सौर मंडल में सात ग्रह है। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि इसके अलावा दो छाया ग्रह है राहु और केतु। ज्येातिष की भाषा में राहु को सर्प का मुख माना जाता है एवं केतु को उस सर्प की पूंछ। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में जब राहु-केतु के मध्य सारे ग्रह आ जाते हैं वह कुंडली कालसर्प ग्रस्त मानी जाती है।हानिकारक नहीं है कालसर्प काल सर्प योग हमेशा हानि कारक नहीं होता है। कुछ स्थिति में इसका दुष्प्रभाव होता है लेकिन किसी भी एक ग्रह के महायोग से इसका प्रभाव स्वत: खत्म हो जाता है। मूलत: काल सर्प योग केवल अनिर्णय या असमंजस की स्थिति पैदा करता है। इससे पीडि़त व्यक्ति महत्वपूर्ण मौकों पर निर्णय लेते समय गफलत की स्थिति में आ जाता है और इससे उसका नुकसान हो जाता है। कई महापुरुषों की कुंडली में भी कालसर्प योग रहा लेकिन वे अपनी मंजिल पर पहुंचे। इसलिए कालसर्प भय या चिंता का विषय नहीं है, बल्कि विवेकपूर्ण बुद्धि के उपयोग का विषय है। काल सर्प का इतिहासकालसर्प के बारे में प्राचीन ग्रंथ में भी वर्णन मिलता है।
मुख्यत: कालसर्प 12 प्रकार के माने गए हैं। इनके नाम इस प्रकार है :1. अनंत 2. कुलिक 3. वासुकी 4. शंखपाल 5. पद्म 6. महापद्म 7. तक्षक 8. कर्कोटक 9. शंखचूड 10. घातक 11. विषधर 12 शेष.और भी विद्वानों के मतानुसार कालसर्प 3456 प्रकार के होते हैं।मान्यता है कि इनमें से कर्कोटक, विषधर, घातक और शंखचूड यह दुष्प्रभावी योग होते हैं।भेदकालसर्प के दो भेद हैं :1. उदित 2. अनुदितउदित- उदित योग कष्टकारी होता है। इस योग में कुंडली में बैठे समस्त ग्रह एक-एक करके राहु के मुख में समाते है। अत: यह कष्टकारी योग होता है।अनुदित योग- यह सरल योग होता है। इसमें सभी कुंडली स्थित ग्रह एक-एक कर राहु से मुक्त होते हैं।ऐसा भी देखने में आया है कि कभी सातों ग्रह राहु, केतु के मध्य न आकर एकाध ग्रह अलग हो जाता है। तब भी कालसर्प योग माना जाता है।क्या शांति पूजा पाठ से कालसर्प दोष शांत होता है ?कालसर्प दोष शांति के कई उपायों का शास्त्रों में वर्णन किया गया है। उनमें पूजन पाठ भी एक महत्वपूर्ण अंग है। अन्य उपाय :- शिवलिंग पर तांबे का नाम ब्रह्ममुहूर्त में चढ़ाएं। चांदी का नाग-नागीन नदी में बहाएं।- नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।- शिव उपासना लघु रुद्र का पाठ कराएं।- बुधवार या शनिवार को भिखारी को कंबल, उड़द, मूंग का दान करें।- एक साबूत तरबूज लेकर पानी के किनारे जो से पटक दें।- शनिवार को कुत्ते को बिस्किट खिलाएं।
मुख्यत: कालसर्प 12 प्रकार के माने गए हैं। इनके नाम इस प्रकार है :1. अनंत 2. कुलिक 3. वासुकी 4. शंखपाल 5. पद्म 6. महापद्म 7. तक्षक 8. कर्कोटक 9. शंखचूड 10. घातक 11. विषधर 12 शेष.और भी विद्वानों के मतानुसार कालसर्प 3456 प्रकार के होते हैं।मान्यता है कि इनमें से कर्कोटक, विषधर, घातक और शंखचूड यह दुष्प्रभावी योग होते हैं।भेदकालसर्प के दो भेद हैं :1. उदित 2. अनुदितउदित- उदित योग कष्टकारी होता है। इस योग में कुंडली में बैठे समस्त ग्रह एक-एक करके राहु के मुख में समाते है। अत: यह कष्टकारी योग होता है।अनुदित योग- यह सरल योग होता है। इसमें सभी कुंडली स्थित ग्रह एक-एक कर राहु से मुक्त होते हैं।ऐसा भी देखने में आया है कि कभी सातों ग्रह राहु, केतु के मध्य न आकर एकाध ग्रह अलग हो जाता है। तब भी कालसर्प योग माना जाता है।क्या शांति पूजा पाठ से कालसर्प दोष शांत होता है ?कालसर्प दोष शांति के कई उपायों का शास्त्रों में वर्णन किया गया है। उनमें पूजन पाठ भी एक महत्वपूर्ण अंग है। अन्य उपाय :- शिवलिंग पर तांबे का नाम ब्रह्ममुहूर्त में चढ़ाएं। चांदी का नाग-नागीन नदी में बहाएं।- नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।- शिव उपासना लघु रुद्र का पाठ कराएं।- बुधवार या शनिवार को भिखारी को कंबल, उड़द, मूंग का दान करें।- एक साबूत तरबूज लेकर पानी के किनारे जो से पटक दें।- शनिवार को कुत्ते को बिस्किट खिलाएं।
No comments:
Post a Comment