Wednesday, 23 September 2015

सितम्बर माह

कन्या राशि 21 अगस्त से प्रारम्भ होती है लेकिन सात दिन तक पूर्व राशि सिह के साथ इसका संघि-काल चलाता है, इसलिए 28 अगस्त से ही यह पूर्ण प्रभाव में आ पाती है । इसके बाद 20 सितम्बर तक इसका पूरा प्रभाव रहता है। फिर सात दिन तक आगामी राशि तुला के साथ इसकी संधि के कारण इसका प्रभाव उत्तरोत्तर कम होता जाता है।
इस अवधि में, अर्थात् 21 अगस्त से 20-28 सितम्बर तक पैदा हुए व्यक्ति आमतौर से जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं । उनमें आश्चर्यजनक स्मरण-शक्ति वाली बुद्धि होती है । अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों से सतर्क रहते हैं और उनके प्रति अच्छे-बुरे की समझ होती है। आम तौर से उन पर न हावी हुआ जा सकता है और न ही उन्हें धोखा दिया जा सकता है ।
वे हर बात का गहराई से विश्लेषण और परख करते है। वे अच्छे आलोचक होते हैं, आमतौर से इतने अधिक कि उन्हें भलाई या प्रसन्नता नहीं मिल पाती। बेमेल वस्तुओं पर उनका ध्यान बड़ी जल्दी जाता हे। अपने घरों के बारे में उनकी उत्तम रुचि होती है ।
आमतौर से वे किसी काम के प्रारम्भकर्ता नहीं होते, लेकिन जो योजनाएँ या काम उन्हें आकर्षित करते हैं अथवा दूसरे लोग जिन्हें पूरा करने में विफल रहते हैं, उन्हें वे सफलतासे पूरा कर देते हैं । जिस लक्ष्य की ओंर उनका ध्यान जाता है, पूरे दत्तचित्त होकर उसके लिए काम करते हैं और जब तक उसे प्राप्त नहीं कर लेते, चैन से नहीं बैठते।
वे पद का बहुत अधिक सम्मान करते है। कानून तथा कानून के फैसले का उत्साह से समर्थन करते हैं । वे उत्तम वकील और वक्ता बन सकते हैं, लेकिन उनका झुकाव नये विचारों को जन्म देने के बजाय पूर्व दृष्टान्तो का समर्थन करने की ओर अधिक रहता है। मेहनती स्वभाव, इच्छाशक्ति और संकल्प के कारण वे वैज्ञानिक खोज और व्यापार में भी सफल होते हैं ।
उनमें अपने तक और अपने विचारों तक सीमित रहने की प्रवृति होती है । लक्ष्य-प्राप्ति के लिए वे स्वार्थ से भी काम लेते दिखाई देते हैं । अन्य किसी वर्ग की अपेक्षा उनसे अच्छाई और बुराई की हद तक जाने की क्षमता अधिक होती है । यदि उनमें पैसे का मोह पैदा हो जाए तो उसे पाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगे । वे प्राय: किसी भी काम के अनुरूप अपने को ढाल सकते हैं ।
प्रेम के विषय में उन्हें समझ पाना सबसे कठिन होता है । सबसे अच्छे और सबसे बुरे स्त्री-पुरुष वर्ष के इस भाग में पैदा हुए हैं । प्रारंभिक वर्षों में प्राय: सभी नेक और साफ दिल वाले होते हैं । लेकिन जब बदलते हैं तो पूरी प्रतिहिंसा से बदलते हैं और इसके ठीक उलटे बन जाते हैं । फिर भी कानून के प्रति जन्मजात सम्मान-भावना और अपनी स्वाभाविक कुशलता के कारण वे दूसरे वर्ग के लोगों की अपेक्षा अपनी भावनाओं को छिपाने में अधिक सफल रहते हैँ। यदि स्वयं पर काबू नहीं हुआ तो उनमें प्राय: मादक द्रव्यों और शराब के सेवन की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है।
स्वास्थ्य के बारे में आमतौर से वे रोगों के अपेक्षाकृत कम शिकार होते हैं, लेकिन उनमें एक विचित्र बात यह होती है कि अखबारों में पढ़कर हर बीमारी से स्वयं के पीडित होने की कल्पना करने लगते हैं।
भोजन के बारे में वे बहुत सुरुचिपूर्ण होते हैं । रुचि का भोजन न मिलने पर उनकी भूख मर जाती है । वातावरण के प्रति वे अत्यन्त संवेदनशील होते हैं। तालमेल मे जरा-सी कभी या चिढ़न से उनकी स्नायु प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है और उन्हें कब्ज या पेचिश की शिकायत हो सकती है । उनमें फेफडों की परेशानी की भी प्रवृति होती है । कन्धों और भुजाओं की नसों में दर्द हो सकता है।
इस अवधि में पैदा हुए लोगों को अपेक्षाकृत अधिक धूप और ताजी हवा की आवश्यकता होती है ।
ऐसे लोग सबसे प्रबल मानसिक धरातल पर होते हैं । जीवन के प्रति उनके विचार आमतौर से यथार्थवादी, विश्लेषणात्मक, संदेही, चतुर और पारखी होते हैं । भीड़ का साथ देने के बजाय वे प्राय: एक अलोकप्रिय उद्देश्य की हिमायत करते हैं ।
मानव स्वभाव के उत्तम पारखी होने के कारण वे आमतौर से अपनी पहली धारणा पर भरोसा कर सकते है । लेकिन वे बाल की खाल निकालने वाले होते हैं और यदि इस प्रवृति को ठीक से नियन्त्रण मे नहीं रखेंगे तो बाद में रोगभ्रमी हो जाएंगे । इन लोगों के लिए पैसे की बहुत कीमत होती है ।
साहित्य-समीक्षक और कला-समीक्षक के रूप में वे प्राय: अत्यन्त कुशल रहते हैं। स्मरणशक्ति अच्छी होती है, तेजी से पढ सकते हैं और उनका ध्यान कमजोरियों की और शीघ्र मिला जाता है । कडी मेहनत, दूरदर्शिता और असाधारण परिशुद्धता से वे प्राय: सफलता प्राप्त कर लेते हैं, हालांकि वर्षों तक वे छिपे रहे जाते हैं । देर-सवेर उन्हें प्रमुखता मिलती ही है ।
उनसे प्रेम का बहुत गहरा भाव होता है, लेकिन भावुक या दिखावे वाला नहीं। एक बार प्रेम पैदा हो जाने पर वे बहुत वफादार रहते हैं, लेकिन ईष्योंलु होते की भी प्रवृति होती है । उनके विचार दृढ़ और ओजस्वी होते हैं । एक बार निश्चय कर लेने पर दुनिया का कोई उपदेश उन्हें अपने विकारों से तिलभर नहीं लिया सकता । उनमें प्राय: वस्त्रों और साज-श्रृंगार पर बहुत अधिक ध्यान देने की प्रवृति रहती है ।
दुढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के कारण वे आसानी से हिम्मत नहीं हारते ।
उनकी बौद्धिक्ता मूलत: प्रगतिशील होती है, किन्तु विस्तार पर वे बहुत अधिक ध्यान देते हैं । उन्हें दूसरों के गुणों को सराहने, अधिक सहिष्णु होने और आलोचना में अधिक नमी बरतने की आदत डालनी चाहिए ।
कन्या राशि में जन्मे लोग गम्भीर और विचारक होते हैं । वे सदा ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं और प्राय: भाषणों और कक्षाओं में उपस्थित रहते हैं। अच्छे वक्ताओं को सुनना पसन्द करते हैं और स्वय भी भाषा पर अच्छा अधिकार रखते हैं ।
इन लोगों के बोरे में एक विचित्र बात यह है कि वे सदा जवान रहते हैं और उनकी आयु मालूम नहीं होती है। छोटी-छोटी बातों पर वे चिढ़ और नाराज हो जाते हैं लेकिन रक्तपात से घृणा करते हैं । वे अच्छे मध्यस्थ और प्रतिनिधि होते हैं।
आर्थिक दशा
वर्ष के इस मास में पैदा होना आर्थिक दृष्टि से शुभ है । व्यापार की अच्छी योग्यता, सावधान अल्पव्ययी स्वभावा | दूसरों के बहकावे में न जाने वाले, मकानों, भूमि आदि में पूँजी लगाने के लिए यह शुभ योग है।
स्वास्थ्य
कन्या में जन्मे लोग अत्यन्त संवेदनशील होते हैं और उन पर चिंता का अपेक्षाकृत अधिक प्रभाव पड़ता है । पाचन अंग आमतौर से कमजोर होते हैं और भोजन में सावधानी न बरतने पर अक्सर अमाशय में घाव हो जाते हैं । हल्का सादा भोजन, ढेर सारा पानी, ताजा हवा, धूप-स्नान और सामान्य से अधिक निद्रा और विश्वस आमतौर से इन लोगों को पुन: स्वस्थ कर देते हैं ।
विवाह सम्बन्ध, साझेदारियों
अपनी निजी राशि कन्या (21 अगस्त से 20 सितम्बर) थल त्रिक्रोण की दो अन्य राशियों वृष (21 अप्रैल से 20 मई) और मकर (21 दिसम्बर से 20 जनवरी) इनके पीछे के संधि-काल के सात दिन तथा अपने से सातवीं राशि मिथुन (फरवरी से मध्य मार्च तक) के दौरान पैदा हुए व्यक्तियों के साथ कन्या राशियों के वैवाहिक या साझेदारी के सम्बन्धों की सफ़लता की सबसे अधिक सम्भावना है।

No comments: