अगर शनि स्वाति नक्षत्र के पहले चरण में उपस्थित हो तो जातक समाज द्वारा सम्मानित तथा अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध होता है । ऐसे व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक जागरूक रहना चाहिए, वरना उसे घातक रोग का सामना करना पड़ सकता है ।
यदि दूसरे चरण में शनि हो तो जातक को र्डनायु अधिक नहीं होगी, वह अल्पायु होता है। किन्तु वह शरीर से स्वस्थ और धनी होता है ।
यदि तीसरे चरण में शनि हो तो जांतक सौढी-दर-सोढी चढ़ता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है । वह जिस कार्य में हाथ डालता है, उसमें अत्यधिक उन्नति करता है । यदि इस चरण में शनि के साथ सूर्य और चंद्र का भी प्रभाव हो तो जातक को आयु बहुत कम होती है ।
यदि चौथे चरण में शनि हो तो जातक अपनी बिरादरी का मुखिया होता है । वह शहर का प्रमुख अथवा ग्राम का प्रधान भी हो सकता है । ऐसे जातक राज्य की उच्च गदी पर आसीन होते देखे हैं ।
यदि दूसरे चरण में शनि हो तो जातक को र्डनायु अधिक नहीं होगी, वह अल्पायु होता है। किन्तु वह शरीर से स्वस्थ और धनी होता है ।
यदि तीसरे चरण में शनि हो तो जांतक सौढी-दर-सोढी चढ़ता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है । वह जिस कार्य में हाथ डालता है, उसमें अत्यधिक उन्नति करता है । यदि इस चरण में शनि के साथ सूर्य और चंद्र का भी प्रभाव हो तो जातक को आयु बहुत कम होती है ।
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