सूर्य के अरिष्ट अर्थात पीड़ा निवृत्ति के लिये चैत्र, मार्गशीर्ष (अगहन) के शुक्ल पक्ष से रविवार का व्रत सूर्यं नारायण के निमित्त रखना चाहिये । शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से प्रारम्भ करके १२ व्रत कम से कम रखने चाहियें ।
सर्वप्रथम प्रात:काल उठकर शौच, स्नान आदि से निवृत होकर लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिये । यदि लाल वस्त्र न धारण कर सके तो व्रत वाले दिन आप एक लाल रंग का अंगोछा (नैपकिन) रूमाल या तौलिया इत्यादि उपयोग करके व्रत की उपयोगिता सिद्ध का सकते हैं ।
भगवान सूर्य नारायण को गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध से भगवान सूर्य को जल (अध्र्य) चढाना चाहिये तथा १०८ बार सूर्यं नारायण के बीज मन्त्र क्रा जप करना चाहिये ।
बीज यन्त्र- ॐ हाँ हीं हौं स:सूर्याय नम: ।
रविवार को सूर्यदेव के व्रत का पारण सूर्यास्त से एक घंटा पूर्व ही करना चाहिए |
उस दिन गेहूँ का दलिया गुड़ में पकाकर खाना चाहिये । गुड़, घी से गेहूँ की रोटी भी सायंकाल में खा सकते हैं । इस व्रत में अथवा किसी भी व्रत में नमक का प्रयोग करना सर्वथा वर्जित है ।
रविवार के दिन (व्रत वाले दिन) जलेबी, गुड़ या मसूर की दाल, भोजन वस्त्र ड्रत्यादि का दान भी अपनी समथर के अनुसार भी करना चाहिये इस प्रकार व्रत रखने से शरीरिक रोगों की शान्ति प्राप्त होकर तेज, तथा सूर्य ग्रह के अरिष्ट का नाश होता है ।
सर्वप्रथम प्रात:काल उठकर शौच, स्नान आदि से निवृत होकर लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिये । यदि लाल वस्त्र न धारण कर सके तो व्रत वाले दिन आप एक लाल रंग का अंगोछा (नैपकिन) रूमाल या तौलिया इत्यादि उपयोग करके व्रत की उपयोगिता सिद्ध का सकते हैं ।
भगवान सूर्य नारायण को गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध से भगवान सूर्य को जल (अध्र्य) चढाना चाहिये तथा १०८ बार सूर्यं नारायण के बीज मन्त्र क्रा जप करना चाहिये ।
बीज यन्त्र- ॐ हाँ हीं हौं स:सूर्याय नम: ।
रविवार को सूर्यदेव के व्रत का पारण सूर्यास्त से एक घंटा पूर्व ही करना चाहिए |
उस दिन गेहूँ का दलिया गुड़ में पकाकर खाना चाहिये । गुड़, घी से गेहूँ की रोटी भी सायंकाल में खा सकते हैं । इस व्रत में अथवा किसी भी व्रत में नमक का प्रयोग करना सर्वथा वर्जित है ।
रविवार के दिन (व्रत वाले दिन) जलेबी, गुड़ या मसूर की दाल, भोजन वस्त्र ड्रत्यादि का दान भी अपनी समथर के अनुसार भी करना चाहिये इस प्रकार व्रत रखने से शरीरिक रोगों की शान्ति प्राप्त होकर तेज, तथा सूर्य ग्रह के अरिष्ट का नाश होता है ।
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