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Saturday 23 May 2015

भरणी नक्षत्र



कोई भी व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसके गुण-दोष, अच्छाई-बुराई, विशेषता, सभी के पीछे कोई कारण निहित होता है। एक ही परिवार के सदस्यों में भी विभिन्नता का कारण उस व्यक्ति के जन्म का समय, नक्षत्र और उसके जन्म में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। मनुष्य का जन्म अपने आप मेंं सृष्टि की रचनात्मकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस प्रकार भरणी नक्षत्र अपने इस प्रतीक चिन्ह के माध्यम से रचनात्मकता तथ स्त्री जाति मेंं पायी जाने वाली अन्य कई विशेषताओं के साथ जुड़ जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यमराज को भरणी नक्षत्र का देवता माना जाता है जिसके चलते यह नक्षत्र यमराज के प्रभाव मेंं भी आता है।

भारतीय वैदिक ज्योतिष की गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले सत्ताइस नक्षत्रों मेंं से भरणी को दूसरा नक्षत्र माना जाता है तथा इन वैदिक ज्योतिषियों की इस मान्यता के पीछे छिपे कारण को समझने के लिए भरणी नक्षत्र के प्रतीक चिन्ह को समझना आवश्यक है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्त्री के प्रजनन अंग अर्थात योनि को भरणी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी लोक पर जन्म लेने वाले सभी मनुष्य योनि के माध्यम से ही जन्म लेते हैं इसलिए बहुत से वैदिक ज्योतिषी भरणी नक्षत्र का रचनात्मकता के साथ गहरा संबंध मानते हैं क्योंकि मनुष्य का जन्म अपने आप मेंं सृष्टि की रचनात्मकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस प्रकार भरणी नक्षत्र अपने इस प्रतीक चिन्ह के माध्यम से रचनात्मकता तथ स्त्री जाति मेंं पायी जाने वाली अन्य कई विशेषताओं के साथ जुड़ जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यमराज को भरणी नक्षत्र का देवता माना जाता है जिसके चलते यह नक्षत्र यमराज के प्रभाव मेंं भी आता है। यमराज को धर्मराज का नाम भी दिया जाता है तथा प्राणियों के कर्मों के अनुसार उनके अगले जन्म के लिए उचित समय, स्थान तथा स्थितियों का निर्णय करना भी यमराज के कार्यक्षेत्र मेंं आता है। इस प्रकार प्राणियों की मृत्यु तथा मृत्यु के पश्चात उनके कर्मों के आधार पर उन्हें मिलने वाला दूसरा जीवन, ये दोनों ही कार्य यमराज के कार्यक्षेत्र मेंं आते हैं।
देवी महाकाली को भी भरणी नक्षत्र की देवी माना जाता है जिसके चलते इस नक्षत्र की कार्यशैली मेंं देवी महाकाली के गुणों का प्रभाव भी देखने मेंं आता है। जिस प्रकार देवी महाकाली भीषण से भीषण शत्रु का भी सहज ही संहार करने मेंं सक्षम है तथा सृष्टि के दुष्कर से दुष्कर कार्य भी उनके लिए सहज हैं, उसी प्रकार भरणी नक्षत्र के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाले जातक भी कठिन से कठिन कार्य से भी चिंतित नहीं होते तथा इन कार्यों को बिना विचलित हुए करने का प्रयास करते हैं। शुक्र को भरणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह माना जाता है तथा इसी के अनुसार शुक्र ग्रह की बहुत सी विशेषताएं भरणी नक्षत्र के माध्यम से साकार रुप प्राप्त करतीं हैं। वैदिक ज्योतिष मेंं शुक्र को स्त्री जाति तथा प्रजनन के साथ जोड़ा जाता है तथा शुक्र की यह विशेषताएं भरणी नक्षत्र मेंं भी पायीं जातीं हैं। इसके अतिरिक्त शुक्र ग्रह को रचनात्मकता के साथ भी जोड़ा जाता है तथा शुक्र की यह रचनात्मकता भी भरणी के माध्यम से प्रदर्शित होती है। भरणी नक्षत्र के सभी चरण मेष राशि मेंं स्थित होते हैं जिसके चलते इस नक्षत्र पर मेष राशि तथा इसके स्वामी मंगल ग्रह का प्रभाव भी देखने मेंं आता है। इस प्रकार भरणी जन्म देने मेंं सहायता करने वाले शुक्र से लेकर मृत्यु को निर्धारित करने वाले यमराज के प्रभाव मेंं आता है तथा इसी कारण भरणी नक्षत्र का स्वभाव निश्चित कर पाना बहुत कठिन हो जाता है तथा बहुत बार इस नक्षत्र के प्रभाव मेंं आने वाले जातक अपने जीवन मेंं जन्म तथा मृत्यु के जैसीं विपरीत चरम सीमाओं को छूते दिखाई देते हैं।
अधिकतर वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि भरणी नक्षत्र के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाले विभिन्न जातक एक दूसरे से बिल्कुल ही विपरीत स्वभाव के स्वामी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाला एक जातक बिल्कुल ही रचनात्मक प्रवृति का हो सकता है जबकि इसी नक्षत्र के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाला दूसरा जातक बिल्कुल ही हिंसात्मक प्रवृति का हो सकता है। इसी प्रकार भरणी के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाले विभन्न जातक अति बुद्धिमान अथवा बिल्कुल ही मंद बुद्धि, बहुत पदार्थवादी अथवा बिल्कुल ही तटस्थ हो सकते हैं। इसी अतिरेक के चलते भरणी नक्षत्र के जातक अपने जीवन मेंं कई बार ऐसी चरम सीमाओं को छूते हैं जो एक दूसरे से बिल्कुल ही विपरीत होती हैं तथा किसी कुंडली मेंं भरणी नक्षत्र का प्रबल प्रभाव जातक को अपने जीवन काल मेंं कई बार बहुत बड़े उतार-चढ़ावों का सामना करवा सकता है जिसके चलते कई बार तो ऐसे जातकों का जीवन एक तेज चलते झूले की तरह हो जाता है जो कभी बहुत वेग से एक छोर की ओर चला जाता है तो कभी उतने ही वेग से दूसरे छोर की ओर। भरणी जातकों के जीवन मेंं बार बार आने वाली अनिश्चितता की यह स्थिति इनके जीवन के व्यवसायिक, शारीरिक, मानसिक तथा अन्य कई प्रकार के क्षेत्रों पर अपना प्रभाव डालती है।
कुंडली मेंं भरणी नक्षत्र का प्रबल प्रभाव जातक के व्यक्तित्व को बल प्रदान करता है जिसके चलते भरणी के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाले जातक सामान्यतया अपने जीवन मेंं आने वाली बड़ी से बड़ी कठिनाई से भी नहींं विचलित होते तथा ऐसे जातक बहुत बड़ी हानि उठाने के पश्चात भी शीघ्र ही संभल जाते हैं तथा पुन: अपने प्रयासों को आरंभ कर देते हैं। अपने चरित्र की इसी विशेषता के चलते भरणी के जातक अपने जीवन मेंं कई बार विफल होने के पश्चात भी हार नहींं मानते तथा अविचलित भाव से अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करते रहते हैं जिसके कारण ऐसे जातक अतत: अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेने मेंं बहुत बार सफल भी हो जाते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि भरणी के प्रबल प्रभाव मेंं आने वाले अधिकतर जातकों के लिए प्रयास करना मह्त्वपूर्ण होता है तथा ये जातक सफलता या असफलता को बहुत महत्व नहींं देते। शुक्र के प्रभाव मेंं आने के कारण भरणी के जातकों मेंं सामान्यतया किसी न किसी प्रकार की रचनात्मक प्रवृति भी प्रबल रहती है जिसके चलते ऐसे जातक रचनात्मक क्षेत्रों मेंं सफल देखे जा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भरणी नक्षत्र के प्रभाव मेंं आने वाले जातक कई प्रकार के व्यवसायिक क्षेत्रों मेंं कार्यशील पाए जा सकते हैं जैसे कि छोटे बच्चों से संबंधित व्यवासायों में लगे लोग, शिशु की देखभाल करने वाली आया, नर्स, दाई, शिशु का जन्म करवाने मेंं सहायता करने वाली चिकित्सक, छोटे बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापक तथा अध्यापिकाएं तथा बच्चों से जुड़े व्यवसायों मेंं काम करने वाले अन्य लोग, मृत्यु के पश्चात की जाने वाली प्रथाओं से जुड़े लोग जैसे कि शमशान भूमि मेंं कार्य करने वाले लोग, समाचार पत्रों मेंं मृतकों के बारे मेंं समाचार प्रकाशित करने वाले लोग, मृत्यु की जांच करने वाले जासूस तथा इसी प्रकार के लोग तथा अन्य कई प्रकार के रचनात्मक तथा विनाशकारी कार्यों को करने वाले लोग जिनमेंं कलाकारों से लेकर हथियारों का व्यापार करने वाले संगठन तथा इनमेंं काम करने वाले लोग, आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोग तथा अन्य कई प्रकार के व्यवसायों से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
आकारकत्व:- रक्त व मांस से सम्बंधित लोग जैसे कि रक्त का परीक्षण करने वाले मांस का व्यापार करने वाले, हिंसक प्राणी, कसाई, आतंकवादी, भूसे वाले सभी अनाज, नीच स्वभाव और नीच कुल के लोग, तांत्रिक और मृत शरीरों पर तंत्र साधना करने वाले तांत्रिक, जहर, शस्त्र, अस्त्र, कोर्ट व युद्ध भी इसी नक्षत्र से सम्बंधित है!
नक्षत्रफल:- दृढ़ निश्चय वाले सत्यवादी और सुखी, जिस काम को करने की सोच ले उसे करके ही छोड़ते हैं। व्यक्तित्व आकर्षक होता है। मनोविनोद मेंं इनका मन अधिक लगता है, शराब और स्त्री दोनों का पूर्ण लाभ लेना चाहते हैं।
पदार्थ:- भूसी वाले अनाज, ज्वारबाजरा, रंग, जहर व जहरीले पदार्थ, विभिन्न रसायन इत्यादि।
व्यक्ति:- ब्लड बैंक के कर्मचारी, स्वार्थी लोग, अत्यधिक धूम्रपान करने वाले, शराब के शौकीन, रसिक मिजाज वाले, साधारणतया रोगों से मुक्त रहने वाला।
भरणी नक्षत्र का वैदिक मंत्र:- यमाय त्वान्गिरस्यते पित्रीमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे।
बीमारियाँ:- सिर मेंं चोट, आँखों के पास चोट, नशे की लत, कफ रोग इत्यादि।
मानसिक गुण:- खाने का शौकीन, क्रूर व्यक्तित्व, अपने से निचले तबके के लोगों के साथ रहने वाला अपने लक्ष्य को सदैव प्राप्त करता है। चतुर व्यक्तित्व का मालिक। इनके जीवन मेंं प्रेम सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है और दिमाग की बजाय दिल से अधिक सोचते है। इनके व्यक्तित्व मेंं सदैव एक कवि रहता है।
व्यवसाय:- संगीत, खेल-कूद, प्रचारक, चांदी के बर्तनों का काम, शादी करवाने वाले मध्यस्थ, कसाईखाना, होटल, रतिरोग, संपत्ति का मूल्यांकन करने वाला।
प्रतीक चिन्ह : त्रिकोण
रंग : लाल
भाग्यशाली अक्षर : ल
वृक्ष : युग्म वृक्ष
राशि स्वामी : मंगल
नक्षत्र स्वामी : शुक्र
देवता : यम
शारीरिक गठन : मध्यम कदकाठी, लम्बी गर्दन और सुंदर आंखें। यदि गर्दन छोटी है तो चेहरा गोल।
भौतिक सुख : व्यक्तित्व पर निर्भर रहेगा सुख, भाग्यशाली, भवन और वाहन का मालिक। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। जो व्यक्ति भरणी नक्षत्र मेंं जन्म लेते हैं वे सुख सुविधाओं एवं ऐशो आराम चाहने वाले होते हैं । इनका जीवन भोग विलास एवं आनन्द मेंं बीतता है। ये देखने मेंं आकर्षक व सुन्दर होते हैं। इनका स्वभाव भी सुन्दर होता है जिससे ये सभी का मन मोह लेते हैं। इनके जीवन मेंं प्रेम का स्थान सर्वोपरि होता है। इनके हृदय मेंं प्रेम तरंगित होता रहता है ये विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण एवं लगाव रखते हैं।
भरनी नक्षत्र के जातक उर्जा से परिपूर्ण रहते हैं। ये कला के प्रति आकर्षित रहते हैं और संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि मेंं सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। ये दृढ़ निश्चयी एवं साहसी होते हैं। इस नक्षत्र के जातक जो भी दिल मेंं ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। आमतौर पर ये विवाद से दूर रहते हैं फिर अगर विवाद की स्थिति बन ही जाती है तो उसे प्रेम और शान्ति से सुलझाने का प्रयास करते हैं। अगर विरोधी या विपक्षी बातों से नहींं मानता है तो उसे अपनी चतुराई और बुद्धि से पराजित कर देते हैं।
जो व्यक्ति भरणी नक्षत्र मेंं जन्म लेते हैं वे विलासी होते हैं। अपनी विलासिता को पूरा करने के लिए ये सदैव प्रयासरत रहते हैं और नई-नई वस्तुएं खरीदते हैं। ये साफ-सफाई और स्वच्छता मेंं विश्वास करते हैं। इनका हृदय कवि के समान होता है। ये किसी विषय मेंं दिमाग से ज्यादा दिल से सोचते हैं। ये नैतिक मूल्यों का आदर करने वाले और सत्य का पालन करने वाले होते हैं। ये रूढ़ीवादी नहींं होते हैं और न ही पुराने संस्कारों मेंं बंधकर रहना पसंद करते हें। ये स्वतंत्र प्रकृति के एवं सुधारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले होते हैं। इन्हें झूठा दिखावा व पाखंड पसंद नहींं होता। इनका व्यक्तित्व दोस्ताना होता है और मित्र के प्रति बहुत ही वफादार होते हैं। ये विषयों को तर्क के आधार पर तौलते हैं जिसके कारण ये एक अच्छे समालोचक होते हैं। इनकी पत्नी गुणवंती और देखने व व्यवहार में सुन्दर होती हैं। इन्हें समाज मेंं मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
सकारात्मक पक्ष : भरणी नक्षत्र मेंं जन्म होने से जातक सत्य वक्ता, उत्तम विचार, वचनबद्ध, रोगरहित, धार्मिक कार्यों के प्रति रुचि रखने वाला, साहसी, प्रेरणादायक, चित्रकारी एवं फोटोग्राफी मेंं अभिरुचि रखने वाला होता है। अपना उद्देश्य अंतिम रूप से प्राप्त करने मेंं समर्थ व्यक्ति। 33 साल की उम्र के बाद एक सकारात्मक मोड़।
नकारात्मक पक्ष : यदि मंगल और शुक्र की जन्म कुंडली मेंं स्थिति खराब है तो ऐसा व्यक्ति क्रूर, सदा अपयश का भागी, दूसरे की स्त्री मेंं अनुरक्त, विनोद मेंं समय व्यतीत करने वाला, जल से डरने वाला, चपल, निंदित तथा बुरे स्वभाव वाला होता है। ऐसा जातक बुद्धिमान होने के बावजूद निम्न स्तर के लोगों के मध्य रहने वाला, विरोधियों को नीचा दिखाने वाला, मदिरा अथवा रसीले पदार्थों का शौकीन, रोग बाधा से अधिकतर मुक्त रहने वाला, चतुर, प्रसन्नचित तथा उन्नति का आकांक्षी होता है। उसके इस स्वभाव से स्त्री और धन का सुख मिलने की कोई गारंटी नहींं।



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