शुभ फल पाने के लिए हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा से देवी सरस्वती का व्रत शुरू करना चाहिए। यदि ऐसा न कर सकें तो किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी से व्रत शुरू कर सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठ कर, स्नान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए। इसके बाद पूरे विधि-विधान से देवी सरस्वती की पूजा करके इस मंत्र का जाप करें-
वेदशास्त्राणि सर्वाणि नृत्यगीतादिकं त यत्।
वाहितं यत् त्वया देवि तथा मे सन्तु सिद्धयः।।
अर्थात- हे देवी, वेदों और सभी शास्त्रों तथा नृत्य-संगीत की जो भी विधाएं हैं, वे सभी आप के अधीन ही रहती हैं। वे सभी विधाएं मुझे प्रदान करें।
व्रत खत्म होने पर करें ब्राह्मणों को दान
साल भर देवी सरस्वती का व्रत करने पर आखरी व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन के लिए एक पात्र में चावल भर कर दान करें। साथ ही दो सफेद कपड़े, चंदन और गायों का भी दान करें। ऐसा करने से साल भर किए गए व्रत का फल जरूर मिलता है।
No comments:
Post a Comment