बदरी नारायण मंदिर जिसे बद्रीनाथ भी कहते हैं अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। नर नारायण की गोद में बसा बद्रीनाथ नीलकण्ड पर्वत का पार्श्व भाग है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया गया था। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप।
मंदिर परिसर में 15 मूर्तियां है, इनमें सब से प्रमुख है भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा है। यहां भगवान विष्णु ध्यान मग्न मुद्रा में सुशोभित है। जिसके दाहिने ओर कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां है। इसे धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है।शंकराचार्य की व्यवस्था के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है। मंदिर अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवम्बर तक मंदिर दर्शनों के लिए खुला रहता है।
श्री विशाल बद्री
बद्रीनाथ धाम में श्री बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। विष्णु के इन पांच रूपों को ‘पंच बद्री’ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां स्थापित है। श्री विशाल बद्री पंच बद्रियों में से मुख्य है। इसकी देव स्तुति का पुराणों में विशेष वर्णन किया जाता है। ब्रह्मा, धर्मराज व त्रिमूर्ति के दोनों पुत्र नर के साथ ही नारायण ने बद्री नामक वन में तपस्या की, जिससे इन्द्र का घमण्ड चकनाचूर हो गया। बाद में यही नर नारायण द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतरित हुए। जिन्हें हम विशाल बद्री के नाम से जानते हैं। इसके अलावा श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्घ बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैँ।
पौराणिक मान्यताएं
कहते हैं जब गंगा देवी पृथ्वी पर अवतरित हुई तो पृथ्वी उनका प्रबल वेग सहन न कर सकी। गंगा की धारा बारह जल मार्गो में विभक्त हुई। उसमें से एक है अलकनंदा का उद्गम। यही स्थल भगवान विष्णु का निवास स्थान बना और बद्रीनाथ कहलाया। एक अन्य मान्यता है कि प्राचीन काल में यह स्थल जंगली बेरों से भरा रहने के कारण बद्री वन भी कहा जाता था। कहते हैं यहीं किसी गुफा में वेदव्यास ने महाभारत लिखी थी और पांडवों के स्वर्ग जाने से पहले यही अंतिम पड़ाव था। जहां वे रूके थे।
बद्रीनाथ धाम में श्री बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। विष्णु के इन पांच रूपों को ‘पंच बद्री’ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां स्थापित है। श्री विशाल बद्री पंच बद्रियों में से मुख्य है। इसकी देव स्तुति का पुराणों में विशेष वर्णन किया जाता है। ब्रह्मा, धर्मराज व त्रिमूर्ति के दोनों पुत्र नर के साथ ही नारायण ने बद्री नामक वन में तपस्या की, जिससे इन्द्र का घमण्ड चकनाचूर हो गया। बाद में यही नर नारायण द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतरित हुए। जिन्हें हम विशाल बद्री के नाम से जानते हैं। इसके अलावा श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्घ बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैँ।
पौराणिक मान्यताएं
कहते हैं जब गंगा देवी पृथ्वी पर अवतरित हुई तो पृथ्वी उनका प्रबल वेग सहन न कर सकी। गंगा की धारा बारह जल मार्गो में विभक्त हुई। उसमें से एक है अलकनंदा का उद्गम। यही स्थल भगवान विष्णु का निवास स्थान बना और बद्रीनाथ कहलाया। एक अन्य मान्यता है कि प्राचीन काल में यह स्थल जंगली बेरों से भरा रहने के कारण बद्री वन भी कहा जाता था। कहते हैं यहीं किसी गुफा में वेदव्यास ने महाभारत लिखी थी और पांडवों के स्वर्ग जाने से पहले यही अंतिम पड़ाव था। जहां वे रूके थे।
कैसे पहुंचे
रेल मार्ग
बद्रीनाथ के सबसे समीपस्थ रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो यहां से मात्र 297 किमी. दूर स्थित है। ऋषिकेश भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और लखनऊ आदि से सीधे तौर पर रेलवे से जुड़ा है।
वायु मार्ग
बद्रीनाथ के लिए सबसे नजदीक स्थित जोली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जो यहां मात्र 314 किमी. की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ से सबसे समीप स्थित अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट इंदिरा गांधी एयरपोर्ट है।
सड़क मार्ग
प्राइवेट टैक्सी और अन्य साधनों को किराए पर लेकर ऋषिकेश से बद्रीनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
बद्रीनाथ के सबसे समीपस्थ रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो यहां से मात्र 297 किमी. दूर स्थित है। ऋषिकेश भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और लखनऊ आदि से सीधे तौर पर रेलवे से जुड़ा है।
वायु मार्ग
बद्रीनाथ के लिए सबसे नजदीक स्थित जोली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जो यहां मात्र 314 किमी. की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ से सबसे समीप स्थित अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट इंदिरा गांधी एयरपोर्ट है।
सड़क मार्ग
प्राइवेट टैक्सी और अन्य साधनों को किराए पर लेकर ऋषिकेश से बद्रीनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
No comments:
Post a Comment