Saturday, 29 August 2015

ज्योतिष शाश्त्र में मंगल ग्रह

सूर्य मंडल में सूर्य को राजा और मंगल को सेनापति कहा गया है। आकाश मंडल में यह लाल रंग का दमकता हुआ साफ-साफ दिखाई देता है। उसके लाल गुण के कारण अग्नि पर उसका प्रभाव माना जाता है। सूर्य भी अग्निकारक है, परन्तु सूर्य से मिलने वाली अग्नि जीव-जगत के लिए आवश्यक है और मंगल की अग्नि धर्म प्रलयकारक है। सूर्य उष्ण है और मंगल तप्त। सेनापति होने के कारण शक्ति, अधिकार, पुरुषत्व, शोरगुल, वासना, पशुता इत्यादि बातों पर मंगल का अधिकार है। मंगल अग्नि का कारक है इसलिए समस्त स्नायु मंगल का कारक माना जाता है। प्रथमभाव मेष मंगल की राशि है अत: चेहरा और सिर का विचार भी मंगल से किया जाता है। कालपुरुष कुण्डली में अष्टम भाव में मंगल की राशि (वृश्चिक राशि) होने से मूत्राशय, गर्भाशय, गुप्तद्वार और बाहरी अंग लिंग पर मंगल का अधिकार होता है। प्रोटेस्ट ग्रंथि पर भी मंगल का प्रभाव है।
भारतीय वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर ताकत का कारक माना जाता है। मंगल प्रत्येक व्यक्ति में शारीरिक ताकत तथा मानसिक शक्ति एवम मजबूती का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानसिक शक्ति का अभिप्राय यहां पर निर्णय लेने की क्षमता और उस निर्णय पर टिके रहने की क्षमता से है। मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर तथ्यों के आधार पर उचित निर्णय लेने में तथा उस निर्णय को व्यवहारिक रूप देने में भली प्रकार से सक्षम होते हैं। ऐसे जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे घुटने नहीं टेकते तथा इनके उपर दबाव डालकर अपनी बात मनवा लेना बहुत कठिन होता है और इन्हें दबाव की अपेक्षा तर्क देकर समझा लेना ही उचित होता है।
मंगल आम तौर पर ऐसे क्षेत्रों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता आदि की आवश्यकता पड़ती है जैसे कि पुलिस की नौकरी, सेना की नौकरी, अर्ध-सैनिक बलों की नौकरी, अग्नि-शमन सेवाएं, खेलों में शारीरिक बल तथा क्षमता की परख करने वाले खेल जैसे कि कुश्ती, दंगल, टैनिस, फुटबाल, मुक्केबाजी तथा ऐसे ही अन्य कई खेल जो बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा क्षमता की मांग करते हैं। इसके अतिरिक्त मंगल ऐसे क्षेत्रों तथा व्यक्तियों के भी कारक होते हैं जिनमें हथियारों अथवा औजारों का प्रयोग होता है जैसे हथियारों के बल पर प्रभाव जमाने वाले गिरोह, शल्य चिकित्सा करने वाले चिकित्सक तथा दंत चिकित्सक जो चिकित्सा के लिए धातु से बने औजारों का प्रयोग करते हैं, मशीनों को ठीक करने वाले मैकेनिक जो औजारों का प्रयोग करते हैं तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्र एवम इनमे काम करनेवाले लोग। इसके अतिरिक्त मंगल भाइयों के कारक भी होते हैं तथा विशेष रूप से छोटे भाइयों के। मंगल पुरूषों की कुंडली में दोस्तों के कारक भी होते हैं तथा विशेष रूप से उन दोस्तों के जो जातक के बहुत अच्छे मित्र हों तथा जिन्हें भाइयों के समान ही समझा जा सके।
मंगल एक शुष्क तथा आग्नेय ग्रह हैं तथा मानव के शरीर में मंगल अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा इसके अतिरिक्त मंगल मनुष्य के शरीर में कुछ सीमा तक जल तत्व का प्रतिनिधित्व भी करते हैं क्योंकि मंगल रक्त के सीधे कारक माने जाते हैं। ज्योतिष की गणनाओं के लिए मंगल को पुरूष ग्रह माना जाता है। मंगल मकर राशि में स्थित होने पर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं तथा मकर में स्थित मंगल को उच्च का मंगल भी कहा जाता है। मकर के अतिरिक्त मंगल को मेष तथा वृश्चिक राशियों में स्थित होने से भी अतिरिक्त बल मिलता है जोकि मंगल की अपनी राशियां हैं। मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक शारीरिक रूप से बलवान तथा साहसी होते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रयत्न करते रहते हैं और अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते। मंगल का कुंडली में विशेष प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को तर्क के आधार पर बहस करने की विशेष क्षमता प्रदान करता है जिसके कारण जातक एक अच्छा वकील अथवा बहुत अच्छा वक्ता भी बन सकता है। मंगल के प्रभाव में वक्ता बनने वाले लोगों के वक्तव्य आम तौर पर क्रांतिकारी ही होते हैं तथा ऐसे लोग अपने वक्तव्यों के माध्यम से ही जन-समुदाय तथा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। युद्ध-काल के समय अपनी वीरता के बल पर समस्त जगत को प्रभावित करने वाले जातक मुख्य तौर पर मंगल के प्रबल प्रभाव में ही पाए जाते हैं।
कर्क राशि में स्थित होने पर मंगल बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त मंगल कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव के कारण भी कमजोर हो सकते हैं। कुंडली में मंगल की बलहीनता कुंडली धारक की शारीरिक तथा मानसिक उर्जा पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है तथा इसके अतिरिक्त जातक रक्त-विकार संबधित बिमारियों, त्वचा के रोगों, चोटों तथा अन्य ऐसे बिमारीयों से पीडित हो सकता है जिसके कारण जातक के शरीर की चीर-फाड़ हो सकती है तथा अत्याधिक मात्रा में रक्त भी बह सकता है। मंगल पर किन्हीं विशेष ग्रहों के बुरे प्रभाव के कारण जातक किसी दुर्घटना अथवा लड़ाई में अपने शरीर का कोई अंग भी गंवा सकता है। इसके अतिरिक्त कुंडली में मंगल की बलहीनता जातक को सिरदर्द, थकान, चिड़चिड़ापन तथा निर्णय लेने में अक्षमता जैसी समस्याओं से भी पीडि़त कर सकती है। मंगल के प्रभाव स्वरुप जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकता. मंगल के द्वारा साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता प्राप्त होती है. पुलिस, सेना, अग्नि-शमन सेवाओं के क्षेत्र में मंगल का अधिकार है खेल कूद इत्यादि में जोश और उत्साह मंगल के प्रभाव से ही प्राप्त होता है.
मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृत्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, नैतिकता की हानि का कारक ग्रह है. सेनापति मंगल के पास अधिकार, वृत्ति, प्रभुता, नेतृत्व, लड़ाई आदि गुण होते हैं। मंगल शीघ्र प्रकोपी होने के कारण उतावला और दहशत जमाने वाला है। बाहरी अंग-लिंग पर मंगल का प्रभाव होने से मंगल में वासना और लोभ भी है। यौन सुख प्राप्त करते हुए इसका सेनापति का स्वभाव जाग्रत हो जाता है। यह अपने जीवन साथी को कुछ पीड़ा भी प्रदान करता है। यौन सुख के लिए अमानवीय तरीका भी अपनाता है।
बीमारियां- मंगल का अग्नि तत्व होने के कारण गर्मी की बीमारियां, प्रत्येक तरह के बुखार, फोड़ा, खुजली आदि पर मंगल का अधिकार होता है। मंगल का चेहरे पर अधिकार होने के कारण मुंहासे, दिमागी बीमारियां जैसे पागलपन व सिर में रक्त के बहाव पर इसका प्रभाव होता है। लिंग पर प्रभाव व होने से गुप्त रोग, भगंदर, पिस्तुला और यौन रोग, महिलाओं में रक्त प्रदर, हार्निया आदि बीमारियां मंगल के अधिकार में आती हैं। स्नायु पर मंगल का अधिकार होने से स्नायु की बीमारियां, पोलियो, लकवा, दु:ख देने वाला ग्रह होने से वेदना देने वाली बीमारियां जैसे- अल्सर, पेट दर्द, जहर का प्रयोग, जहरीली गैस या उससे उत्पन्न बीमारियों पर इसका अधिकार है। मंगल के खराब होने या पिडी़त होने से व्यक्ति को शरीर के किसी भाग का कटना, घाव, दुखती आंखें, पित्त, रक्तचाप. बवासीर, जख्म, खुजली, हड्डियों का टूटना. पेशाब संबन्धित शिकायतें, पीलिया, खून गिरना, ट्यूमर, मिरगी जैसे रोग प्रभावित कर सकते हैं.
कारोबार- मंगल सेनापति है इसलिए सुरक्षा, सेनादल, पुलिस, जासूसी, हथियार, नुकीली वस्तुएं आदि का कारोबार मंगल के अधिकार में है। साथ ही कसाई, सर्जरी, हथियार का प्रयोग करने वाला कारोबार, खदानों से निकलने वाला लोहा, तांबा आदि धातुओं का कारोबार तथा अग्नि तत्व होने से प्रत्येक प्रकार की भ_ियां, वायलर, भांप के इंजन, ऊर्जा प्रकल्प जैसे कारोबार मंगल के अधिकार में हैं।
उत्पाद- मंगल के तीखे गुण के कारण मिर्च-मसाले की वस्तुएं, दालचीनी, अदरक, लहसुन, हथियारों का कारक होने से तलवार, बंदूक, बम और प्रत्येक प्रकार के हथियारों का निर्माण, भूमि का कारक होने से घरों का निर्माण, कांटेदार पेड़ और अग्नि का कारक होने से शराब व तम्बाकू इसके उत्पाद हैं।
स्थान- मंगल का स्वभाव आक्रामक होने से लड़ाई का मैदान, सैनिक छावनी, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी संस्थान इसके स्थान हैं। मंगल निर्दयी ग्रह है अत: कसाईखाना और आपरेशन थियेटर इसके प्रभाव में हैं। उष्ण प्रधान होने से घर में रसोई, गीजर, शौचालय, तहखाना आदि मंगल के अधिकार क्षेत्र में हैं।
जानवर व पेड़-पौधे- शेर, लोमड़ी, कुत्ता आदि पर मंगल का प्रभाव है। कांटेदार पेड़, मसाले की वस्तुओं के पौधे, तम्बाकू, लहसुन आदि तथा लाल रंग के फल व कड़े छिलके वाले फल मंगल के अधिकार क्षेत्र में हैं।
मंगल ग्रह से संबंधित अन्य तथ्य-
मंगल के मित्र ग्रह सूर्य, चन्द्र और गुरु है. मंगल से शत्रु सम्बन्ध रखने वाला ग्रह बुध है. मंगल के साथ शनि और शुक्र सम सम्बन्ध रखते है. मंगल मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी है. मंगल की मूलत्रिकोण राशि मेष राशि है, इस राशि में मंगल 0 अंश से 12 अंशों के मध्य होने पर अपनी मूलत्रिकोण राशि में होता है. मंगल वृषभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है. मंगल कर्क राशि में स्थित होने पर नीचस्थ होता है. मंगल पुरुष प्रधान ग्रह है. मंगल दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल के सभी शुभ फल प्राप्त करने के लिए मूंगा, रक्तमणी जिसे तामडा भी कहा जाता है, इनमें से किसी एक रत्न को धारण किया जा सकता है. मंगल के लिए लाल रंग धारण किया जाता है. मंगल का भाग्य अंक 9 है. मंगल के लिए गणपति, हनुमान, सुब्रह्मामन्यम, कार्तिकेय आदि देवताओं की उपासना करनी चाहिए.
मंगल के दुष्प्रभावों से बचने के लिए तथा शुभ फलों की प्राप्ति के लिए मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान किया जा सकता है. तांबा, गेहूं, घी, लाल वस्त्र, लाल फूल, चन्दन की लकडी, मसूर की दाल. मंगलवार को सूर्य अस्त होने से 48 मिनट पहलें और सूर्यास्त के मध्य अवधि में ये दान किये जाते है.
मंगल के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए
क्रां क्रौं क्रौं स: भौमाय नम:
मंगल का वैदिक मंत्र
घरणीगर्भसंभूतं विद्युत कन्ति सम प्रभम।
कुमार भक्तिहस्तं च मंगल प्रणामाभ्यहम।।
मंगल के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में और भी कई उपाय बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका तो यह है कि किसी भी मंगलवार के दिन हनुमान जी को लाल रंग का लंगोटा और सिंदूर भेंट कीजिए। हनुमान जी मंगलवार के स्वामी माने जाते हैं इसलिए मंगल के उपाय में हनुमान जी को खुश करने का विधान है। हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन व्रत करके शाम के समय बूंदी का प्रसाद बांटने से भी मंगल का अमंगल दूर होता है। हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी मंगल को शुभ बनाने में सहायक होता है।
सभी ग्रह के अपने रत्न होते हैं जो ग्रहों की उर्जा को अवशोषित करके अनुकूल स्थिति बनाते हैं। मंगल का रत्न है मूंगा। मंगल को अनुकूल बनाने के लिए मूंगा रत्न धारण किया जा सकता है।
Pt.P.S.Tripathi
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