Thursday, 3 September 2015

वैवाहिक विलम्ब एवं प्रयोग :ज्योतिषीय विश्लेषण

क्षणजीवी भौतिकता की दिशा में समग्र सामर्ध्व के साथ उधत मानव समाज में सर्वाधिक आहत एवं क्षत-विक्षत हैं सम्बन्धों के समीकरण । समाज क्री समस्त इकाइयों और संस्थाएं इस दुष्कातिक आक्रमण से स्तब्ध हैं । विवाह नामक केन्दीय संस्कार भी समस्याओं के चक्रव्यूह में मोहाविष्ट है । इस संदर्भ में अनागत दर्शन की क्षमता से संपन्न ज्योतिष शास्त्र की भूमिका अत्यन्त उत्तरदायी एवं अनाविल हो उठती है । विवाह एक संश्लिष्ट और बहुआयामी संस्कार है । इसके संबंध में किसी प्रकार की फलप्राप्ति के लिए विस्तृत एव धैर्यपूर्ण अध्ययन-मनन-चिंतन की अनिवार्यता होती है | किसी जातक के जन्मांग से विवाह संबधी ज्ञानप्राप्ति के लिए द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भादों का विश्लेषण करना चाहिए । द्वितीय भाव परिवार का धोतक है तथा पति-पत्नी परिवार की भूल इकाई हैं । सातवें भाव से अष्टमस्थ होने के कारण विवाह के प्रारंभ व अंत का ज्ञान देकर यह भाव अपनी स्थिति महत्वपूर्ण बनाता है । प्राय: पापाक्रांत द्वितीय भाव विवाह से वंचित रखता है । सन्तान सुख वैवाहिक जीवन का प्रसाद पक्ष है, जिसके लिए पंचम माय का समुचित विश्लेषण आवश्यक है । सप्तम भाव से तो मुख्यत: विवाह से संबंधित अनेक तथ्यों का उदूघाटन होता ही है । द्वादश भाव शैया सुख के लिए विचारणीय है । अनेक ज्योतिषी एकादश भाव का विवेचन भी आवश्यक समझते हैं । एक बहुख्यात सूत्र है कि यदि एकादश भाव में दो ग्रह संस्थित हों तो जातक के दो विवाह होते हैं। फलदीपिका में मन्वेथ्वर ने शुक्र और बृहस्पति क्रो क्रमश: पुरुष व स्त्री का विवाह कारक ग्रह बाताया है । जबकि प्रश्नमार्ग के मतानुसार स्त्रियों के विवाह का कारक ग्रह शनि है । बृहस्पति और शनि पर विचार करने के साथ-साथ शुक्र पर भी अवश्य विचार करना चाहिए अन्यथा निर्णय में अशुद्धि होगी । सप्तामाधिपति की स्थिति भी विवाह के विषय में पर्याप्त बोध कराती है । यदि सप्तामाधिपति अपनी उच्च राशि में स्थिति हो तो उच्च कूल की श्रेष्ठ कन्या के साथ विवाह संपन्न होता है, यदि निम्न राशि में स्थित हो तो सामान्य परिवार से परिणय सूत्र जुड़ता है । इसके केन्द्र में श्रेष्ठ स्थिति में स्थित होने पर वैवाहिक संस्कार अत्यन्त वैभवशाली ढंग से सम्पन्न होता है । सप्तमाधिपति यदि षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो तो विवाह प्राय: दुःखपूर्ण होता है ।

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