प्राणियों को आंखें ईश्वर की बड़ी नियामत हैं। यदि किसी की आंखें न हों तो उसका दर्द हम अच्छी तरह समझ सकते हैं। आंखें न होना या कमजोर होना दोनों किसी सजा से कम नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आंखों का कारक ग्रह सूर्य को माना गया है। जन्म पत्रिका सूर्य लग्न में, द्वादश या द्वितीय भाव में हो तो जातक की आंखें कमजोर होती हैं। इन्हीं स्थानों पर सूर्य यदि पाप ग्रह से युक्त तथा नीच का हो तो आंखें जाने का भी डर रहता है। लग्न में सूर्य बाल्यावस्था में ही चश्मा चढ़वा देता है। कुछ लोग बचपन में खेल-खेल में सूर्य को देखते हैं। यह भी आंखों को कमजोर कर देता है। सूर्य को देखने से आंखों के रेटिना खराब हो जाते है, जो देखने की शक्ति को कमजोर कर देते हैं। इसके अलावा माइग्रेन जैसे रोग भी इसी की देन है। लग्न, द्वितीय या द्वादश भाव में सूर्य सिरदर्द का भी कारण होते है। क्या करें उपचार? - चक्षुपनोनिषद का पाठ करें। - आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। - सुबह उठकर नेत्रों को ठंडे पानी से धोएं। - सूर्य को कभी न देखें। - चंद्र को पूर्णिमा की रात्र्रियो में पंद्रह मिनट तक देखें। - टी.वी. दूर से देखें। - लेटकर नहीं पढ़े। यह कुछ थोड़े उपाय है, इनको अपनाने से आप अपने नेत्रों को सुरक्षित रख सकते है।
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