शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला। शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती, घूमना फिरना, दोस्त मित्र इसके प्रमुख लक्षण है। कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर मन में चंचलता रहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती। खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचि और धन का नाश होता है। अँगूठे का रोग हो जाता है। अँगूठे में दर्द बना रहता है। चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है। चर्म रोग हो जाता है। स्वप्न दोष की शकिायत रहती है।
उपाय: माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करें। श्री सूक्त का पाठ करें। खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग लगायें। ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करें। स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें। कन्या भोजन कराये। ज्वार दान करेंं। गरीब बच्चों व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करें। नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं। अन्न का दान करें। ú सुं शुक्राय नम: का 108बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है।
शनि गृह: शनि की गति धीमी है। इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनता आ जाती है। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं। शनिदेव की भी दो राशियां है, मकर और कुम्भ। शरीर में विशेषकर निचले हिस्से में (कमर से नीचे) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है। वाहन से हानि या क्षति होती है। काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
उपाय: हनुमान आराधना करना, हनुमान जी को चोला अर्पित करना, हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ú हन हनुमते नम: का 108बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है। नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करें। यदि कुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें, यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा। यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवाएँ। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ। तेल में अपना मुख देख वह तेल दान कर दें (छाया दान करें)। लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल, जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें।
उपाय: माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करें। श्री सूक्त का पाठ करें। खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग लगायें। ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करें। स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें। कन्या भोजन कराये। ज्वार दान करेंं। गरीब बच्चों व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करें। नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं। अन्न का दान करें। ú सुं शुक्राय नम: का 108बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है।
शनि गृह: शनि की गति धीमी है। इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनता आ जाती है। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं। शनिदेव की भी दो राशियां है, मकर और कुम्भ। शरीर में विशेषकर निचले हिस्से में (कमर से नीचे) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है। वाहन से हानि या क्षति होती है। काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
उपाय: हनुमान आराधना करना, हनुमान जी को चोला अर्पित करना, हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ú हन हनुमते नम: का 108बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है। नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करें। यदि कुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें, यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा। यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवाएँ। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ। तेल में अपना मुख देख वह तेल दान कर दें (छाया दान करें)। लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल, जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions
No comments:
Post a Comment