Saturday, 5 September 2015

मृगशिरा नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष में मूल रूप से 27 नक्षत्रों का जिक्र किया गया है। नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है । मृगशिरा नक्षत्र वृष राशि में 23 अंश 20 कला से 30 अंश तक रहता है अर्थात मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण वृष राशि में आते हैं। इस नक्षत्र के बाकि दो चरण, 0 अंश से 6अंश 40 कला तक मिथुन राशि में पड़ते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने से यह नक्षत्र शक्ति, साहस व सूझबूझ का प्रतिनिधि है। यह क्रान्ति वृत्त से 13 अंश 22 कला 12 विकला दक्षिण में और विषुवत रेखा के ऊपर या उत्तर में होने से क्रान्तिवृत्त व विषुवत रेखा के बीच में पड़ता है।
यह नक्षत्र मृग मंडल के ऊपरी भाग में स्थित है। इसमें तीन मंद क्रान्ति के तारे हैं जो एक छोटा त्रिभुज बनाते हैं। यह त्रिभुज किसी मृग का सिर जान पड़ता है। इसलिये इसे मृगशिरा नाम दिया गया है। निरायन सूर्य 7 जून को मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करता है। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है।
मृगशिरा नाम से हिरण का बोध होता है। हिरण एक सौम्य प्रकृित व परोपकारी जीव है। मृगशिरा नक्षत्र में पूर्णिमा होने से अग्रहायण मास आज भी कुछ स्थानों में वर्ष का प्रथम मास माना जाता है। कुछ विद्वान मृगशिरा नक्षत्र का प्रतीक सोमपात्र या अमृत कुंभ को मानते हैं। अमृत देव गण का दैवीय पेय है जो उन्हे स्वस्थ, सबल व अमर बनाता है। मृगशिरा या हिरण का सिर, हिरण के स्वभाव को दर्शाता है। हिरण चंचल, कोमल, भीरू व भ्रमण प्रिय है।
मृगशिरा नक्षत्र के देवता चन्द्रमा है। चन्द्रमा औषधि व आरोग्य से जुड़ा है। मृगशिरा का परिचय यदि एक शब्द में देना हो तो हम इसे ‘‘अन्वेषण’’ या ‘‘खोज’’ कहेंगे। सभी विद्वानों ने इसे जिज्ञासा प्रधान नक्षत्र माना है। अपने ज्ञान व अनुभव का विस्तार करना, इसके जीवन का एकाकी लक्ष्य होता है। बुध की राशि मिथुन, मृगशिरा नक्षत्र में आरंभ होती है अत: इसे विवेक, निष्कर्म व परिपच् धारणा का नक्षत्र भी माना जाता है। ऐसा जातक अध्यात्म मार्ग का पथिक बन कर जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने का इच्छुक होता है।
जातक अध्यात्म मार्ग का पथिक बन कर जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने का इच्छुक होता है।
कुछ विद्वानों ने इस नक्षत्र को बुनकर द्वारा बुने जाने वाले वस्त्र से दर्शाया है। कुछ इसी प्रकार मृगशिरा नक्षत्र भी जीव के गुणों को विकसित कर, उसे परमात्मा की ओर ले जाता है। मृगशिरा नक्षत्र एक निश्चेष्ट नक्षत्र सरीखा है। एसा जातक दूसरों की उपस्थिति, प्रभाव को सहज व निर्विरोध रुप से स्वीकारता है। ऐसे जातक को प्रसिद्धि व यश की कामना नहीं होती। अपने से अधिक औरों की चिन्ता होती है।
मृगशिरा नक्षत्र की जाति विद्वानों ने कृषक, बुनकर या हस्तशिल्पी माना है। अन्य शब्दों में भूमि सुधार, भवन निर्माण या जन-सुविधा के कार्यों से जुड़े कर्मचारियों या उद्योगों में श्रमिक शक्ति, का संबंध मृगशिरा से माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र को स्त्री या पुरुष ना मान कर उभयलिंगी माना गया है। इस नक्षत्र में स्त्री व पुरुष दोनों के गुण मिलते हैं। क्योंकि इस नक्षत्र के स्वामी चन्द्र और मंगल दोनों हैं।
विद्वानों ने नेत्र व नेत्रों के ऊपर भौंहों को मृगशिरा नक्षत्र का हिस्सा माना है। इस नक्षत्र का संबंध पित्त दोष से है। मंगल अग्नि तत्व ग्रह होने से पित्त कारक है तथा इस नक्षत्र को मंगल की ऊर्जा का स्त्रोत माना गया है।यहाँ मंगल की शक्ति, विनाश, हिंसा या ध्वंसात्मक नहीं है। अपितु रचनात्मक है। मृगशिरा नक्षत्र की दिशा दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम के मध्य का भाग मृगशिरा नक्षत्र की दिशा मानी गई है।
मृगशिरा नक्षत्र के व्यवसाय सभी प्रकार के गायक व संगीतज्ञ, चित्रकार, कवि, भाषाविद, रोमांटिक उपन्यासकार, लेखक, विचारक या मनीषी। भूमि भवन, पथ या सेतु निर्माण से जुड़े यंत्र, वस्त्र उद्योग से जुड़े कार्य, फैशन डिजायनिंग, पशुपालन या पशुओं से जुडी़ सामग्री का उत्पादन व वितरण। प्रशिक्षण कार्य,शिल्पी क्लर्क, प्रवचन कर्ता, संवादाता आदि जैसे विवध कार्य इस नक्षत्र में आते हैं।
मृगशिरा नक्षत्र का स्थान वनक्षेत्र, खुले मैदान, चरागाह, हिरण उद्यान, गाँव व उपनगर, शयनकक्ष, नर्सरी व प्ले स्कूल, विश्राम गृह, मनोरंजन कक्ष या स्थल, फुटपाथ, गलियाँ, कला व संगीत स्टूडियो, छोटी दुकानें, बाजार या पटरी बाजार, ज्योतिष व आध्यात्मिक संस्थाएं और मृगशिरा नक्षत्र संबंधी व्यवसायों से जुड़े सभी स्थान।
मृगशिरा नक्षत्र तमोगुणी या तामसिक नक्षत्र है। वृष राशि और मंगल नक्षत्र दोनों तमोगुणी
हैं इसी वजह से इस नक्षत्र को तमोगुणी कहा गया है। इस नक्षत्र का गण देव गण है। इस नक्षत्र का संबंध मनुष्यों से कम व देवताओं से अधिक है। मृगशिरा को सतही या समतल नक्षत्र भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष मास का प्रथम पक्ष तथा सभी मासों की शुक्ल और कृष्ण पंचमी को मृगशिरा का मास व तिथि होती है। मृगशिरा मास का अन्य नाम अग्रहायणी नक्षत्र भी है।
मृगशिरा नक्षत्र पर मंगल, शुक्र तथा बुध का प्रभाव स्पष्ट दिखता है। कुछ विद्वान मंगल को मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी या अधिपति ग्रह मानते हैं। मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम दो चरण वृष राशि में तो अंतिम चरण मिथुन राशि में होने से शुक्र व बुध की ऊर्जा को मिलाने वाला सेतु भी कहा जाता है। विद्वानों का मत है कि मंगल+बुध या मंगल+शुक्र अथवा बुध+शुक्र या मंगल+बुध+शुक्र का परस्पर दृिष्ट युति या राशि परिवर्तन या राशि संबंध भी मृगशिरा नक्षत्र की ऊर्जा प्रदान करता है।
मृगशिरा नक्षत्र का प्रथम चरण का अक्षर ‘वे’ है। दूसरे चरण का अक्षर ‘वो’ है। तीसरे चरण का अक्षर ‘का’ है। चतुर्थ चरण का अक्षर ‘की’ है। मृगशिरा नक्षत्र की योनि सर्प योनि है। इस नक्षत्र को महर्षि पुलस्त्य का वंशज माना जाता है।
मृगशिरा नक्षत्र का व्यक्तित्व आकर्षक होता है लोग इनसे मित्रता करना पसंद करते हैं। ये मानसिक तौर पर बुद्धिमान होते और शारीरिक तौर पर तंदरूस्त होते हैं। इनके स्वभाव में मौजूद उतावलेपन के कारण कई बार इनका बनता हुआ काम बिगड़ जाता है या फिर आशा के अनुरूप इन्हें परिणाम नहीं मिल पाता है। ये संगीत के शौकीन होते हैं, संगीत के प्रति इनके मन में काफी लगाव रहता है। ये स्वयं भी सक्रिय रूप से संगीत में भाग लेते हैं परंतु इसे व्यवसायिक तौर पर नहीं अपनाते हैं। इन्हें यात्रओं का भी शौक होता है, इनकी यात्राओं का मूल उद्देश्य मनोरंजन होता है। कारोबार एवं व्यवसाय की दृष्टि से यात्रा करना इन्हें विशेष पसंद नहीं होता है।व्यक्तिगत जीवन में ये अच्छे मित्र साबित होते हैं, दोस्तों की हर संभव सहायता करने हेतु तैयार रहते हैं। ये स्वाभिमानी होते हैं और किसी भी स्थिति में अपने स्वाभिमान पर आंच नहीं आने देना चाहते। इनका वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखमय होता है क्योंकि ये प्रेम में विश्वास रखने वाले होते हैं। ये धन सम्पत्ति का संग्रह करने के शौकीन होते हैं। इनके अंदर आत्म गौरव भरा रहता है। ये सांसारिक सुखों का उपभोग करने वाले होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बहादुर होते हैं ये जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव को लेकर सदैव तैयार रहते हैं, इस नक्षत्र के जातक मशीन के कार्यों में निपुण, हथियार व उपकरण बनाने वाले, बिजली कार्यों में निपुण, ऑपरेशन में काम आने वाले सामान बनाने वाले, संचार कार्य, इंजीनियर, गणितज्ञ, ऑडिट करने वाले चतुर व्यक्ति, विदेशों में नियुक्त दूत, रेडियो-फोन विक्रेता,सेल्स में काम करने वाले, संगीत सम्बन्धी कार्य, इत्र-सेंट आदि चीजों के कारोबारी, प्रकृति प्रेमी जंगलों में काम करने वाले, रत्न कारोबारी, पक्षियों को पालने वाले, प्रकाशन व मुद्रण में कार्य करने वाले घर बनाने वाले आदि।
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