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Friday 29 May 2015

उन्नति हेतु केतु को करें शांत

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निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। केतु ग्रह की उत्तम स्थिति या ग्रह दषाएॅ या अंतरदषाओं में जातक को उन्नति या बदलाव हेतु प्रेरित करता है। केतु की दषा में परिवर्तन हेतु प्रयास होता है। पराक्रम तथा साहस दिखाई देता है। राहु जहाॅ आलस्य तथा कल्पनाओं का संसार बनाता है वहीं पर केतु के प्रभाव से लगातार प्रयास तथा साहस से परिवर्तन या बेहतर स्थिति का प्रयास करने की मन-स्थिति बनती है। केतु की अनुकूल स्थिति जहाॅ जातक के जीवन में उन्नति तथा साकारात्मक प्रयास हेतु प्रेरित करता है वहीं पर यदि केतु प्रतिकूल स्थिति या नीच अथवा विपरीत प्रभाव में हो तो जातक के जीवन में गंभीर रोग, दुर्घटना के कारण हानि,सर्जरी, आक्रमण से नुकसान, मानसिक रोग, आध्यात्मिक हानि का कारण बनता है। केतु के शुभ प्रभाव में वृद्धि तथा अषुभ प्रभाव को कम करने हेतु केतु की शांति करानी चाहिए जिसमें विषेषकर गणपति भगवान की उपासना, पूजा, केतु के मंत्रों का जाप, दान तथा बटुक भैरव मंत्रों का जाप करना चाहिए जिससे केतु का शुभ प्रभाव दिखाई देगा तथा जीवन में निरंतर उन्नति बनेगी।

Saturday 23 May 2015

इन उपायों :से मिलेगी व्यवसाय में सफलता

इन उपायों :से मिलेगी व्यवसाय में सफलता
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सभी को अपने व्यवसाय में सफलता की चाहत होती है। अगर जीतोड़ मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही है तो आपके लिए हम लाए हैं आसान उपाय। लाभ के लिए जरूरी है कि आप जहां कारोबार कर रहे हैं वहां धन आगमन की अनुकूल स्थिति हो। यह अनुकूल स्थिति तब बनती है जब दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान का वास्तु सही हो नहीं तो मेहनत और समय खर्च करने के बाद भी लाभ को लेकर निराशा जनक स्थिति बनी रहती है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार व्यापार में बेहतर लाभ पाने के लिए सबसे पहले तो यह करें कि व्यापारिक प्रतिष्ठान की दीवारों पर गहरे रंग नहीं लगवाएं। सफेद, क्रीम एवं दूसरे हल्के रंगों का प्रयोग सकारात्मक उर्जा का संचार करता है जो लाभ वृद्घि में सहायक होता है। दीपावली आने वाली है तो रंग-रोगन करवाते समय इन बातों का ध्यान रखिएगा।
दूसरी बात जो गौर करने की है वह यह है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान का दरवाजा अंदर की ओर खुले। बाहर की ओर दरवाजे का खुलना लाभ को कम करता है क्योंकि आय के साथ व्यय भी बढ़ा रहता है।
दुकानों में उत्तर एवं पश्चिम दिशा की ओर शोकेस का निर्माण करवाना चाहिए। इससे खरीदारों की संख्या बढ़ती है। धन में वृद्घि के लिए तिजोरी का मुंह उत्तर की ओर रखें क्योंकि यह देवाताओं के कोषाध्याक्ष कुबेर की दिशा है।
अगर आपके व्यापारिक प्रतिष्ठा में सीढ़ियां बनी हुई है तो इस बात का ध्यान रखें कि सीढ़ियों की संख्या सम नहीं होनी चाहिए।

Pt.P.S Tripathi
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