यदि शनि रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हो तो जातक धन, जायदाद तथा वाहनादि अर्जित करने जाला, 35 वर्ष की आयु तक पारिवारिक जीवन से दुखी तथा बाद में विवाह-विच्छेद से मानसिक तनाव प्राप्त करने जाला होता है। किंतु उसके उपरांत जातक के जीवन में सुधार होता है । उसकी दूसरो पत्नी बहुत सुंदर और पतिव्रता होती है, परंतु वह सदा गंभीर रोगों से ग्रस्त रहती है।
दूसरे चरण में शनि पशुधन से लाभ देता है। इस चरण में उत्पन्न जातक आकर्षक मधुर वाणीयुक्त एबं विद्वान होता है । उसे गले के रोग से भारी कष्ट होता है समय से पहले ही उसके सिर के बाल उसका साथ छोड़ जाते हैं ।
तीसरे चरण में शनि श्रेष्ट फलदायक होता है। ऐसा जातक मीठा बोलने और बौद्धिक विचारों का होता है । वह छोटी आयु में भी उचित शिक्षा ग्रहण करके यश और धन दोनों अजित कर लेता है ।
चौथे चरण में शनि की उपस्थिति से जातक अपने जीवन में अनगिनत कठिनाइयों को भोगता हुआ अंतत: अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है और आगे चलकर कोई उच्चाधिकारी अथवा राजनेता बनता है ।
दूसरे चरण में शनि पशुधन से लाभ देता है। इस चरण में उत्पन्न जातक आकर्षक मधुर वाणीयुक्त एबं विद्वान होता है । उसे गले के रोग से भारी कष्ट होता है समय से पहले ही उसके सिर के बाल उसका साथ छोड़ जाते हैं ।
तीसरे चरण में शनि श्रेष्ट फलदायक होता है। ऐसा जातक मीठा बोलने और बौद्धिक विचारों का होता है । वह छोटी आयु में भी उचित शिक्षा ग्रहण करके यश और धन दोनों अजित कर लेता है ।
चौथे चरण में शनि की उपस्थिति से जातक अपने जीवन में अनगिनत कठिनाइयों को भोगता हुआ अंतत: अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है और आगे चलकर कोई उच्चाधिकारी अथवा राजनेता बनता है ।
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