ज्योतिष सिद्धांत से जन्मपत्रिका में उपलब्ध ग्रहों, नक्षत्रों एवं गोचर ग्रह व दशांतर का गहन अध्ययन कर निष्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है। ज्योतिष सिद्धांत के कुछ नियम जिनसे इच्छित संतान प्राप्ति में मदद मिल सकती है। संसार के प्रत्येक पति-पत्नी की यही भावना होती है कि मेरी संतान ऐसे समय पर जन्म लेवे जो संस्कारित हो, उच्च शिक्षित हो, निरोगी काया हो, वैभवशाली बने, परिवार, समाज व घर का कुलदीपक बने, राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका रहे, जैसे गुणों से परिपूर्ण हो। साथ ही इच्छित संतान के बारे में पति-पत्नी के अलावा भारतीयों में प्रथम लड़का होने की भी इच्छा रहती है ताकि उनका वंश आगे बढ़ सके। इन्हीं सभी प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए ज्योतिष सिद्धांत में बताए गए नियमों का पालन करने पर कुछ हद तक अपनी इच्छित कामनाओं के अनुसार ऐसी संतान को जन्म देने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। वैसे तो यही प्रधानता रही है कि विधाता ने अपने हाथों में जन्म-मरण, परण (विवाह), लाभ, हानि को रखा है फिर भी ज्योतिष सिद्धांत से जन्मपत्रिका में उपलब्ध ग्रहों, नक्षत्रों एवं गोचर ग्रह व दशांतर का गहन अध्ययन कर निष्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है। आइए जानते हैं ज्योतिष सिद्धांत के कुछ नियम जिनसे इच्छित संतान प्राप्ति में मदद मिल सकती है। सर्वप्रथम पति-पत्नी के जन्मकालीन ग्रहों में चंद्र व सूर्य बल को देखें कि जिस समय वे रति क्रिया में प्रवेश करेंगे उस समय गोचर में दोनों ग्रहों की क्या स्थिति है। क्योंकि चंद्रमा से मन व सूर्य से आत्मा की स्थिति जानी जायेगी कि उस वक्त यदि चंद्रमा या सूर्य निर्बल होंगे तो दोनों आत्माओं का मिलन वास्तविकता से दूर रहेगा। यदि दोनों ग्रह बलवान होंगे तो पूर्णता की ओर अग्रसर होकर आनंद की प्राप्ति होगी। सोलह संस्कार में से गर्भाधान संस्कार के अनुसार रिक्ता, षष्ठी, अष्टमी, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, गंडमूल नक्षत्रों को छोड़कर ऋतुकाल की चार रात्रियों को त्यागकर विषम व सम दिनों के साथ ही शुक्ल पक्ष को ध्यान में रखकर रतिक्रिया करने पर भी इच्छित संतान के साथ ही पुत्र या पुत्री प्राप्त की जा सकती है। इच्छित संतान प्राप्ति के लिए गर्भधारण के समय से लेकर संतान जन्म लेने तक नौ माह ग्यारह दिनों में गोचर ग्रहों व दशांतर की स्थिति को देखते हुए ग्रहों की शांति व लाभ लेने हेतु संबंधित रंग व रत्न धारण करवाना भी एक ज्योतिषी के लिए आवश्यक होता है। गर्भधारण करते समय मंगल-शनि व शुक्र ग्रहों की स्थिति भी कुंडली में देखना आवश्यक है क्योंकि मंगल व शुक्र से वीर्य एवं शनि से स्पर्शता आती है जिसके कारण गर्भधारण करने में सुगमता होती है। गर्भाधान काल से लेकर बच्चे के जन्म के समय तक के बारे में कहावत है जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन और जैसा पियोगे पानी वैसी होगी वाणी, जैसा देखोगे वैसी होगी संतान अर्थात यदि अच्छा भोजन होगा तो विचार अच्छे होंगे अच्छा सोचेंगे व बोलेंगे तथा अच्छा व्यवहार रहेगा जिससे आने वाली संतान में भी वैसे ही गुण दिखेंगे। जन्मकाल के समय लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव के स्वामी की स्थिति एवं उनकी दृष्टियां, नक्षत्र के स्वामी व उनकी लग्न व नवांश, दशमांश कुंडलियों में शुभ स्थितियां इच्छित संतान प्राप्ति में सहयोगी बन सकते हैं अन्यथा पापी ग्रहों की युति व दृष्टियां इच्छित संतान प्राप्ति में बाधक बन सकती है इनका भी विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।संतान जन्म लेते समय गुरु की लग्न में उपस्थिति हो ताकि पंचम, सप्तम व नवम भाव पर शुभ दृष्टि होने पर ग्रह के नैसर्गिक गुण का लाभ लेकर संतान शिक्षित, धार्मिक, संस्कारित बनने में मदद हो। संतान का जन्म ऐसे समय हो जब गंडमूल नक्षत्र गोचर में नहीं रहे जिससे संतान को अपनी सफलता में कम कठिनाई आए। संतान का जन्म ऐसे समय पर हो जब पत्रिका में मांगलिक न हो क्योंकि ऐसी धारणा है कि मांगलिक जातकों के कार्यों में भी अड़चन ज्यादा आती है किंतु अनेक पत्रिकाओं में ऐसा देखा गया है कि मांगलिक जातक अपने क्षेत्र में सफलता जरूर पाता है। संतान का जन्म ऐसे समय हो जब लग्न का स्वामी अपने से षष्टम, अष्टम, द्वादश में नहीं रहे साथ ही लग्न कुंडली में ग्रह उच्च का हो और नवांश में नीच का हो तो भी संतान को अपने क्षेत्र में उन्नति कम मिलती है। ज्ञानवान हेतु गुरु, धनवान हेतु शुक्र व मंगल तथा विदेश यात्रा के लिए शनि ग्रहों की दृष्टियां, भाव में उपस्थिति भी इच्छित संतान प्राप्ति में सहायक व अवरोध बन सकती है। साधारण प्रसव की तुलना में शल्य क्रिया द्वारा संतान होने पर एक निश्चित लग्न व ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखकर अपने समयानुसार इच्छित संतान प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही संतान को डाॅक्टर बनाने के लिए शनि, बुध, मंगल ग्रहों इंजीनियर बनाने के लिए मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि की भाव स्थिति व दृष्टि तथा प्रोफेसर के लिए गुरु, बुध की प्रधानता, सरकारी नौकरी के लिए सूर्य, बुध व मंगल की स्थिति, राजनेता बनने के लिए राहु, केतु, मंगल, शनि के साथ ही शुक्र बल को देखकर ही उचित समय पर गर्भ धारण करवाने एवं सही समय पर संतान जन्म लेने पर इच्छित संतान प्राप्ति के योग ज्योतिष सिद्धांत का पूर्णतया पालन करने पर बन सकते हैं।
best astrologer in India, best astrologer in Chhattisgarh, best astrologer in astrocounseling, best Vedic astrologer, best astrologer for marital issues, best astrologer for career guidance, best astrologer for problems related to marriage, best astrologer for problems related to investments and financial gains, best astrologer for political and social career,best astrologer for problems related to love life,best astrologer for problems related to law and litigation,best astrologer for dispute
No comments:
Post a Comment