Wednesday, 2 September 2015

पराक्रम से ही खुश होते हैं शनिदेव

शनि के रोहिणी-शकट भेदन करने मात्र से पृथ्वी पर बारह वर्षों तक घोर त्राही-त्राही मच जाए और सभी जीवों का जीवित रहना भी मुश्किल हो जाए। शनि ग्रह का जब रोहिणी भेदन कर बढ़ जाता है, तब यह योग आता है। यह योग महाराजा दशरथ के समय में आया था। इस योग के प्रभाव से राज्य की प्रजा बेहाल हो गई। राजा ने बहुत तरह से राज्य में आए संकट से निपटने के प्रयास किए परंतु सभी निष्फल हुए। जब राज्य के ज्योतिषियों और विद्वानों ने दशरथ को बताया कि यह योग शनिदेव की वजह से आया है। यदि शनि ने अपना प्रकोप समाप्त नहीं किया तो पूरी पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाएगा। तब राजा दशरथ पृथ्वी और अपनी प्रजा के संकट को दूर करने के लिए शनि देव के लोक पहुंच गए और शनिदेव से प्रकोप हटाने का निवेदन किया। जब शनिदेव नहीं माने तो राजा दशरथ ने युद्ध प्रारंभ कर दिया। परंतु दशरथ शनिदेव पर किसी काबू ना पा सके। अंत में दशरथ ने संहारास्त्र का संधान किया। तब शनिदेव उनकी वीरता से प्रसन्न हो गए और उन्हें वर मांगने के लिए कहा। राजा ने शकट भेदन योग से पृथ्वी को मुक्त करने का वर मांग लिया और शनि ने तथास्तु कहकर अंतध्र्यान हो गए।

शनिदेव के प्रकोप से बचने के उपाय
- श्री हनुमान का पूजन करें।
- शनिवार को शनि की विशेष आराधना करें।
- महामृत्युंजय-जप करना चाहिए।
- नीलम धारण करने से भी शनि का प्रकोप शांत होता है।
- ब्राह्मण को काला वस्त्र, उड़द, भैंस, लोहा, तिल, तेल, नीलम, काली गौ, जूता, कस्तूरी और सोना दान देना चाहिए।
- शनि को न्याय का देवता बताया गया है अत: किसी का बुरा ना करें।
- नि:सहायों और गरीबों की मदद करें।
- धार्मिक आचरण करें, बुराइयों से बचें।

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