कुंडली में वकील बनने के ज्योतिष्य योग जो वकील बनने में सहायक होते हैं। कानून शास्त्र से संबंधित ग्रह मुखयतः गुरु, शुक्र, मंगल, बुध और शनि हैं। गुरु, शुक्र अच्छी विवेक शक्ति प्रदान करते हैं। मंगल पराक्रम का कारक है। बुध-वाणी का कारक है तथा न्याय प्रधान होने के कारण वकालत पेशे से मुखय रूप से संबंधित है। वकालत से संबंधित भाव मुखयतः द्वितीय (वाणी भाव), सप्तम (कानून, मुकदमा) तथा नवम भाव एवम् कर्म भाव हैं। जब लग्न या सप्त भाव में मंगल, बुध अथवा शनि हो अथवा द्वितीयेश लग्न में बुध या शनि से युत हो अथवा पंचमेश लग्न में बुध या शनि से युत हो या उससे दृष्ट हो तो जातक वकील हो सकता है। कुंडली संखया -1 महात्मा गांधी की है। महात्मा गांधी की कुंडली में कानूनी शिक्षा से संबंधित लगभग सभी ग्रह केंद्र भावों में स्थित है। सप्तमेश बली मंगल लग्न में शुभ ग्रहों से युत है। द्वितीय शनि एवं केंद्रस्थ, मंगल शुक्र, बुध, गुरु की स्थिति भी अत्यंत अच्छी है। इन सब ग्रह योगों के फलस्वरूप ही गांधी जी ने कानून की पढ़ाई की और एक बैरिस्टर के रूप में प्रैक्टिस भी की। प्रस्तुत कुंडली संखया-2 में सप्तमेश मंगल-द्वितीयेश बुध के साथ लग्न भाव में स्थित है। वाणी भाव के कारक बुध (जो स्वयं द्वितीयेश एवं पंचमेश भी है) ने लग्न में मंगल एवं सूर्य के साथ स्थित होकर जातक को प्रभावशाली, ओजस्वी एवं कुशल वक्ता बनाया। साथ ही मंगल की सप्तम भाव पर दृष्टि एवं शनि से दृष्ट लग्नस्थ बुध ने जातक को कानून के क्षेत्र में सफलता दिलाई। जातक एक सफल वकील हैं। केंद्र भावों में बुध, गुरु या शनि हो अथवा गुरु एवं शनि से शुभ संबंध हो तो जातक कानून की शिक्षा प्राप्त करके अच्छा वकील बनता है, यह देखने को मिलता हैं। कुंडली में भी कानूनी शिक्षा के प्रबलतम योग विद्यमान है- तुला लग्न की कुंडली में योगकारक पंचमेश शनि गुरु के साथ केंद्र में स्थित है। बुध शनि के दृष्टि संबंध एवं अष्टमस्थ चंद्र ने उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ-साथ कानूनविद् और कुशल वकील भी बनाया। जब वाणी भाव, सप्तम भाव, बलवान बुध, गुरु या बुध शनि का संबंध धनेश, लाभेश या कर्मेश के साथ होता है तो जातक वकालत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करके खूब नाम व पैसा भी कमाता है। कुंडली संखया 4 में धनेश बुध सप्तम भाव में सूर्य के साथ एवं लाभेश गुरु शनि के साथ पंचम भाव में युति बना रहा है। जातक ने वकालत के क्षेत्र में सफल होकर खूब धन भी अर्जित किया है। ''फल दीपिका'' के अनुसार ''जीवांशके भूसुर देवतानां समाघ्रयात भूमिपति प्रसादात्। पुराण शास्त्रा गमनीति भार्गाद् धर्मोपदेशेन कुर्वीद्वृत्या॥ अर्थात् यदि दशमेश गुरु नवांश (धनु या मीन) में हो तो देवताओं व ब्राह्मणों से संबद्ध कार्य (राजा की प्रसन्नता) सरकारी नौकरी (राजकोष से धनागम्) पुराण शास्त्र, वेदादि, नीति शास्त्र (कानून व नीति से) धर्मोपदेश से या ब्याज पर धन देने से आजीविका चलती है। अर्थात् जब दशमेश गुरु के नवांश में होगा, तो भी जातक वकालत पेशे को अपनाता है। एक सफल वकील बनने के लिए वाणी में ओज, भाषा पर नियंत्रण, अद्भुत तर्क शक्ति, उत्तम ज्ञान, विवेक शक्ति एवं निर्णय क्षमता का होना अति आवश्यक है और ये गुण अच्छे बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि ही दे सकते हैं। अतः एक सफल वकील बनने के लिए जन्मपत्रिका में इन ग्रहों का शुभ स्थिति में होना अति आवश्यक है।
best astrologer in India, best astrologer in Chhattisgarh, best astrologer in astrocounseling, best Vedic astrologer, best astrologer for marital issues, best astrologer for career guidance, best astrologer for problems related to marriage, best astrologer for problems related to investments and financial gains, best astrologer for political and social career,best astrologer for problems related to love life,best astrologer for problems related to law and litigation,best astrologer for dispute
No comments:
Post a Comment