Tuesday, 1 September 2015

ग्रहों की शांति हेतु मंत्र

ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों का अलग-अलग फल होता है। कुंडली में जिस ग्रह की स्थिति अशुभ होती है, उससे शुभ फल प्राप्त करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय ये है कि अशुभ ग्रह के मंत्र का जप किया जाए। ग्रहों के मंत्र जप से अशुभ असर कम हो सकता है।
मंत्र जप की सामान्य विधि: जिस ग्रह के निमित्त मंत्र जप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करें। पूजन में सभी आवश्यक सामग्रियां अर्पित करें। ग्रह पूजा के लिए किसी ब्राह्मण की मदद भी ली जा सकती है। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है।
सूर्य मंत्र - ॐ सूर्याय नम:। सूर्य अर्घ्य देकर इस मंत्र के जप से पद, यश, सफलता, तरक्की सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख प्राप्त हो सकता है और इस मंत्र से दरिद्रता दूर हो सकती है।
चंद्र मंत्र - ॐ सोमाय नम:। इस मंत्र जप से मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। पेट व आंखों की बीमारियों में राहत मिलती है।
मंगल मंत्र- ॐ भौमाय नम:। इस मंत्र जप से भूमि, संपत्ति व विवाह बाधा दूर होने के साथ ही सांसारिक सुख मिलते हैं।
बुध मंत्र- ॐ बुधाय नम:। यह मंत्र जप बुद्धि व धन लाभ देता है। घर या कारोबार की आर्थिक समस्याएं व निर्णय क्षमता बढ़ाता है।
गुरु मंत्र - ॐ बृहस्पतये नम:। इस मंत्र जप से सुखद वैवाहिक जीवन, आजीविका व सौभाग्य प्राप्त होता है।
शुक्र मंत्र- ॐ शुक्राय नम:। यह मंत्र जप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाता है। वैवाहिक जीवन में कलह व अशांति को दूर करता है।
शनि मंत्र- ॐ शनैश्चराय नम:। ये मंत्र तन, मन, धन से जुड़ी तमाम परेशानियां दूर करता है। भाग्यशाली बनाता है।
राहु मंत्र- ॐ राहवे नम:। यह मंत्र जप मानसिक तनाव, विवादों का अंत करता है। आध्यात्मिक सुख भी देता है।
केतु मंत्र - ॐ केतवे नम:। यह मंत्र जप हर रिश्तों में तनाव दूर कर सुख-शांति देता है।

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