Saturday, 29 August 2015

वास्तु अनुसार बनाए अपने सपनों का घर

घर की साज सज्जा बाहरी हो या अंदर की वह हमारी बुद्धि मन और शरीर को जरूर प्रभावित करती है। घर में यदि वस्तुएं वास्तु अनुसार सुसज्जित न हो तो वास्तु और ग्रह रश्मियों की विषमा के कारण घर में क्लेश, अशांति का जन्म होता है। घर के बाहर की साज-सज्जा बाहरी लोगों को एवं आंतरिक शृंगार हमारे अंत: करण को सौंदर्य प्रदान करता है। जिससे सुख-शांति सौम्यता प्राप्त होती है।भवन निर्माण के समय ध्यान रखें। भवन के अंदर के कमरों का ढलान उत्तर दिशा की तरफ न हो। ऐसा हो जाने भवन स्वामी हमेशा ऋणी रहता है। ईशान कोण की तरफ नाली न रखें। इससे खर्च बढ़ता है।शौचालय: शौचालय का निर्माण पूर्वोत्तर ईशान कोण में न करें। इससे सदा दरिद्रता बनी रहती है। शौचालय का निर्माण वायव्य दिशा में हो तो बेहतर होता है।कमरों में ज्यादा छिद्रों का ना होना आपको स्वस्थ और शांतिपूर्वक रखेगा।घरों में रंगों का संयोजनघर में अत्यधिक सफेद एवं काले रंग का प्रयोग नहीं करें। काला रंग राहु के प्रभाव को बढ़ाता है एवं अत्यधिक सफेद रंग विलासिता बढ़ाता है।- किचन में लाल रंग।- बेडरुम मे हल्का नीला।- शौचालय और उसके बाहर गहरा नीला।- पूजा घर में नारंगी।- ड्राइंग रूम में क्रिम रंग का इस्तेमाल करें।
अटैच बाथरुमअटैच बाथरुम बनाते समय यह ध्यान रखें कि कमरे के बायी और उसका निर्माण नहीं हो तथा उसका एक्जास्ट बाहर की ओर हो।
फर्श कैसा होफर्श पर भगवान या उनके चित्र नहीं बनाना चाहिए। इसके अलावा पशु, पक्षी, वीणा आदि भी नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने पर मानसिक विकार, धन-हानि की संभावना रहती है।सात, आठ दल वाले कमल के पुष्प का चिन्ह आदि का फर्श का निर्माण करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं। फर्श ऊंचा नीचा न हो इससे विरोध बढ़ता तथा विकास रुक जाता है।कमरों का निर्माण कैसा होकमरों का निर्माण में नाप महत्वपूर्ण होते हैं। उनमें आमने-सामने की दिवारें आकार में बिल्कुल एक जैसी हों उनमें विषमता न हो। कमरों का निर्माण भी सम आकार में ही करें। 20-10, 16-10, 10-10, 20-16 आदि विषमता में करें जैसे 19-16, 18-11 आदि।शयन कक्ष में शयन की क्या स्थितिशयन कक्ष में सोने की व्यवस्था कुछ इस तरह हो कि सिर दक्षिण मे एवं पावं उत्तर में हो।यदि यह संभव न हो सिरहाना पश्चिम में और पूर्व दिशा में हो तो बेहतर होता है। रोशनी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आंखों पर जो न पड़े। बेड रुम के दरवाजे के पास पलंग स्थापित न करें। इससे कार्य में विफलता पैदा होती है।
फर्नीचर: घर में फर्नीचर बनवाने के लिए बहेड़ा, पीपल, वटवृक्ष, पाकर, कैथ, करंज, गुलर आदि लकडिय़ों का प्रयोग न करें। ऐसा करने पर सुख का नाश होता है। पलंग के सिरहाने पर अशुभ आकृति न हो इसका ध्यान रखें जैसे सिंह, गिद्द, बाज या अन्य हिंसक पशु ऐसा होने पर वह मानसिक विकार उत्पन्न करती है। जो कलह का कारण होता है।फर्नीचर में शीशम, महूआ, अर्जुन, बबूल, खैर, नागकेशर वृक्ष की लकड़ी का में ले सकते हैं।
टीवी कहां रखेंघर के आग्नेय कोण में ही टीवी रखें। इसी प्रकार अलमारी दक्षिणमुखी नहीं होनी चाहिए। गद्दा, तकिया, पलंग, पर्दे आदि का वास्तु अनुरूप हो तो जीवन में सदा सुख का अनुभव करेंगे।

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