि किसी काम को कार्यरूप देना इनके वश की बात नही है । अत: मानसिक भक्ति के होते हुए भीपराजय और असफलता मिलती है 1 शनै:-शनै: दिमाग में कुष्ठा तथा झुंझलाहट बढ़ जाती है और ये निराश हो जाते है ।
पवित्र आदशों पर चलने का यत्न करते हैं परन्तु इस ओर इन्हें सफलता कुछ कम ही मिलती है । बीच में ही इसका मन बदल जाता है । और अन्य प्रभाव में आ जाते है । ये मनचले भी होते हैं । ये चंचल तथा स्नेही होते हैं परन्तु एकरुपता की कमी होती है । ये व्यक्ति गोले अथवा भले मानस होते है । भोले इतने होते है कि यह जानते हुए भी कि सामने वाला व्यावित इन्हें बेवकूफ़ बना रहा है अथवा इनके भोलेपन का लाभ उठा रहा है, तब भी ये शांत रहते है।
इनकी कल्पना भक्ति इतनी उत्तम होती है कि ये छोटी सी बात को भी पूरी हद तक उजागर कर देते है । बुद्धि विवेक को तो कमी नही होती परन्तु ये स्वयं स्वतन्त्र रूप से कम ही कार्यों मे सफल होते है। दूसरों के अधीन कार्य करना, सहयोगी अथवा सहायक रह कर काम करना इन्हें अच्छा लगता है तथा वह सफलता भी पाते है ।
जैसे पहले बताया गया है कि ये भोले होते हैं । ये सरल प्रकृति के स्वामी होते है । पुल-कपट करना इन्हें नहीं जाता तथा ये धोखा भी सहज है खा जाते हैं । कोई भी व्यक्ति इन्हें चिकनी- चुपडी बातें करके ठग सकता है । ये सब कुछ जानते भी ये बार-बार ठगे अथवा धोखा खाकर भी कुछ नहीँ बोलते।किसी को कुछ कह सकना इनके वश की बात ही नहीं है चाहे सामने वाला कितनी हानि भी कर दे । किसी को, मूलांक दो वाले 'न' में कम ही उतर देते है।मूलांक दो वाले व्यक्ति माता के साथ अधिक सम्बन्धिक होते है। ओर पिता की तो कभी-कभी आज्ञा भी नहीं मानते । ये स्वयं भी अच्छे मा-बाप बनते है तथा अपने मां-बाप के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाईं रखने के इच्छुक होते हैं । इसमें भी सन्देह नहीँ कि मूलांक दो वाले पुरुषों में स्त्री गुलों की प्रधानता रहती है । रहन-सहन का ढंग, बनाव-श्रृंगार, स्वभाव तथा बाते करने के तरीका से पता चल जाता है कि पुरूष का मूलांक दो तो सकता है।
धन संग्रह अथवा जमा करना इनका स्वभाव होता है 'धन-प्राप्त तथा जमा करके वे बहुत प्रसन्न होते है । इन्हें धन के पीर भी कहा जा सकता है । धन अथवा पैसों के साथ तो यह चिपक सो जाते हैं । ये स्वयं दान कम ही देते है परन्तु दूसरों को दान करने अथवा देने के प्रेरित करते है तथा स्वयं भी धन प्राप्ति की कोई ऐसी योजना बना लेते है ।
चूँकि इनकी बुद्धि-विवेक उत्तम होता है, अत: दूसरों को उस क्षेत्र में अपने से निम्न ही समझते हैं। ये अच्छे साथी, निःस्वार्थी तथा मेल जोल रखने वाले होते है । इनका कार्य करने का सलीका, अनुशासन का ढंग अपना ही होता है । मूलांक दो वाले व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के मन की थाह तक पहुचने में अत्मधिक सक्षम होते है। किसी के
आतंरिक विचारों को ये शीघ्र भाँप जाते है ।
मूलांक दो वाली स्त्रियाँ भावुक, संवेदनशील, विचार शील, आत्म-प्रशंसक तथा चतुर होती है। ये स्पष्टवादी, कल्प्नाप्रिय, स्वच्छता एवं सौन्दर्य को पसन्द करती है । ये त्याग, सहानुभुति एवं ममता की मूर्ति होती है । उसे बनाव श्रृंगार बहुत पसन्द होता है । ये किसी का दुख दर्द नहीं देख सकती। उनमें दूसरों को परखने की अदभुत क्षमता होती है परिस्थिति और समय अनुसार ये अपने आपको बदल भी लेती है। मूलांक दो वाली स्त्रियाँ कलात्मक सौन्दर्ययुक्त वस्तुएँ बनाने अथवा परखने में विशेष निपुण्य होती है। ये छोटी सी बात को भी मन में रखती हैं तथा इसी कारण दुखी रहती है । इसको छोटी-छोटी बातें भी चुभती रहती है। इसी कारण इनमें कईं बार बदले की भावना भी उत्पन्न हो जाती है । मूलांक दो वाली रित्रयों में हठ, क्रोध तथा जिद्द कुछ अधिक ही होता है । वह अपनी बात मनवाने के लिए भावुकता का प्रदर्शन भी करती है। मूलांक दो वाली स्त्रियाँ परिश्रमी बहुत होती है तथा इन्मे हकूमत करने प्रशासन चलाने तथा नौकरी करने की भावना प्रबल होती है ।

No comments: