यदि शनि मधा नक्षत्र के पहले चरण में हो तो जातक छोटे कद का, मोटा और कठोर शरीर का स्वामी होता है । वह सरकारी सेवा में कार्यरत, आचरणहीन, वैवाहिक जीवन में दुखी तथा योग्य पुत्र एवं पुत्रियों वाला होता है । वह जीवन को मध्यावस्था में पक्षाघात से ग्रस्त हो सकता है।
यदि दुसरे चरण में शनि उपस्थित हो तो जातक दो बार विवाह करता है । उसे दांपत्य जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयां भोगनी पड़ती है तथा उसकी आर्थिक स्थिति कभी संतोषजनक नहीं रहती, अगर तीसरे चरण में शनि का प्रभाव हो तो जातक का गृहस्थ जीवन सदैव कष्टकारी रहता है। उसकी पत्नी दुर्भाग्य की सूचक, व्रहू और मुंहजोर होती है । इसी कारण जातक पत्नी से अलग हो जाता है ।
यदि चौथे चरण में शनि हो तो जातक स्वस्थ युवं सुगठित शरीर का स्वामी, ईमानदार, भद्दी भाषा का प्रयोग करने वाला, मेहनत-मजदूरी करके आजीविका चलाने वाला तथा स्वामी भक्त होता है । ऐसे जातक को कहीं से भी आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति हो सकती है ।
यदि दुसरे चरण में शनि उपस्थित हो तो जातक दो बार विवाह करता है । उसे दांपत्य जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयां भोगनी पड़ती है तथा उसकी आर्थिक स्थिति कभी संतोषजनक नहीं रहती, अगर तीसरे चरण में शनि का प्रभाव हो तो जातक का गृहस्थ जीवन सदैव कष्टकारी रहता है। उसकी पत्नी दुर्भाग्य की सूचक, व्रहू और मुंहजोर होती है । इसी कारण जातक पत्नी से अलग हो जाता है ।
यदि चौथे चरण में शनि हो तो जातक स्वस्थ युवं सुगठित शरीर का स्वामी, ईमानदार, भद्दी भाषा का प्रयोग करने वाला, मेहनत-मजदूरी करके आजीविका चलाने वाला तथा स्वामी भक्त होता है । ऐसे जातक को कहीं से भी आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति हो सकती है ।
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