Saturday, 5 September 2015

राहु

मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान, स्वयं को ले कर गलतफहमी,आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व अप्शब्द बोलना, व कुंडली में राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना, उदर कष्ट, मस्तिष्क में पीड़ा अथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध खऱाब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढऩे की संभावना रहती है। जल स्थान में कोई न कोई समस्या आना आदि।
उपाय: गोमेद धारण करें। दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करें। तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करें। जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएँ, कोयले को पानी में बहाएँ, मूली दान में देवें, भंगी को शराब, माँस दान में दें। सिर में चोटी बाँधकर रखें। सोते समय सर के पास किसी पात्र में जल भर कर रक्खेंं और सुबह
किसी पेड़ में डाल दें, यह प्रयोग 43 दिन करें। इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और राहवे नम: का 108बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile No.- 9893363928,9424225005
Landline No.- 0771-4050500
Feel free to ask any questions

No comments: