अश्विनी- इस नक्षत्र का स्वामी कंतु होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनकं लिये कमरे आदि है सलेटी अथवा भूरा स्म अद्भुत प्रभाव देने के साथ लाम की स्थिति उत्पन्न करता है ।
भरणी- इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है । शुक्र को भोग का कारक ग्रह माना जाता है इसलिये जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनकी रुचि भोग-विलास में अधिक होती है । ऐसे लोग अपने जीवन में परिवर्तन अधिक पसन्द करते है और कभी भी एक रग से संतुष्ट नहीं होते है | इसलिये उनके लिये दीवार, परदे व् फर्नीचर के रंग यदि अलग-अलग अर्थात मल्टीकलर के होने शुभ होते है ऐसे रंग उनकी रुचि के अनुसार भी होंगे और लाभदायक भी रहेंगे ।
कृतिका- इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य होता है । ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष बहुत रहते है | ये लोग अपने जन्मस्थल से दूर जाकर सफलता प्राप्त करते है और कम आयु से ही आय करने लगते है । इन लोगों के लिये दीवारों पर हल्का पीला व गुलाबी रंग अधिक शुभ होता है तथा पर्दे आदि गहरे रंग के और फर्नीचर कत्थई अर्थात् ब्राउन कलर अधिक शुभ होता है।
रोहिणी- इस नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है । चन्द्र में वृद्धि व क्षय का समावेश होता है इसलिये ऐसे लोग यदि दीवारों पर सफेद अथवा हल्का गुलाबी अथवा हल्का क्रीम रंग करवायें तो बहुत शुभ है। पर्दे व पहनने के वस्त्र यदि मोतिया रंग कं रखे तो सोने पर सुहागा वाली बात होगी ।
मृगशिरा- इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। ऐसे लोग अनुशासन और नेतृत्व करने में अधिक विश्वास करते है । इन्हें लाल, कत्थई और सिन्दूरी रंग अधिक लाभ देते है । मूंगिया रंग इन लोचंरिं कं पराक्रम है वृद्धि करता है ।
आद्रा - इस नक्षत्र का स्वामी राहु होता है । यह बहुत ही रहस्यमयी ग्रह है । इसके माध्यम से जो भी कार्य शुभ अथवा अशुभ घटित होता है वह अचानक ही होता है। इस नक्षत्र मे जन्म लेने वाले लोगों को अपने लिये हल्का नीला, कबूतरी, भूरा अथवा सलेटी रंग का प्रयोग करना चाहिये ।
पुनर्वसु- इस नक्षत्र का स्वामी गुरु होता है । यह मुख्यत: धनकारक ग्रह माना जाता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनकं लिये गुलाबी अथवा पीला रंग अधिक शुभ रहता है ।
पुष्य- इस नक्षत्र का स्वामी शनि होता है। यह ग्रह सुख-समृद्धि का कारक होता है| जन्मपत्रिका में शनि यदि बहुत मामूली रूप से भी शुभ हो तो ऐसे जातक का जीवन नैसर्गिक रूप सुखी व्यतीत होता है इस नक्षत्र की एक विशेषता यह भी है की इस नक्षत्र के लिये सूर्य से निकलने वाली सातों किरणे शुभ होती है । इसलिये इन लोगों के लिये सभी रंग शुभ होते है फिर भी यदि ये लोग यदि क्रीम कलर को प्राथमिकता दें तो अच्छा है।
आश्लेषा- इस नक्षत्र का स्वामी बुध होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव कुछ इस प्रकार का होता है की कभी छोटी सी बात पर बहुत खुश अथवा चितिंत हो जायें तो कभी-कभी बड़ी बात पर भी खुश अथवा चितिंत न हो । ऐसे लोग दूब जैसा हरा अथवा गुलाबी रंग का प्रयोग करने से लाभ देता है ।
मधा- इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनके लिये हल्के रंग लाभदायक होते है |इसके अतिरिक्त गुलाबी रंग भी लाभ देता है ।
पूर्वा फाल्गुनी- इस नक्षत्र का भी स्वामी शुक्र होता है । ये लोग यदि आसमानी रंग को प्राथमिकता दे तो अधिक शुभ है । इसक अतिरिक्त हल्का नीला, गुलाबी तथा सिन्दूरी रंग भी शुभ होता है ।
उत्तरा फाल्गुनी- इस नक्षत्र का भी स्वामी सूर्य होता है । ये लोग स्वभाव से तो लचीले होते है परन्तु अपनी पसन्द को अधिक प्राथमिकता देते है । ये लोग यदि कत्थई अथवा गारनेटी रंग (पारदर्शी लाल) का प्रयोग करें तो इनका जीवन अधिक सुखद रहेगा ।
हस्त- इस नक्षत्र का भी स्वामी चन्द्र होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वे उदार हृदय के साथ कुछ संकोची स्वभाव के होते है । इनके लिये हल्का पीला अथवा चांदनी रंग अधिक शुभ होता है ।
चित्रा- इस नक्षत्र का भी स्वामी मंगल होता है । ये लोग यदि गहरे रंग अथवा गुलाबी रंग का प्रयोग करें तो इनके लिये अधिक शुभ होता है । यह भी ध्यान रखें कि इनकी पत्रिका में यदि मंगल नीच का हो तो लाल रंग का प्रयोग न करें । यदि शनि नीच का अथवा निर्बल हो तो नीले रंग का प्रयोग कदापि न करें |
स्वाति- इस नक्षत्र का भी स्वामी राहु होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में हो तो वे अपने जीवन में सफलता व सुख पाने के लिये दो रंगों से मिले रंगों का प्रयोग करें ।
विशाखा- इस नक्षत्र का भी स्वामी गुरु होता है । इस नक्षत्र में जन्मे लोग यदि हल्का पीला, सुनहरा अथवा चमकीला पिला रंग अथवा इन रंगों से मिलते रंगों का प्रयोग करें तो उन्हें अधिक सफलता प्राप्त होती है ।
अनुराधा- इस नक्षत्र का स्वामी भी शनि होता है । इस नक्षत्र से जन्म लेने वाले लोग यदि नीले रंग से संबधित रंगों का प्रयोग करें तो उन्हें शीघ्र ही सफलता प्राप्त होती है ।
ज्येष्ठा- इस नक्षत्र का भी स्वामी बुध होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वे अस्थिर स्वभाव के साथ के ही कूछ संकोची स्वभाव के होते है तथा इनकी अधिक रुचि विचित्र प्रकार के लाल-पीले रंगों में होती है । ऐसे लोग यदि अपने स्वभावानुसार रंग-बिरंगे अथवा विचित्र प्रकार के रंगों का प्रयोग करें तो अधिक शुभ होता है
मूल- इस नक्षत्र का स्वामी भी कतु होता है । इस नक्षत्र क सभी तारों का सीधा संबंध धूमकेतु से होता है अतः जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उन्हें भूरा, मटमीला अथवा नारंगी से मिलते रंगों का प्रयोग करना चाहिए |
पूर्वा आषाढा- इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है | ऐसे लोग वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत करने है अधिक विश्वास करते है । अत: ये लोग अपनी इस इच्छा को दूधिया, सफेद चमकीला अथवा इनसे मिलते रंगों के प्रयोग से पूर्ण कर सकते है ।
उत्तरा आषाढा- इस नक्षत्र का भी स्वामी सूर्य होता है । ये लोग हल्का हरा, सुनहरा लाल अथवा कमल जैसे हल्के लाल रंग से लाभ उठा सकते है ।
श्रवण- इस नक्षत्र का स्वामी भी चन्द्र होता है । इसी कारण से इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का चित्त भी सदैव अस्थिर रहता है । इसलिये इस नक्षत्र के लोगों को सफ़ेद चांदनी रंग का प्रयोग अधिक करना चाहिये जिससे उनका मन स्थिर रह सकं । केवल इस रंग में ही ऐसी शक्ति होती है जो लोगों के मन को स्थिर रख सकती है ।
धनिष्ठा- इस नक्षत्र का स्वामी भी मंगल होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग यदि बादामी, हल्का लाल अथवा गहरा सुनहरा, गहरे गोमूत्र समान अथवा सिन्दूरी रंग का अधिक प्रयोग करें तो अधिक शुभ होता है । हन रंगों के प्रयोग से अन्य लाभ तो प्राप्त होते ही है साथ ही पराक्रम में भी वृद्धि होती है ।
शतभिषा- इस नक्षत्र का शततारका भी कहते है । इस नक्षत्र का भी स्वामी राहु होता है । यदि आपका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है तो आपके लिए सिलेटी, गहरा भूरा धुयें जैसा, जामुनी अथवा गहरा आसमानी रंग लाभदायक रहेगा । यदि आप लोहे की सामग्री का प्रयोग अधिक करते है तो भी आपको लाभ मिलेगा |
पूर्वा भाद्रपद- इस नक्षत्र का स्वामी की गुरु होता है । जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है वह अति महत्वाकांक्षी तथा सुखी जीवन का अभिलाषी होता है । इसलिये ऐसे लोगों को सुनहरा पीला, चमकीला पीला तथा सभी प्रकार के पीले व सुनहरे शेड लाभदायक रहेंगे तथा पीतल धातु की सामग्री भी आपकं लिये लाभदायक रोगी ।
उत्तरा माद्रपद- इस नक्षत्र का स्वामी शनि होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के लिये काला नीला अथवा कोई भी गहरा रंग शुभ होता है साथ ही गहरे रंग की प्रत्येक सस्मग्री भी लाभदायक रहती है ।
रेवती- इस नक्षत्र का स्वामी भी बुध होता है । इस नक्षत्र में जन्में लोगों के लिये हरे रंग के शेड अथवा हल्के हरे में सफेद रंग का मिश्रण वाले रंग लाभदायक होते है । जन्मपत्रिका ने यदि बुध अकारक हो तो हरा रंग और यदि बुध कमजोर हो तो सफेद रंग का प्रयोग कर सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है |
भरणी- इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है । शुक्र को भोग का कारक ग्रह माना जाता है इसलिये जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनकी रुचि भोग-विलास में अधिक होती है । ऐसे लोग अपने जीवन में परिवर्तन अधिक पसन्द करते है और कभी भी एक रग से संतुष्ट नहीं होते है | इसलिये उनके लिये दीवार, परदे व् फर्नीचर के रंग यदि अलग-अलग अर्थात मल्टीकलर के होने शुभ होते है ऐसे रंग उनकी रुचि के अनुसार भी होंगे और लाभदायक भी रहेंगे ।
कृतिका- इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य होता है । ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष बहुत रहते है | ये लोग अपने जन्मस्थल से दूर जाकर सफलता प्राप्त करते है और कम आयु से ही आय करने लगते है । इन लोगों के लिये दीवारों पर हल्का पीला व गुलाबी रंग अधिक शुभ होता है तथा पर्दे आदि गहरे रंग के और फर्नीचर कत्थई अर्थात् ब्राउन कलर अधिक शुभ होता है।
रोहिणी- इस नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है । चन्द्र में वृद्धि व क्षय का समावेश होता है इसलिये ऐसे लोग यदि दीवारों पर सफेद अथवा हल्का गुलाबी अथवा हल्का क्रीम रंग करवायें तो बहुत शुभ है। पर्दे व पहनने के वस्त्र यदि मोतिया रंग कं रखे तो सोने पर सुहागा वाली बात होगी ।
मृगशिरा- इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। ऐसे लोग अनुशासन और नेतृत्व करने में अधिक विश्वास करते है । इन्हें लाल, कत्थई और सिन्दूरी रंग अधिक लाभ देते है । मूंगिया रंग इन लोचंरिं कं पराक्रम है वृद्धि करता है ।
आद्रा - इस नक्षत्र का स्वामी राहु होता है । यह बहुत ही रहस्यमयी ग्रह है । इसके माध्यम से जो भी कार्य शुभ अथवा अशुभ घटित होता है वह अचानक ही होता है। इस नक्षत्र मे जन्म लेने वाले लोगों को अपने लिये हल्का नीला, कबूतरी, भूरा अथवा सलेटी रंग का प्रयोग करना चाहिये ।
पुनर्वसु- इस नक्षत्र का स्वामी गुरु होता है । यह मुख्यत: धनकारक ग्रह माना जाता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनकं लिये गुलाबी अथवा पीला रंग अधिक शुभ रहता है ।
पुष्य- इस नक्षत्र का स्वामी शनि होता है। यह ग्रह सुख-समृद्धि का कारक होता है| जन्मपत्रिका में शनि यदि बहुत मामूली रूप से भी शुभ हो तो ऐसे जातक का जीवन नैसर्गिक रूप सुखी व्यतीत होता है इस नक्षत्र की एक विशेषता यह भी है की इस नक्षत्र के लिये सूर्य से निकलने वाली सातों किरणे शुभ होती है । इसलिये इन लोगों के लिये सभी रंग शुभ होते है फिर भी यदि ये लोग यदि क्रीम कलर को प्राथमिकता दें तो अच्छा है।
आश्लेषा- इस नक्षत्र का स्वामी बुध होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव कुछ इस प्रकार का होता है की कभी छोटी सी बात पर बहुत खुश अथवा चितिंत हो जायें तो कभी-कभी बड़ी बात पर भी खुश अथवा चितिंत न हो । ऐसे लोग दूब जैसा हरा अथवा गुलाबी रंग का प्रयोग करने से लाभ देता है ।
मधा- इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उनके लिये हल्के रंग लाभदायक होते है |इसके अतिरिक्त गुलाबी रंग भी लाभ देता है ।
पूर्वा फाल्गुनी- इस नक्षत्र का भी स्वामी शुक्र होता है । ये लोग यदि आसमानी रंग को प्राथमिकता दे तो अधिक शुभ है । इसक अतिरिक्त हल्का नीला, गुलाबी तथा सिन्दूरी रंग भी शुभ होता है ।
उत्तरा फाल्गुनी- इस नक्षत्र का भी स्वामी सूर्य होता है । ये लोग स्वभाव से तो लचीले होते है परन्तु अपनी पसन्द को अधिक प्राथमिकता देते है । ये लोग यदि कत्थई अथवा गारनेटी रंग (पारदर्शी लाल) का प्रयोग करें तो इनका जीवन अधिक सुखद रहेगा ।
हस्त- इस नक्षत्र का भी स्वामी चन्द्र होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वे उदार हृदय के साथ कुछ संकोची स्वभाव के होते है । इनके लिये हल्का पीला अथवा चांदनी रंग अधिक शुभ होता है ।
चित्रा- इस नक्षत्र का भी स्वामी मंगल होता है । ये लोग यदि गहरे रंग अथवा गुलाबी रंग का प्रयोग करें तो इनके लिये अधिक शुभ होता है । यह भी ध्यान रखें कि इनकी पत्रिका में यदि मंगल नीच का हो तो लाल रंग का प्रयोग न करें । यदि शनि नीच का अथवा निर्बल हो तो नीले रंग का प्रयोग कदापि न करें |
स्वाति- इस नक्षत्र का भी स्वामी राहु होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में हो तो वे अपने जीवन में सफलता व सुख पाने के लिये दो रंगों से मिले रंगों का प्रयोग करें ।
विशाखा- इस नक्षत्र का भी स्वामी गुरु होता है । इस नक्षत्र में जन्मे लोग यदि हल्का पीला, सुनहरा अथवा चमकीला पिला रंग अथवा इन रंगों से मिलते रंगों का प्रयोग करें तो उन्हें अधिक सफलता प्राप्त होती है ।
अनुराधा- इस नक्षत्र का स्वामी भी शनि होता है । इस नक्षत्र से जन्म लेने वाले लोग यदि नीले रंग से संबधित रंगों का प्रयोग करें तो उन्हें शीघ्र ही सफलता प्राप्त होती है ।
ज्येष्ठा- इस नक्षत्र का भी स्वामी बुध होता है । जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वे अस्थिर स्वभाव के साथ के ही कूछ संकोची स्वभाव के होते है तथा इनकी अधिक रुचि विचित्र प्रकार के लाल-पीले रंगों में होती है । ऐसे लोग यदि अपने स्वभावानुसार रंग-बिरंगे अथवा विचित्र प्रकार के रंगों का प्रयोग करें तो अधिक शुभ होता है
मूल- इस नक्षत्र का स्वामी भी कतु होता है । इस नक्षत्र क सभी तारों का सीधा संबंध धूमकेतु से होता है अतः जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है उन्हें भूरा, मटमीला अथवा नारंगी से मिलते रंगों का प्रयोग करना चाहिए |
पूर्वा आषाढा- इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है | ऐसे लोग वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत करने है अधिक विश्वास करते है । अत: ये लोग अपनी इस इच्छा को दूधिया, सफेद चमकीला अथवा इनसे मिलते रंगों के प्रयोग से पूर्ण कर सकते है ।
उत्तरा आषाढा- इस नक्षत्र का भी स्वामी सूर्य होता है । ये लोग हल्का हरा, सुनहरा लाल अथवा कमल जैसे हल्के लाल रंग से लाभ उठा सकते है ।
श्रवण- इस नक्षत्र का स्वामी भी चन्द्र होता है । इसी कारण से इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का चित्त भी सदैव अस्थिर रहता है । इसलिये इस नक्षत्र के लोगों को सफ़ेद चांदनी रंग का प्रयोग अधिक करना चाहिये जिससे उनका मन स्थिर रह सकं । केवल इस रंग में ही ऐसी शक्ति होती है जो लोगों के मन को स्थिर रख सकती है ।
धनिष्ठा- इस नक्षत्र का स्वामी भी मंगल होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग यदि बादामी, हल्का लाल अथवा गहरा सुनहरा, गहरे गोमूत्र समान अथवा सिन्दूरी रंग का अधिक प्रयोग करें तो अधिक शुभ होता है । हन रंगों के प्रयोग से अन्य लाभ तो प्राप्त होते ही है साथ ही पराक्रम में भी वृद्धि होती है ।
शतभिषा- इस नक्षत्र का शततारका भी कहते है । इस नक्षत्र का भी स्वामी राहु होता है । यदि आपका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है तो आपके लिए सिलेटी, गहरा भूरा धुयें जैसा, जामुनी अथवा गहरा आसमानी रंग लाभदायक रहेगा । यदि आप लोहे की सामग्री का प्रयोग अधिक करते है तो भी आपको लाभ मिलेगा |
पूर्वा भाद्रपद- इस नक्षत्र का स्वामी की गुरु होता है । जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है वह अति महत्वाकांक्षी तथा सुखी जीवन का अभिलाषी होता है । इसलिये ऐसे लोगों को सुनहरा पीला, चमकीला पीला तथा सभी प्रकार के पीले व सुनहरे शेड लाभदायक रहेंगे तथा पीतल धातु की सामग्री भी आपकं लिये लाभदायक रोगी ।
उत्तरा माद्रपद- इस नक्षत्र का स्वामी शनि होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के लिये काला नीला अथवा कोई भी गहरा रंग शुभ होता है साथ ही गहरे रंग की प्रत्येक सस्मग्री भी लाभदायक रहती है ।
रेवती- इस नक्षत्र का स्वामी भी बुध होता है । इस नक्षत्र में जन्में लोगों के लिये हरे रंग के शेड अथवा हल्के हरे में सफेद रंग का मिश्रण वाले रंग लाभदायक होते है । जन्मपत्रिका ने यदि बुध अकारक हो तो हरा रंग और यदि बुध कमजोर हो तो सफेद रंग का प्रयोग कर सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है |
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